काली मरिच (Piper nigrum) एक ठो लता होला जवना में फूल आ फर लागे ला। मुख्य रूप से एकरा के फर खातिर उपजावल जाला जवन मसाला में इस्तेमाल होला। एकर फर लंबा झोंपा में फरे ला। फर सभ बहुत छोट-छोट कोइली वाला गोला होलें जे एक ठे लर में झोंप नियर लटकल होलें। झोंपा के तूर के थोड़ी देर ले गरम पानी में उसिन दिहल जाला जौना से बाहरी छिलका उतर जाला आ एकरा के सुखावत घरी एकर रंग करिया करे वाला एंजाइम सब के काम करे के मोका मिल जाला। कुछ दिन ले सुखावत समय एकरा ऊपरी परत पर सिकुड़न पैदा हो जाले। सुखा दिहला के बाद ई मसाला के रूप में इस्तेमाल खातिर तइयार हो जाला।

काली मरिच
काली मरीच के लता, आ फर।
बैज्ञानिक वर्गीकरण
किंगडम: पौधा
(बिना रैंक कइल): fruits
(बिना रैंक कइल): Magnoliids
ऑर्डर (Order): Piperales
परिवार: Piperaceae
जाति (Genus): Piper
प्रजाति: P. nigrum
दूपद नाँव
Piper nigrum
लि॰[1]

काली मरिच मूल रूप से भारत के पौधा हवे। दक्खिन भारत में एकर बड़ा पैमाना पर खेती होला। हालाँकि, अब ई उष्णकटिबंधीय जलवायु वाला कई देसवन में उपजावल जात बाटे। बरिस 2013 के आँकड़ा देखल जाय तब वियतनाम एकर सभसे ढेर उत्पादन करे वाला देस बाटे।

त्रिवेंद्रम, केरल में मरिच के गुच्छा।

इहो देखल जाय

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  1. "Piper nigrum information from NPGS/GRIN". www.ars-grin.gov. Retrieved 10 मई 2016.