शेखर: एक जीवनी अज्ञेय के लिखल उपन्यास हवे जे दू भाग में छपल बा। पहिला भाग के प्रकाशन 1941 में भइल। मूल रूप से ई उपन्यास तीन भाग में लिखल गइल रहे, जब अज्ञेय दिल्ली षडयंत्र केस में जेल में बंद रहलें, तीसरा भाग कबो छपल ना काहें कि जेलर एकर हाथ से लिखल प्रति जब्त क लिहलें आ लवटवलें ना।

उपन्यास में "शेखर" नाँव के एगो ब्यक्ति के जीवन के बिकास देखावल गइल बा आ एह बिकास के क्रम के मनोबैज्ञानिक बिस्लेषण कइल गइल बा। कई लोग ई माने ला कि उपन्यास के रूप में शेखर अज्ञेय के खुद के जीवन कथा हवे। हालाँकि, उपन्यास के भूमिका में आ बाद में भी अज्ञेय खुद कहलें कि एह में उनके जीवन से बहुत समानता बा, बाकिर पात्र के बिकास के साथ-साथ ऊ अलग होखत चल गइल बा।[1]

इहो देखल जाय

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  1. द्विवेदी, अमरेश (6 मार्च 2011). "अज्ञेय के तीन अहम उपन्यास". bbc.com/hindi (हिंदी में). बीबीसी हिंदी. Retrieved 27 जून 2017.

बाहरी कड़ी

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