शंकरदेव
श्रीमंत शंकरदेव (1449–1568) आसाम के एगो संत, बिद्वान, कवी, नाटककार, धार्मिक-सामाजिक सुधारक रहलें जिनकर आसाम के संस्कृति आ इतिहास में बिसेस अस्थान बाटे। भारत के 15वीं-16वीं सदी के जमाना के इतिहास में, जवना समय लगभग पूरा भारत में भक्ती-आंदोलन चलल आ गुरु नानक, रामानंद, नामदेव, कबीर, चैतन्य महाप्रभु नियर लोग बाकी जगह पर भक्ती के उपदेश देत रहल, शंकरदेव आसाम में एह आंदोलन के अगुआ बनलें। उनुका के पुराना परंपरा के बचल-खुचल सांस्कृतिक धरोहर के सहेज के ओकरे साथे नया किसिम के संगीत (बोरगीत), नया किसिम के नाटक के बिधा (अनिका नाट, भाओना), नया नाच के रूप (सत्त्रिया) नया किसिम के साहित्यिक भाषा (ब्रजबुली) नियर चीजन के परंपरा चलावे खाती जानल-मानल जाला। शंकरदेव बहुते सगरी साहित्य के रचना कइलेन जेह में बिद्वान लोग खाती बिबिध धार्मिक ग्रंथ, भक्ती के ग्रंथ, कबिता आ गीत, नाटक नियर चीज सामिल बाटे।
श्रीमंत शंकरदेव | |
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जनम | 26 सितंबर 1449, बोरदोआ (अब नगाओं जिला में) आसाम, भारत |
निधन | 23 अगस्त 1568, मंगर भेलादोंगा, ( अब कूच बिहार जिला), बंगाल |
पदवी/उपाधि/सम्मान | "महापुरुष" |
अस्थापक | एकासरन धर्म |
दर्शन | एकासरन धरम |
जीवनी
संपादन करींश्रीमंत शंकरदेव के जनम असम के नौगांव जिला के बरदौवा के पास अलीपुखरी में भईल रहे। इनके जनम तिथि के बारे में अबहिन ले बिबाद बाटे, हालाँकि आमतौर पर एकरा के 1371 के शाका मानल जाला। जन्म के कुछ दिन बाद उनकर माई सत्यसंध्या के निधन हो गईल। 21 साल के उमिर में उनकर बियाह सूर्यवती से हो गईल रहे। मनु कन्या के जनम के बाद सूर्यवती परलोक नारी बनली।
32 साल के उमिर में शंकरदेव मोहभंग हो गइलन आ आपन पहिला तीर्थ यात्रा शुरू कइलन आ उत्तर भारत के सगरी तीर्थस्थल के दौरा कइलन। शंकर के रूपा गोस्वामी अउरी सनातन गोस्वामी से भी साक्षात्कार भईल रहे। तीर्थ यात्रा से लवटला के बाद शंकरदेव के बियाह 54 साल के उमर में कालिंदी से भईल।तिरहुतिया ब्राह्मण जगदीश मिश्रा बरदौवा जाके शंकरदेव के भागवत सुनवले आ ई किताब उनुका के भेंट कइले। शंकरदेव जगदीश मिश्र के स्वागत में "महानत" के प्रस्तुति के आयोजन कईले। एहसे पहिले “चिहल्यात्र” के तारीफ भइल रहे। शंकरदेव 1438 शाका में भुइयां राज्य छोड़ के अहोम राज्य में प्रवेश कईले। संस्कारी विप्रा लोग शंकरदेव के भक्ति उपदेश के घोर विरोध कइले। ब्राह्मण लोग दिहिगिया राजा से प्रार्थना कइल कि शंकर वैदिक विरोधी विचारन के प्रचार करत बाड़न. कुछ पूछताछ के बाद राजा उनुका के निर्दोष घोषित क देले। हाथीधारा घटना के बाद शंकरदेव भी अहोम राज्य छोड़ देले। 18 साल पटवौसी में रहला के बाद उहाँ के कई गो किताब लिखनी। 67 साल के उमिर में उहाँ के कई गो किताब लिखलें। 97 साल के उमर में दूसरा बेर तीर्थ यात्रा शुरू कईले। उ कबीर के मठ में जाके श्रद्धांजलि अर्पित कईले। एह यात्रा के बाद उ बारपेटा वापस आ गईले। कोच राजा नारानारायण शंकरदेव के नेवता देले। 1490 शाका में कूच बिहार में वैकुण्ठ गामी बनले।
शंकरदेव के वैष्णव संप्रदाय के मान्यता एगो शरण ह। एह धर्म में मूर्तिपूजा के कवनो प्रधानता नइखे। धार्मिक परब के समय मंच पर खाली एगो पवित्र पुस्तक रखल जाला आ खाली उहे भोलापन आ भक्ति के रूप में चढ़ावल जाला। एह संप्रदाय में दीक्षा के कवनो व्यवस्था नइखे।
रचनाएँ
संपादन करींशंकरदेव द्वारा रचित प्रथम कविता निम्नलिखित है-
- करतल कमल कमल दल नयन।
- भबदब दहन गहन बन शयन॥
- नपर नपर पर सतरत गमय।
- सभय मभय भय ममहर सततय॥
- खरतर बरशर हत दश बदन।
- खगचर नगधर फनधर शयन॥
- जगदघ मपहर भवभय तरण।
- परपद लय कर कमलज नयन॥
काव्य
संपादन करीं- हरिश्चन्द्र उपाख्यान
- अजामिल उपाख्यान
- रुक्मिणी हरण काव्य
- बलिछलन
- अमृत मन्थन
- गजेन्द्र उपाख्यान
- कुरुक्षेत्र
- गोपी-उद्धव संवाद
- कृष्ण प्रयाण - पाण्डव निर्वारण
भक्तितत्त्व प्रकाशक ग्रन्थ
संपादन करीं- भक्ति प्रदीप
- भक्ति रत्नाकर (संस्कृत)
- निमि-नव-सिद्ध संवाद
- अनादि पातन
अनुवादमूलक ग्रन्थ
संपादन करीं- भागवत प्रथम, द्वितीय
- दशम स्कन्धर आदिछोवा
- द्बादश स्कन्ध
- रामायणर उत्तरकाण्ड
नाटक
संपादन करीं- पत्नी प्रसाद
- कालिय दमन
- केलि गोपाल
- रुक्मिणी हरण
- पारिजात हरण
- राम विजय
गीतः
संपादन करीं- बरगीत[2]
- भटिमा (देवभटिमा, नाटभटिमा, राजभटिमा)
- टोटय
- चपय
नाम-प्रसंग ग्रन्थ
संपादन करीं- कीर्तन घोषा
- गुणमाला
- हरिश्चन्द्र उपाख्यान
- भक्ति प्रदीप
- अनादि पतन
- अजामिल उपाख्यान
- अमृत मन्थन
- बलि छलन
- आदि दशम
- कुरुक्षेत्र
- निमि-नव-सिद्ध संवाद
- उत्तरकाण्ड रामायण (अनुवाद)
- पत्नीप्रसाद, कालिय दमन यात्रा, केलि गोपाल, रुक्मिणी हरण, पारिजात हरण, राम विजय आदि नाटक
- भक्तिरत्नाकर (संस्कृत)
संदर्भ
संपादन करीं- ↑ This portrait, created by Bishnu Rabha in the 20th-century, is generally accepted as the "official" portrait of Sankardev, whose likeness in pictorial form is not available from any extant form A Staff Reporter (14 October 2003). "Portrait of a poet as an artist". The Telegraph. Retrieved 8 May 2013.
- ↑ बिपुलज्योति डट इन