संगम काल: रिवीजन सभ के बीचा में अंतर
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'''संगम काल''' चाहे '''संगम युग''', [[भारत]] के प्राचीन इतिहास के कालखंड हवे जेह में वर्तमान [[तमिलनाडु]] आ [[केरल]] वाला क्षेत्र के पुरान इतिहास, लगभग 5वीं सदी ईसापूर्ब से 3सरी सदी ईसवी ले के इतिहास आवे ला। एह काल के नाँव [[संगम साहित्य]] के नाँव पर रखल गइल हवे। ई संगम के अरथ पुरानी [[तमिल भाषा]] में कबिता करे वाला कबी लोग के समूह के रूप में लिहल जाला जे लोग ओज जमाना में मदुरै नगर में स्थित रहल। ओह समय के तमिल भाषा बोले वाला इलाका में आज के तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सा, कर्नाटक के कुछ हिस्सा, आंध्र के कुछ हिस्सा आ उत्तर श्रीलंका (ओहा समय के ईलम) सामिल बा। एह इलाका के नाँव (तमिलऽक्कम, {{Lang-ta|தமிழகம்}}) हवे।
== समय ==
संगम युग के बिस्तार कब से कबतक ले रहल एह बारे में बिद्वान लोग एकमत नइखे। कुछ प्रमुख बिद्वान लोग के मत एह मामिला में नीचे दिहल जात बा:
* 500 ईपू से 500 ईसवी — ई मत श्रीनिवास अय्यंगर के हवे। बी आर रामचंद्र दीक्षितार एह मत के बाद में समर्थन कइलें। परंपरा अनुसार एही मत के सभसे ढेर मान्यता बाटे।
* 500 ईपू से 300 ईसवी — प्रो. नीलकंठ शास्त्री के मत हवे।
* 300 ईपू से 300 ईसवी — एन सुब्रमण्यम अय्यर के मत हवे।
* 300 ईसवी से 500 ईसवी — एस वैयप्पुरी पिल्लई के मत हवे।
* 300 ईसवी से 600 ईसवी — प्रो. रामशरण शर्मा के मत हवे।
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== संदर्भ ==
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