काँवर यात्रा
काँवर यात्रा भा कांवड़ यात्रा एगो हिंदू तीर्थ यात्रा हवे जेह में सावन के महीना में गंगाजल भर के ओकरा के काँवर पर ढोवल जाला आ पैदल यात्रा क के लोकल शिव मंदिर भा कौनों बिसेस शिव मंदिर में शंकर जी पर चढ़ावल जाला। अइसन यात्रा करे वाला लोगन के "काँवरिया" चाहे "भोले" कहल जाला। बिहार में ई देवघर के बाबा धाम (वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग) के प्रमुख यात्रा हवे। यात्री लोग "बोल बम" के नारा लगावे ला।
![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/5/57/Basukinath_Dhaam%2C_Jharkhand_27072010011.jpg/220px-Basukinath_Dhaam%2C_Jharkhand_27072010011.jpg)
हालाँकि, अइसन यात्रा के पुरान समय से होखे के उल्लेख मिले लें, 1980 के दशक के बाद से एकर पापुलरिटी बढ़ल आ कुछ इलाकन में एह में भारी बढ़ती देखे में आइल बाटे। खास क के उत्तराखंड के हरिद्वार से होखे वाली कांवड़ यात्रा के भारी पापुलरिटी भ गइल बाटे। एकरा बढ़ती में सांस्कृतिक-राजनीतिक ताकत सभ के हाथ भी मानल गइल बाटे।[1]
परिचय
संपादन करींकाँवर यात्रा के सुरुआत कब भइल एकरा बारे में कौनों इतिहासी जानकारी ना मिले ला, पूरा चीज कथा-कहानी प आधारित बा आ कुछ जगह ई बतावल जाला कि सभसे पहिले परशुराम जी काँवर यात्रा के सुरुआत कइले रहलन।[2]
संदर्भ
संपादन करीं- ↑ तिवारी, राकेश. पत्रकारिता की खुरदरी जमीन (हिंदी में). वाणी प्रकाशन. p. 139. ISBN 978-93-5072-974-8. Retrieved 6 जुलाई 2023.
- ↑ Shandilya, Rajeshwari (1 जनवरी 2009). Bharatiya Parva Evam Tyohar: Bestseller Book by Rajeshwari Shandilya: Bharatiya Parva Evam Tyohar (हिंदी में). Prabhat Prakashan. ISBN 978-81-7315-617-5. Retrieved 6 जुलाई 2023.
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