बैताल पचीसी
बैताल पचीसी (संस्कृत:वेतालपञ्चविंशतिका) पचीस गो कहानिन क संग्रह हवे जेवना में राजा बिक्रम आ बैताल की बीच में बातचीत की रूप में कहानी कहल गइल बाटे।
कहानी की अनुसार एगो बैताल शमसान में पेड़ पर लटकल रहेला जेवना के राजा बिक्रम अपनी कान्हीं पर उठा के ले जालें। डहरी में ऊ बैतलवा राजा के कहानी सुनावेला आ अंत में कहानी पर आधारित प्रश्न पूछेला। प्रश्न क जवाब देते बिक्रम क व्रत भंग होजाला आ बैतलवा फिन से जाके पेड़ पर लटक जाला। इहे घटना पचीस बेर होले आ पचीस गो कहानी बैतलवा सुनावेला।
मूल रूप से ई कहानी संस्कृत में लिखल गइल रहे आ एकर कइयन गो भाषा में अनुवाद भइल बाटे।
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