विद्यापति: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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इनके साहित्यिक परभाव बाद के [[हिंदी भाषा|हिंदुस्तानी भाषा]], मैथिली भाषा आ [[बंगाली भाषा|बंगाली]] भाषा के साहित्य पर सीधा-सीधा, आ अप्रत्यक्ष रूप से [[नेपाली भाषा|नेपाली]], [[ओडिया]] आ [[असमिया भाषा|असमिया]] भाषा के साहित्य पर पड़ल। विद्यापति के समय अइसन रहे जेह समय साहित्य आ संपर्क के भाषा अवहट्ट रहल आ वर्तमान मैथिली, बंगाली वगैरह देसी भाषा सभ के बिकास सुरू भइल रहल, एही से इनके रचना सभ के परभाव, जे देसी बोली के साहित्य के भाषा बना के रचल गइली सऽ, एह सगरी पूरबी भाषा सभ पर परल। एही कारन बिद्यापति के भारतीय साहित्य में लगभग उहे दर्जा दिहल जाला जे इटली में [[दांते]] के भा [[इंग्लैंड]] में [[ज्यॉफ्री चॉसर|चॉसर]] के दिहल जाला।{{sfn|विद्यापति ठाकुर|1979|p=1}}
 
इनके मैथिलि रचना सभ प आधारित बिदापती नाच बाद के समय में बिहार-नेपाल के मिथिला क्षेत्र के खास बिधा के रूप में अस्थापित भइल। विद्यापति के मैथिली गीत सभ आज भी [[लोकगीत]] के रूप में सुनल-गावल जालें आ इनके रचना साहित्य में उच्च-कक्षा सभ में पढ़ावल जालीं।{{sfn|विद्यापति ठाकुर|1979|p=3}}
 
==समय==