संस्कृत: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर

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+ ज्ञानसंदूक आ कुछ बिस्तार
लाइन 1:
{{Infobox language
| name = संस्कृत
| nativename = संस्कृतम्
| pronunciation =
| region = [[भारतीय उपमहादीप]] <br /> आ [[दक्खिन पुरुब एशिया]] के भाग
| revived = कुछ भारतीय आ नेपाली अखबारन में एकरा दुबारा जियत होखे के रपट मिलल बा।
 
[[भारत]]: 14,135 भारतीय लोग एकरा के 2001 के जनगणना में आपन महतारी भाषा बतावल।:<ref name="Census">{{cite web |url = http://censusindia.gov.in/Census_Data_2001/Census_Data_Online/Language/Statement5.htm |title=Comparative speaker's strength of scheduled languages − 1971, 1981, 1991 and 2001 |work=Census of India, 2001 |publisher=Office of the Registrar and Census Commissioner, India |archive-url= https://web.archive.org/web/20090411183701/http://www.censusindia.gov.in/Census_Data_2001/Census_Data_Online/Language/Statement5.htm |archive-date=11 April 2009 |accessdate=31 December 2009}}</ref>
 
[[नेपाल]]: 1,669 नेपाली लोग 2011 के जनगणना में एकरा के आपन महतारी भाषा बतावल।<ref>http://cbs.gov.np/image/data/Population/Population%20Monograph%20of%20Nepal%202014/Population%20Monograph%20V02.pdf</ref>
| era = c. 2री-सहस्राब्दी ईसा पूर्ब – 600 ईसापूर्ब (वैदिक संस्कृत<ref>{{cite book|author=Uta Reinöhl |title=Grammaticalization and the Rise of Configurationality in Indo-Aryan |url=https://books.google.com/books?id=nR_4CwAAQBAJ |year=2016 |publisher=Oxford University Press| isbn=978-0-19-873666-0|pages=xiv, 1–16}}</ref>), एकरे बाद मध्य-जुग के इंडो-आर्यन भाषा सभ के बिकास भइल।
| speakers2 = जारी
| familycolor = इंडो-यूरोपियन
| fam2 = इंडो-ईरानियन
| fam3 = [[इंडो-आर्यन भाषा|इंडो-आर्यन]]
| ancestor = [[वैदिक संस्कृत]]
| script = [[देवनागरी]]<br />आ अउरी [[ब्राह्मी लिखाई|ब्रह्मिक लिखाई]] सभ में<ref name="aboutworldlanguages.com">"http://aboutworldlanguages.com/sanskrit"</ref>
| nation =
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| iso3 = san
| image =
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| notice = Indic
| glotto = sans1269
| glottorefname = Sanskrit
| notice2 = IPA
}}
'''संस्कृत''' [[भारतीय उपमहादीप]] के एगो [[प्राचीन इतिहास|प्राचीन]] भाषा हऽ। ई [[भाषा बिज्ञान]] के हिसाब से [[इंडो-यूरोपियन भाषा|इंडो-यूरोपीय]] परिवार के भाषा हवे आ एकरे [[इंडो-आर्यन भाषा|इंडो-आर्यन]] शाखा में आवे ले। अभिन भी एह भाषा के बोले-समझे वाला लोग मौजूद बा आ एह भाषा में लिखल प्राचीन साहित्य से ले के समकालीन साहित्य तक ले के बिसाल धरोहर मौजूद बा। प्राचीन भारतीय ग्रंथ सभ के रचना एही भाषा में भइल हवे आ बिबिध बिसय सब पर बृहद मात्रा में जानकारी एह भाषा में लिखल प्राप्त होखे ले।
 
बिकास के क्रम के हिसाब से हे भाषा के दू गो रूप बतावल जाला: वैदिक संस्कृत, जेह में [[वेद]] सभ के रचना भइल हवे; आ लौकिक संस्कृत जेह में बाद के साहित्य आ अउरी बिबिध बिसय के ग्रंथ लिखल गइल हवें। संस्कृत भाषा के ई नाँव बिसेस संस्कार, यानी ब्याकरण इत्यादि के हिसाब से खास शुद्ध कइल भाषा, होखे के कारण मिलल हवे आ अपना इतिहास में ई अभिजात वर्ग आ पढ़ल लिखल लोग के भाषा रहल बा। एकरे साथे-साथ आम जनता के भाषा प्राकृत रहल जेकरा में कुछ साहित्य भी मिले ला आ संस्कृत साहित्य में भी एह भाषा के मिलजुल मिले ला।
 
बाद के कई इंडो-आर्यन भाषा सभ, जइसे कि [[भोजपुरी]], [[नेपाली]], [[हिंदी]], मराठी, बांग्ला इत्यादि के बिकास संस्कृत से होखल बतावल जाला, हालाँकि, एह बात के बिपरीत कई बिद्वान लोग माने ला कि एह भाषा सभ के बिकास संस्कृत के समांतर बोलल जाए वाली प्राकृत सभ से भइल आ संस्कृत के परभाव भर पड़ल।
 
{{clear}}
==संदर्भ==
{{Reflist|33em}}
 
[[श्रेणी:भाषा]]