गुरुचि
गुरुचि, गुरुची, चाहे गिलोय (बैज्ञा. नाँव: टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया) एगो लता हवे जेकर पतई पान के पत्ता नियर होला। ई लता भारतीय उपमहादीप के गरम इलाका सभ में पावल जाले। परंपरागत रूप से आ आयुर्वेद में एकर इस्तेमाल कई गो बेमारी ठीक करे खातिर दवाई के रूप में होला।[1] आम इस्तेमाल एकरे डाँटी के काढ़ा बनावल हवे। आयुर्वेद में एकर स्वरस, सत्व, चूर्ण आ घनबटी के रूप में इस्तेमाल होला। आमतौर पर जर-बोखार के दवाई मानल जाला बाकी एकरे अलावा अउरी कई किसिम के बेमारी के इलाज भा रोकथाम में इस्तेमाल होखे ले।
गुरुचि | |
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बैज्ञानिक वर्गीकरण | |
किंगडम: | प्लेंटाई (Plantae) |
क्लैड (Clade): | एंजियोस्पर्म (Angiosperms) |
क्लैड (Clade): | यूडिकॉट्स (Eudicots) |
ऑर्डर (Order): | Ranunculales |
परिवार: | Menispermaceae |
जाति (Genus): | Tinospora |
प्रजाति: | T. cordifolia |
दूपद नाँव | |
Tinospora cordifolia (Thunb.) Miers |
ई लता, आमतौर पर जंगल में से ले के सड़क किनारे, खेत आ बगइचा सभ के डाँड़-मेड़ पर पेड़ सभ के ऊपर चढ़ के पसर जाले। जइसे बरगद के फेड़ में बरोह निकसे ला ओही तरे एहू के बरोह निकले ला आ नया पौधा बन जाला। एकर फर लाल रंग के होलें आ अंगूर नियर झोंपा में फरे लें जिन्हना के कौनो जानवर भा चिरई ना खालें।
नाँव
संपादन करींई मूल रूप से भारत आ आसपास के पौधा हवे। भारत के लगभग सगरी भाषा सभ में एकर कुछ न कुछ नाँव मिले ला।
संस्कृत में, जेह में आयुर्वेद के कई ठो ग्रंथ सभ में एकर जिकिर आ बिबरन मिले ला, एकर कई गो नाँव मिले लें; कुछ प्रमुख नाँव - अमृता, अमृतलता, अमृतवल्ली, छिन्नोद्भवा आ गुडूची बाड़ें। हिंदी भाषा में एकर नाँव गिलोय परसिद्ध बाटे; एकरे अलावा गुरुच, गुडूची अउरी नाँव हवे। मराठी में एकरा के गुडूची आ गुळवेल कहल जाला। पंजाबी में गल्लो; तेलुगु में टिप्पा-तीगा आ तमिल भाषा में शिंदीलाकोडी कहल जाला।
भारत से बाहर, नैपाल में एकरा के गुर्जो, आ लंका में सिंहली भाषा में रसकिंदा के नाँव से जानल जाला।
गैलरी
संपादन करीं-
डाँठ भा डाँटी
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पतई
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फूल
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काँच फर
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पाकल फर
संदर्भ
संपादन करीं- ↑ Bimal K. Banik (April 2020). Green Approaches in Medicinal Chemistry for Sustainable Drug Design. Elsevier. pp. 762–. ISBN 978-0-12-817592-7.
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