कृषि भूगोल
खेती के भूगोल भा कृषि भूगोल (अंग्रेजी: Agricultural geography, एग्रिकल्चरल ज्याॅग्रफी) मानव भूगोल के अंतर्गत आवे वाली शाखा आर्थिक भूगोल के एगो उपशाखा हउवे। खेती के बैस्विक आ क्षेत्रीय पैटर्न के अध्ययन एकर मुख्य बिसय हवे — बिस्व के बिबिध कृषि प्रकार, कृषि अवस्थिति (लोकेशन), आ कृषि प्रदेश नियर चीज एह शाखा के अंतर्गत पढ़ल जालें। हालाँकि, खेती से जुड़ल उत्पादन के अध्ययन परंपरागत रूप से प्रमुख बा जबकि उपभोग से जुड़ल चीज के अध्ययन पर जोर कम बा।
बिसयबस्तु
संपादन करींपरंपरागत रूप से खेती के भूगोल मानव भूगोल के शाखा आर्थिक भूगोल के उपशाखा के रूप में देखल जाला। आर्थिक भूगोल में मनुष्य के बिबिध प्राथमिक, द्वीतीयक, तृतीयक वगैरह आर्थिक क्रिया सभ के भूगोली पैटर्न के अध्ययन कइल जाला। खेती के, जे आजीविका (जीवन चलावे के आगम) आ खुद के उपभोग खाती कइल जाय, प्राथमिक क्रिया मानल जाला।
स्वतंत्र रूप से, भूगोल के शाखा के रूप में कृषि भूगोल के अध्ययन के प्रमुख बिसय नीचे दिहल बाड़ें:[1]
- एह चीज के ब्याख्या कि धरती पर बिबिध किसिम के खेती के बितरण एक जगह से दुसरे जगह कइसे असमान बितरण लिहले बा आ ओह जगह सभ के स्पेशियल (स्थानिक) अरेंजमेंट में खेती कइसे सामंजस्य लिहले बा,
- कइसे कौनों खास इलाका में खास किसिम के खेती बिकसित भइल बा आ बाकी जगह से ई कइसे अलग बा,
- खेती के सिस्टम (फार्मिंग सिस्टम) कइसे ऑपरेट करे लें आ इनहन में बदलाव कइसे होखे ला,
- खेती में हो रहल बदलाव के दिसा, कहाँ कइसन बा, आ काहें ई बदलाव हो रहल बा, अउरी
- फसल के क्षेत्रीय भा प्रादेशिक पैटर्न का बा, खेती के प्रादेशिक बिभाजन में बिकास के बिबीधता आ असमानता कवना तरह के बा।
लोकेशन मॉडल
संपादन करींकवना किसिम क खेती कहाँ, आ काहें हो रहल बा एकर बिस्लेषण खेती के लोकेशन संबंधी सिद्धांत द्वारा कइल जाला। वॉन थ्यूनेन मॉडल अइसने एगो सैद्धांतिक मॉडल हवे जे ई बतावे ला कि बाजार के सेंटर से दूरी बढ़े प खेती के पैटर्न में कइसे बदलाव होखे ला।
भारत में
संपादन करींभारत में कृषि भूगोल के क्षेत्र में काम के शुरुआत दक्खिनी भारत में भइल।[2] के. सी. रामकृष्णन, एस. एम्. सी. अय्यर, राजमनिक्कम आ गोपालन नियर बिद्वान लोग एह क्षेत्र के छोट छोट इलाका सभ के खेती के भूगोल के विवरण पर काम कइल। उत्तर भारत में सबसे पहिले बी.एन. मुखर्जी उत्तर प्रदेश के कृषि भूगोल पर काम कइलें आ इनके एडिनबरा इन्वर्सिटी से एह बिसय पर पी.एच.डी. मिलल; बिहार के कृषि भूगोल पर पी. दयाल के लंदन से पी.एच.डी के उपाधि मिलल। दयाल पंजाब के खेती के भूगोल पर काम कइलें आ जसवीर सिंह हरियाणा के हिसार इलाका के खेती के समस्या पर काम कइलें।
भारत के कृषि प्रदेश के वर्गीकरण कई बिद्वान लोग बिबिध आधार पर कइल जेह में एम. एस. रंधावा (1958), पी. सेनगुप्त (1968) आ आर. एल. सिंह (1971) के वर्गीकरण प्रमुख बाड़ें।[2]
इहो देखल जाय
संपादन करींसंदर्भ
संपादन करीं- ↑ S. S. Dhillon (2004). Agricultural Geography. Tata McGraw-Hill Education. pp. 6–. ISBN 978-0-07-053228-1.
- ↑ 2.0 2.1 गर्ग, एच. एस. (9 नवंबर 2021). भौगोलिक चिंतन (हिंदी में). SBPD Publications. pp. 146–147.
बाहरी कड़ी
संपादन करींविकिमीडिया कॉमंस पर संबंधित मीडिया Agricultural maps पर मौजूद बा। |
- Laingen, Chris; Butler Harrington, Lisa M. (26 फरवरी 2013). "Agricultural Geography" (अंग्रेजी में): 9780199874002–0060. doi:10.1093/obo/9780199874002-0060.
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: Cite journal requires|journal=
(help)</ref> - Rumney, Thomas A. (2005). The study of agricultural geography : a scholarly guide and bibliography. Lanham, Md.: Scarecrow Press. ISBN 9780810857025.
- Grigg, David (2 सितंबर 2003). An Introduction to Agricultural Geography (अंग्रेजी में). Routledge. ISBN 978-1-134-88764-4.
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