ययाति भारतीय पुराणन में बर्णित कथा सभ में इक्ष्वाकु बंस के एगो राजा हवें। इनके कथा प्रसिद्ध महाकाब्य महाभारतो में मिले ला। ययाति राजा नहुष आ अशोकसुंदरी के छह गो बेटा लोग में से दुसरा नमर पर रहलें आ बड़ भाई याति के राजकाज में रूचि न होखे के कारन इनके राज मिलल। इनकर बियाह असुर लोग के गुरु शुक्राचार्य के बेटी देवयानी से भइल। देवयानी के सखी शर्मिष्ठा के साथे संबंध हो जाए के कारन नराज हो के शुक्राचार्य इनके बृद्ध हो जाए के सराप दे दिहलें, हालाँकि बाद में ई कहलें कि अगर तोहार लरिका आपन जवानी दे के बूढ़ होखे खाती तइयार होखे तब तोहके बदले में तोहार जवानी वापिस मिली। एह तरीका से ययाति काफी समय ले भोगबिलास कइलें बाकी उनके इच्छा तिरपित ना भइल, अंत में ऊ बैराग धारण क लिहलें।

ययाति
Yayāti
Yayāti
जानकारी
परिवारनहुष, अशोकसुंदरी
जीवनसाथीदेवयानी, शर्मिष्ठा
संतानयदु, तुवर्षु, अनु, द्रुह्य आ पुरु

यदु, तुवर्षु, अनु, द्रुह्य आ पुरु इनके लइका बतावल गइल बा आ अंतिम बेटा पुरु आपन यौवन के त्याग कइले रहलें। इहे पुरु महाभारत के पांडव लोगन के पुरखा रहलें। ई कथा महाभारत में आ भागवत पुराण में मिले ला। एही कथा आ राजा ययाति के नाँव पर, बुढ़ापा में बहुत जोर के कामना के ययाति ग्रंथि (ग्रंथि माने मन के जटिलता, अस्वाभाविकता) कहल जाला।[1][2]

  1. Rick Jarow (February 2012). Tales for the Dying: The Death Narrative of the Bhagavata-Purana. SUNY Press. pp. 89–. ISBN 978-0-7914-8745-7.
  2. Hemant Sharma (1 January 2014). Tamasha Mere Aage. Prabhāta Prakāśana. pp. 202–. ISBN 978-93-5048-433-3.