संस्कृत: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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'''संस्कृत''' [[भारतीय उपमहादीप]] के एगो [[प्राचीन इतिहास|प्राचीन]] भाषा हऽ। ई [[भाषा बिज्ञान]] के हिसाब से [[इंडो-यूरोपियन भाषा|इंडो-यूरोपीय]] परिवार के भाषा हवे आ एकरे [[इंडो-आर्यन भाषा|इंडो-आर्यन]] शाखा में आवे ले। अभिन भी एह भाषा के बोले-समझे वाला लोग मौजूद बा आ एह भाषा में लिखल प्राचीन साहित्य से ले के समकालीन साहित्य तक ले के बिसाल धरोहर मौजूद बा। प्राचीन भारतीय ग्रंथ सभ के रचना एही भाषा में भइल हवे आ बिबिध बिसय सब पर बृहद मात्रा में जानकारी एह भाषा में लिखल प्राप्त होखे ले।
'''संस्कृत''' [[भारत]] मेँ बोले जायवाला एगो प्रचिन भाषा बा।
 
बिकास के क्रम के हिसाब से हे भाषा के दू गो रूप बतावल जाला: वैदिक संस्कृत, जेह में [[वेद]] सभ के रचना भइल हवे; आ लौकिक संस्कृत जेह में बाद के साहित्य आ अउरी बिबिध बिसय के ग्रंथ लिखल गइल हवें। संस्कृत भाषा के ई नाँव बिसेस संस्कार, यानी ब्याकरण इत्यादि के हिसाब से खास शुद्ध कइल भाषा, होखे के कारण मिलल हवे आ अपना इतिहास में ई अभिजात वर्ग आ पढ़ल लिखल लोग के भाषा रहल बा। एकरे साथे-साथ आम जनता के भाषा प्राकृत रहल जेकरा में कुछ साहित्य भी मिले ला आ संस्कृत साहित्य में भी एह भाषा के मिलजुल मिले ला।
 
[[श्रेणी:भाषा]]