भास्कराचार्य या भास्कर[1] (जिनके भास्कर I से अलग बूझे बदे भास्कर II भी कहल जाला) (1114–1185), एक ठो भारतीय गणितग्य आ ज्योतिस बिद्या के जानकार (खगोलशास्त्री) रहलें। इनके जनम कर्नाटक के बीजापुर में भइल रहे।[2] बारहवीं सदी में, उनके गणित के क्षेत्र में कइल काम बहुत महत्व वाला बा आ उनके मध्यकालीन भारत के सभसे महान गणितज्ञ भी कहल जाला।[3] उनके मुख्य रचना सिद्धान्तशिरोमणि हवे[4] जे चार खंड - लीलावती, बीजगणित, ग्रहगणित, आ गोलाध्याय में बाँटल बा[5] आ इनहन के कबो-कबो चार गो अलग पुस्तक के रूप में भी देखल जाला।[6] चारों, क्रम से अंकगणित, बीजगणित, ग्रह संबंधी गणित, आ गोला संबंधी गणित के ऊपर लिखल गइल खंड हवें। एकरे अलावा ऊ करण कौतूहल नाँव के किताब भी लिखलें।[6]

भास्कराचार्य के कैलकुलस संबंधी काम, न्यूटन आ लाइबनिज से लगभग आधा सदी पहिले के बा[7] एही से ई माने खातिर पर्याप्त वजह बा कि कैलकुलस के खोज करे वाला पहिला ब्यक्ति भास्कर रहलें।[8]

  1. Pingree 1970, p. 299.
  2. Mathematical Achievements of Pre-modern Indian Mathematicians by T.K Puttaswamy p.331
  3. Chopra 1982, pp. 52–54.
  4. Plofker 2009, p. 71.
  5. Poulose 1991, p. 79.
  6. 6.0 6.1 उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named sbrao1
  7. Seal 1915, p. 80.
  8. Goonatilake 1999, p. 134.

स्रोत ग्रंथ

संपादन करीं
  • Goonatilake, Susantha (1999), Toward a global science: mining civilizational knowledge, Indiana University Press, ISBN 978-0-253-21182-8
  • Pingree, David Edwin (1970), Census of the Exact Sciences in Sanskrit, vol. Volume 146, American Philosophical Society, ISBN 9780871691460 {{citation}}: |volume= has extra text (help)
  • Plofker, Kim (2007), "Mathematics in India", in Katz, Victor J. (ed.), The Mathematics of Egypt, Mesopotamia, China, India, and Islam: A Sourcebook, Princeton University Press, ISBN 9780691114859
  • Seal, Sir Brajendranath (1915), The positive sciences of the ancient Hindus, Longmans, Green and co.