अंकोर वाट: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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बिस्तार
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एकर आधुनिक नाँव ''अंकोर वाट'' के अर्थ ''मंदिर के नगर'' या ''मंदिर के राजधानी'' बा। खमेर भाषा में ''अंकोर'' के मतलब "शहर" बा जवन इहाँ के देसी भाषा के ''नोकोर'' से निकलल मानल जाला, जवन खुद संस्कृत के ''नगर'' के बिगाड़ से बनल हऽ। ''वाट'' माने मंदिर होला जवन खुद संस्कृत के ''वाट'' शब्द के मतलब होला।<ref name=Headley77>Cambodian-English Dictionary by Robert K. Headley, Kylin Chhor, Lam Kheng Lim, Lim Hak Kheang, and Chen Chun (1977, Catholic University Press)</ref>
 
==इतिहास==
अंकोर वाट आधुनिक [[सीम रीप]] नाँव के कस्बा से ५.५ किलोमीटर के दूरी पर उत्तर ओर बाटे आ पुरनकी राजधानी, जवन बाफुनो के लगे रहे, के थोड़िके दूर दक्खिन ओर पुरुबाहुत हटि के बाटे।
अंकोर के मंदिरन में ई सभसे दक्खिन में बाटे।
 
कथा के मोताबिक एह मंदिर के निर्माण के आदेस इंद्र दिहले रहलें। तेरहवीं सदी के एगो चीनी यात्री इहो वर्णन कइलें बा की ई मंदिर, मानल जाला की, कौनों दिब्य आर्किटेक्ट एकही राति में बना दिहलें।
 
इतिहास के हिसाब से देखल जाय त ई मंदिर के सुरुआती डिजाइन बारहवीं सदी के सुरु के हिस्सा में, सूर्यवर्मन दूसरा (शासन १११३ – ल ११५० ई) बनावल गइल रहे। ई बिष्णु के समर्पित मंदिर रहे आ ई राजा के मंदिर आ एकरे आसपास के इलाका राजधानी बनावे के बिचार से डिजाइन कइल गइल रहे।
एकर मूल नाँव मालुम नइखे की का रखल गइल रहे। राजा के मरला के बाद एह मंदिर के कुछ काम अधूरा रहि गइल। सूर्यवर्मन के मौत के लगभग २७ बरिस बाद इहाँ चाम लोग, जे ख्मेर लोग के परंपरागत दुश्मन रहे, के आक्रमण भइल आ अंकोर के लूट लिहल गइल।
बाद में एकरा के जयवर्मन सातवाँ, जे इहाँ से थोड़ी दूर उत्तर में (अंकोर थोम आ बाद में बायन में) आपन राजधानी बनवलें, एह मंदिर के उद्धार कइलें। बारहवी सदी के अंत आवत-आवत ई मंदिर बौद्ध परभाव में आवत चलि गइल जवन अभिन ले जारी बाटे।
==संदर्भ==
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