रघुवीर नारायण

भोजपुरी कवि आ स्वाधीनता सेनानी

रघुवीर नारायण (31 अक्टूबर 1884 – 1 जनवरी 1955) चाहे रघुबीर नारायण[1] भोजपुरीअंग्रेजी कवि आ भारतीय स्वाधीनता।[2][3][4] सैनानी रहलें।  इनऽकर भोजपुरी कविता बटोहिया के वन्दे मातरम् के बराबर लोकप्रियता मिलल आ भोजपुरी भाषा में भारत के राष्ट्रीय गीत मानल जाला। रघुवीर नारायण भोजपुरी मे विजय नायक रामायण[5][6] के रमणीय साहित्यिक सर्जन कके साहित्य रूपी आकाश मे सितारा नियन चमकत बारे।

रघुवीर नारायण
रघुवीर नारायण
रघुवीर नारायण
जनमरघुवीर नारायण
(1884-10-31)31 अक्टूबर 1884
छपरा, बिहार, भारत
निधन1 जनवरी 1955(1955-01-01) (उमिर 70)
पेशाकवि, स्वाधीनता सेनानी
शिक्षापटना यूनिवर्सिटी (बी.ए.)
प्रमुख रचनाबटोहिया(1911), विजय नायक रामायण
प्रमुख सम्मानसाहित्यसेवी पुरस्कार (1952-53)
संतानहरेंद्रदेव नारायण[1]

इनऽकर जनम 31 अक्टूबर 1884 के बिहार के सारण जिला के नयागाँव में भइल रहे।[7] छपरा में प्राथमिक शिक्षा आ उच्च शिक्षा पटना कालेज से पूरा कइलें। कॉलेज के दिन में उनुकर अंग्रेजी कविता के सराहना ब्रिटिश प्रोफेसरन से मिलल। 1902-1905 के बीच पटना कॉलेज में रहत घरी ऊ आपन अधिकतर कविता लिखलें।[8] कला स्नातक पूरा कइला के बाद उ बिहार के पूर्णिया जिला के बनैली एस्टेट के राजा कृत्यानन्द सिंह के निजी सचिव बनले। 1952-53 में बिहार सरकार इनके साहित्यसेवी पुरस्कार से सम्मानित कइलस।[9]

सर्जल साहित्य

संपादन करीं
  • बटोहिया
  • भारत भवानी
  • रघुवीर रस रंगा
  • रघुवीर पुत्र पुष्पा
  • निकुंज कला
  • रघुवी रस गंगा

अंग्रेजी

संपादन करीं
  • A Tale of Bihar (बिहार के खीसा)[10]
  1. 1.0 1.1 Journal of Historical Research, Volumes 2-7. Department of History, Ranchi University. 1959. p. 62.
  2. "यह रघुवीर नारायण कौन है?". Jagran. 30 October 2011.
  3. Pathak, Sunil K. Chhavi Aur Chhap. Prabhat Prakashan. p. 19. ISBN 938311049X.
  4. Bhojpuri ke kavi aur kavya. Patna: Bihar Rashtrabhasa Parishad. 1967. p. 126.
  5. "VIJAY NAYAK RAMAYAN | PRABHAKAR PANDEY | NEETU N SRIVASTAVA | NITIN NEERA CHANDRA | R2MI" (अंग्रेजी में).
  6. NestDesk (5 सितंबर 2021). "अपनी भाषा भोजपुरी में सुनिए रघुबीर नारायण द्वारा रचित "विजयी नायक रामायण", बेजोड़ से हुआ रिलीज़". Next Bihar. Next Project.
  7. Ranjan, Manish. Bihar Samanya Gyan. Prabhat Prakashan. ISBN 9386300850.
  8. Points of View: Essays in Memory of Shri Ranchor Prasad, Eminent Civil Servant, Scholar, and Social Activist. Ranchor Prasad Commemoration Committee. 2000. p. 507.
  9. Singh, Durgashankar Prasad. Bhojpuri ke Kavi aur Kavya. Patna: Kalika press.
  10. Ranjan, Manish. Bihar Samanya Gyan. Prabhat Prakashan. ISBN 9386300850.