घनानंद
घनानंद (जनम 1673 (अनुमान) - निधन 1739[1] भा 1761[2]) ब्रजी भा ब्रजभाषा में रचना करे वाला एगो कवी रहलें। चूँकि, इनके समय के ब्रजभाषा काब्य के अध्ययन हिंदी साहित्य में कइल जाला, इनके गिनती हिंदी के रीतिकाल के कबी लोग में होखे ले। जे लोग एह समय के भारतीय इतिहास आधारित काल बिभाजन अनुसार देखे ला ऊ लोग इनके मध्यकाल के कवी के रूप में देखे ला। बतावल जाला कि घनानंद के असली नाँव आनंद घन रहल आ ई मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीले के दरबार में मीर मुंशी रहलें। बाद में राजा इनके दरबार से निकाल दिहलें जेकरे बाद ई बृंदाबन में निंबार्क संप्रदाय में दीक्षा ले के कृष्ण भक्त बन गइलेन।
घनानंद के भक्ति आ प्रेम के कबी मानल जाला। इनके कई गो रचना सभ खोज में मिलल बाड़ी सऽ, वर्तमान में इनके सगरी रचना सभ के संकलन घनानंद-ग्रंथावली के नाँव से उपलब्ध बा। इनके बहुत सारा कबित्त सभ के अंग्रेजी भाषा में भी अनुबाद भइल बा लव सौंग्स ऑफ घनानंद के नाँव से।[3]
घनानंद के मउअत मथुरा में, अहमद शाह अब्दाली के पहिला हमला (1739)[1] भा दूसरा हमला (1761)[2] के समय भइल बतावल जाला।
संदर्भ
संपादन करीं- ↑ 1.0 1.1 Amaresh Datta (1988). Encyclopaedia of Indian Literature: Devraj to Jyoti. Sahitya Akademi. pp. 1385–. ISBN 978-81-260-1194-0.
- ↑ 2.0 2.1 सिंह, बच्चन. हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास. राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली. पन्ना 225-226.
- ↑ Anandaghana (1991). Love Poems of Ghanānand. Motilal Banarsidass Publishe. p. 1. ISBN 978-81-208-0836-2.
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