गौतम बुद्ध: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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'''बुद्ध''' शब्द क अर्थ होला अइसन व्यक्ति जे के बोधि (मने ज्ञान) मिल गइल होखे आ [[बौद्ध धर्म]] में इहाँ के सबसे बड़ ज्ञान प्राप्त व्यक्ति मानल गइल बा आ सम्मासंबुद्ध अथवा सम्यकसम्बुद्ध कहल जाला। शाक्य कुल में जनम की कारण इहाँ के शाक्यमुनि कहल जाला। गौतम गोत्र में जनम भइल आ जनम की बाद नाँव सिद्धार्थ धराइल जेवना से इहाँ के नाँव सिद्धार्थ गौतम भइल। ज्ञान (बोधि) प्राप्त कइ लिहला पर बुद्ध, गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध आ भगवान बुद्ध कहल जाए लागल।
ज्ञान अथवा बोधि के सही स्वरूप के भाषा आ वाणी द्वारा वर्णन ना हो सकेला ओकरी ओर खाली इशारा भर कइल जा सकेला एही से गौतम बुद्ध के ''तथागत'' भी कहल जाला जेकर मतलब होला 'जे ''उहाँ'' पहुँच गइल होखे' या 'जे ''ओ'' (ज्ञान) के प्राप्त कइ लिहले होखे/प्राप्त हो गइल होखे'।
 
भगवान बुद्ध अपनी शिक्षा से [[मध्यम मार्ग]] क उपदेश दिहलीं जेवना क अर्थ होला इन्द्रिय सुख मे लिप्त रहला आ सारा इन्द्रिय सुख की निषेध की बीच के मार्ग।
सामाजिक सांस्कृतिक रूप से बुद्ध भगवान के शिक्षा ओ समय की [[ब्राह्मण]] धर्म की खिलाफ़ एगो विद्रोह की रूप में भी देखल जा सकेला काहें से की ए नया धर्म में जात-पात आ कर्मकांड क विरोध कइल गइल आ ज्ञान प्राप्त करे खातिर आपन रास्ता खुद खोजे खातिर निर्देश दिहल गइल।
 
भगवान बुद्ध आपन शिक्षा जबानी उपदेश की रूप में पूर्वी भारत में भ्रमण क के [[पालि]] भाषा में दिहलीं जेवना क बाद में [[तिब्बत]], [[चीन]], [[जापान]], [[श्री लंका|श्रीलंका]] आ वतर्मान [[इंडोनेशिया]] आ [[थाईलैंड]] ले प्रचार-प्रसार भइल।
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ऐतिहासिक गौतम बुद्ध के जीवन के समय क निर्धारण कइल बहुत मुश्किल बा। काहें से कि उहाँ की जन्म आ मरला क कौनो निश्चित समय आ तारीख़ नइखे मालूम
ज्यादातर बिद्वान लोग गौतम बुद्ध के जीवन ५६३ ई.पू. से ४८३ ई.पू. की बीच में मानेला। हालाँकि अबहिन कुछ दिन पहिले एगो संभावित बौद्ध अस्थान [[माया मंदिर]] के उत्खनन [[लुम्बिनी]] में भइल बा जेवना क तारीख ५५० ई.पू. से पहिले बतावल जात बा, अगर ई सही निकली तब गौतम बुद्ध क जीवन काल अउरी पीछे सरक जाई।
 
==पारंपरिक स्रोत ==
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ज्यादातर लोग इहे मानेला कि गौतम गोत्र की शाक्य क्षत्रिय राजा शुद्धोदन जेवन कपिलवस्तु के राजा रहलें आ महारानी महामाया देवी कि पुत्र की रूप में उहाँ के जनम भइल आ सिद्धार्थ नाँव धराइल।
कहानी की मुताबिक महारानी महामाया सपना देखली कि एगो सफ़ेद हाथी उनकी गर्भ में दाहिने ओर से प्रवेश करत बा। एकरी बाद गर्भवती रानी आपनी प्रसव खातिर नइहर जात समय लुम्बिनी नाँव की बन में लरिका के जनम दिहली। कहानी की मुताबिक राजकुमार के जनम पूर्णिमा के भइल जेवना के आज बुद्ध पूर्णिमा की रूप में मनावल जाला। कहानी इहो कहेले कि रानी के प्रसव की बाद मृत्यु हो गइल आ राजकुमार सिद्धार्थ के पालन-पोषन उनकर मौसी महाप्रजापति गौतमी कइली। ज्योतिषी लोग बिचार क के बतावल कि या त ई लरिका एगो चक्रवर्ती राजा होई या फिर भुत बड़ा संत-महात्मा।
 
===प्रारंभिक जीवन आ बियाह===
राजा शुद्धोदन अपनी ओर से सभ कोशिस कइलें की लरिका सिद्धार्थ के कौनो दुःख संताप की बारे में पता न चले आ ई महान राजा बने।
राजकुमार सिद्धार्थ के बियाह सोलह बारिस की उमिर में यशोधरा से भइल आ ऊ एगो लरिका के भी जनम दिहली जेकर नाँव राहुल भइल।
सिद्धार्थ उन्तीस बारिस कि उमिर ले राजकुमार के जीवन बितवलन।
 
===महाभिनिष्क्रमण (संन्यास)===
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महात्मा बुद्ध की एही पहिला उपदेश के [[धर्मचक्रप्रवर्तन]] कहल जाला।
एही पाँच शिष्यन की साथ उहाँ के [[संघ]] के अस्थापना कइलीं आ ई पांचो शिष्य [[अर्हत्]] बनल लोग।
एकरी बाद जे जे बौद्ध धर्म के अनुयायी बनल संघ में शामिल होत गइल आ संघ क बिस्तार होत गइल।
 
===महापरिनिर्वाण===
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[[महापरिनिर्वाण सूत्र]] की अनुसार ८० बारिस की उमिर में भगवान बुद्ध ई घोषणा क दिहलें की अब हम परिनिर्वाण के प्राप्त हो जाइबि (भौतिक देह के त्याग देइब)।
एकरी बाद ऊ कुंद नाँव की लोहार की द्वारा भेंट कइल भोजन कइलें जेवन उहाँ के अंतिम भोजन रहल एकरी बाद उहाँ के तबियत खराब हो गइल।
उहाँ के आनंद के बोला के कुंद के समुझावे के कहलीं कि ऊ ई मत समझे कि एकर दोष ओकरी पर पड़ी ए मे कुंद क कौनो दोष ना बा आ ई भोजन अतुल्य रहल ह।<ref> http://www.accesstoinsight.org/tipitaka/dn/dn.16.1-6.vaji.html#t-58</ref>
कहानी ई कहेले कि परिनिर्वाण से पहिले बुद्ध ठीक हो गइल रहलीं आ सामान्य रूप से देह त्याग कइलीं।
कुछ विद्वान लोग इहो कहेला कि उहाँके वृद्धावस्था की सामान्य लक्षण की अनुसार देह त्याग कइलीं आ ए में भोजन के दूषित रहल क कौनो बाति ना रहे।
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{{आधार}}
 
[[श्रेणी:जीवनी]]
[[श्रेणी: भारत के धर्म]]
[[श्रेणी: बौद्ध धर्म]]
[[श्रेणी: बौद्ध तीर्थ]]
[[श्रेणी: दर्शन]]
[[श्रेणी: बौद्ध दर्शन]]
[[श्रेणी: बौद्ध दार्शनिक]]