रंगोली

भारत के परंपरागत कला जेह में फर्श पर रंग से पैटर्न बनावल जाला

रंगोली (अंग्रेजी: Rangoli) एगो कला रूप हवे जे भारतीय उपमहादीप के खास चीज हवे, एह में फर्श या टेबलटॉप पर रंग-बिरंग क पैटर्न बनावल जाला आ ई डिजाइन बनावे खातिर पाउडर वाला चूना पत्थर, लाल ऑकर, सूखा चावल के आटा, रंगीन रेत, क्वार्ट्ज पाउडर, फूल के पंखुड़ आउर रंगीन चट्टान सभ के इस्तेमाल कइल जाला। ई कई हिंदू परिवारन में रोजे-रोज बनावल जाला, हालांकि एकरा बनावे के बिसेस मोका ज्यादातर त्यौहार आउर अन्य महत्वपूर्ण उत्सव के दिने बनावल जाला काहें से की बिधिवत रंगोली बनावे में टाइम लागे ला। रंगोली आमतौर पर भारतीय उपमहादीप में दिवाली भा तिहार, ओणम, पोंगल, आ अउरी दुसर हिंदू त्योहार के दौरान बनावल जाला, जबकि सबसे जादे अक्सर दिवाली के दौरान बनावल जाला। डिजाइन एगो पीढ़ी से दूसर पीढ़ी ले ट्रांसफर होला, आ कला रूप अउर परंपरा दुनु के जियतार रखल जाला।[1]

दिपावाली के मोका प एगो रंगोली, गोवा, भारत

रंगोली के राज्य आ संस्कृति के आधार पर अलग-अलग नाम बाड़ें। एगो हिंदू परिवार के रोजमर्रा के जीवन में रंगोली के महत्वपूर्ण भूमिका बाटे खासकर ऐतिहासिक रूप से जब घरन के फर्श के पक्का भा टाइल वाला ना होखे। आमतौर पर ई मेन दरवाजा के सोझा बाहर, जगह के सफाई के बाद सबेरे बनावल जाला। रंगोली एगो घर के सुख, सकारात्मकता आ जीवंतता के प्रतिनिधित्व करेला, आ धन आ सौभाग्य के देवी लक्ष्मी के स्वागत करे के मकसद से बनावल जाला। मानल जाला कि एगो हिंदू घर आ दुआर साफ-सुथरा ना होखे, ना रंगोली बनावल होखे ओह घर में दलिद्दर बसे ला।

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संपादन करीं
  1. Macnabb Cambell, James (1884). Gazetteer of the Bombay Presidency: Dháwár. Government Central Press. p. 821.