काँवर यात्रा
काँवर यात्रा भा कांवड़ यात्रा एगो हिंदू तीर्थ यात्रा हवे जेह में सावन के महीना में गंगाजल भर के ओकरा के काँवर पर ढोवल जाला आ पैदल यात्रा क के लोकल शिव मंदिर भा कौनों बिसेस शिव मंदिर में शंकर जी पर चढ़ावल जाला। अइसन यात्रा करे वाला लोगन के "काँवरिया" चाहे "भोले" कहल जाला। बिहार में ई देवघर के बाबा धाम (वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग) के प्रमुख यात्रा हवे। यात्री लोग "बोल बम" के नारा लगावे ला।
हालाँकि, अइसन यात्रा के पुरान समय से होखे के उल्लेख मिले लें, 1980 के दशक के बाद से एकर पापुलरिटी बढ़ल आ कुछ इलाकन में एह में भारी बढ़ती देखे में आइल बाटे। खास क के उत्तराखंड के हरिद्वार से होखे वाली कांवड़ यात्रा के भारी पापुलरिटी भ गइल बाटे। एकरा बढ़ती में सांस्कृतिक-राजनीतिक ताकत सभ के हाथ भी मानल गइल बाटे।[1]
परिचय
संपादन करींकाँवर यात्रा के सुरुआत कब भइल एकरा बारे में कौनों इतिहासी जानकारी ना मिले ला, पूरा चीज कथा-कहानी प आधारित बा आ कुछ जगह ई बतावल जाला कि सभसे पहिले परशुराम जी काँवर यात्रा के सुरुआत कइले रहलन।[2]
संदर्भ
संपादन करीं- ↑ तिवारी, राकेश. पत्रकारिता की खुरदरी जमीन (हिंदी में). वाणी प्रकाशन. p. 139. ISBN 978-93-5072-974-8. Retrieved 6 जुलाई 2023.
- ↑ Shandilya, Rajeshwari (1 जनवरी 2009). Bharatiya Parva Evam Tyohar: Bestseller Book by Rajeshwari Shandilya: Bharatiya Parva Evam Tyohar (हिंदी में). Prabhat Prakashan. ISBN 978-81-7315-617-5. Retrieved 6 जुलाई 2023.
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