भारतीय राष्ट्रीय प्रतिज्ञा
भारतीय राष्ट्रीय प्रतिज्ञा भारत गणराज्य के बदे निष्ठा के शपथ बा। सामान्य रूप से एकर पाठ भारतीय प्रजा सार्वजनिक आयोजनन में, मुख्य रूप से विद्यालयन में, आ स्वतंत्रता दिवस आ गणतंत्र दिवस के उत्सव के बेरा एकसुरताल में पाठोच्चार करेले। सामान्य रूप से ई विद्यालयन के पाठ्यपुस्तक आ पञ्चाङ्गन के सुरुआती पन्नन में छापल भेटाला। एकर पाठ बहुते भारतीय विद्यालयन के भिनिसार सभा में होला। यद्यपी, ई प्रतिज्ञा भारतीय संविधान के भाग नईखे।
ई प्रतिज्ञा मूररूप से तेलुगु भाषा में पैडीमारी वेंकटा सुब्बा राव द्वारा 1962 में रचल गइल रहे। एकर पहिला बेर 1963 में विशाखापट्टनम् के एगो विद्यालय में पाठोच्चारल गइल आ एकरा बाद एकर अनुवाद बिबिध भारतीय भाषा में भइल।
जनक परिचय
संपादन करींभारतीय राष्ट्रीय प्रतिज्ञा के रचना पैडिमारी वेंकटा सुब्बा राव कइले रहलें। तेलुगु के नामीयर लेखक आ अधिकारी सुब्बाराव, एह प्रतिज्ञा के रचना 1962 में विशाखापट्टनम् के जिला कोषाधिकारी के रूप में काम करत घरी कइले रहले। ऊ ई प्रतिज्ञापत्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तेनेटी विश्वनाधम के भेंट कइलन, जे एकरा के ओह बेरा के शिक्षा मंत्री पी.वी.जी. राजू। सुब्बा राव के जनम तेलङ्गाणा के नलगोंडा जिला के एनेपार्टी गाँव में भइल रहे। ऊ तेलुगु , [1]संस्कृतम् , हिंदी, अंग्रेजी आ अरबी भाषा के बिद्वान रहले। हैदराबाद राज्य में कोषागार अधिकारी के रूप में काज करत रहले। आंध्र प्रदेश के स्थापना के बाद ऊ खम्मम् , निजामाबाद, नेल्लोर, विशाखापत्तनम् आ नलगोंडा जिला में काम कइलें। ई प्रतिज्ञा केतनहे विद्यालयन में 1963 में अमल भइल।
भारतीय राष्ट्रीय प्रतिज्ञा के पाठ सामान्य रूप से भारतीय प्रजा सार्वजनिक आयोजन में, केतनहे भारतीय विद्यालयन में प्रार्थना सभा के बेरा, आ स्वतंत्रता दिवस आ गणतंत्र दिवस के स्मरण समारोह के बेरा करेले। राष्ट्रगान आ राष्ट्रगीत के विपरीत, जवना के रचनिहार सुप्रसिद्ध बाड़े, सुब्बा राव राष्ट्रीय प्रतिज्ञा के रचनिहार बहुते बहुत कम जानल-मानल बेकऽत बाड़े, उनकर नाँव ना त कवनो किताब में आइल बा, ना कवनो दस्तावेज में। यद्यपि भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अभिलेखा में सुब्बा राव के राष्ट्रीय प्रतिज्ञा के सर्जक के रूप में दर्ज बा। सुब्बा राव खुदे आपन रचना के हाल ना जानत रहले के उनकर रचना राष्ट्रगान आ राष्ट्रगीत के समान राष्ट्रीय प्रतिज्ञा के रूप में प्रसिद्धि अरजलेले बाटे। ई बात उनका तब मालूम चलऽल जब उनकर पोती आपन पाठ्यपुस्तक से प्रतिज्ञा पढ़त रहली।
जनक लेखा
संपादन करींభారతీయులందరు నా సహోదరులు, సోదరీమణులు
నేను నా దేశమును ప్రేమించుచున్నాను.
సుసంపన్నమైన, బహువిధమైన నాదేశ వారసత్వసంపద నాకు గర్వకారణము.
దీనికి అర్హుడనగుటకై సర్వదా నేను కృషి చేయుదును.
నా తల్లిదండ్రులను, ఉపాధ్యాయులను, పెద్దలందరిని గౌరవింతును.,
ప్రతివారితోను మర్యాదగా నడచుకొందును.
నా దేశముపట్లను, నా ప్రజలపట్లను సేవానిరతి కలిగియుందునని ప్రతిజ్ఞ చేయుచున్నాను.
వారి శ్రేయోభివృద్ధులే నా ఆనందమునకు మూలము.
लिपियांतर;
भारतीयुलंदरु ना सहोदरुलु, सोदरीमणुलु।
नेनु ना देशमुनु प्रेमिंचुचुन्नानु।
सुसंपन्नमैन, बहुविधमैन नादेश वारसत्वसंपद नाकु गर्वकारणमु।
दीनिकि अर्हुडनगुटकै सर्वदा नेनु कृषि चेयुदुनु।
ना तल्लिदंड्रुलनु, उपाध्यायुलनु, पॆद्दलंदरिनि गौरविंतुनु।
प्रतिवारितोनु मर्यादगा नडचुकॊंदुनु।
ना देशमुपट्लनु, ना प्रजलपट्लनु सेवानिरति कलिगियुंदुननि प्रतिज्ञ चेयुचुन्नानु।
वारि श्रेयोभिवृद्धुले ना आनंदमुनकु मूलमु।
मातृभाषानुवाद
संपादन करींभारत हमार मातृभूमि बा।
सगरो भारतीय हमार भाई-बहिन बड़े।
हम आपन देश के चाहिला, आ एकर
समृद्धपूर्ण आ वैविध्यपूर्ण विरासत पर गर्वानुभव बा।
हम सदा एकरा लायक बने के प्रयत्न करम।
हम आपन मात्तृ-पित्तृ, गुरुवन आ बड़न के आदर सम्मान करम।
आ सभे के सङे विनम्रतापूर्ण बरताव करम।
हम आपन देश आ देशबन्धुवन के निष्ठा अर्पतबानी।
इनकर समृद्धि में हमार सुख समायेल बा।
।। जय हिन्द, जय भारत ।।
प्रयोग
संपादन करींराष्ट्रीय प्रतिज्ञा के पाठ गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी 1965 के बाद से सगरो विद्यालयन में रोज करल जाला, आऊर ई विद्यालयन सिवाय, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस पर आ अउरी परंपरागत आ कानूनी समारोहो में बोलल जाला। प्रतिज्ञा लेवत बेरीया प्रतिज्ञा लेवेके स्थिति में ठाड़ा रहल जाला चाहे आपन दहिना हाथ के आपन करेजा पर रखल जाला आ जोश भरल आवाज के सङे प्रतिज्ञा लेवल जाला।
संदर्भ
संपादन करीं- ↑ "'ప్రతిజ్ఞ'కు అరవై ఏళ్లు". Sakshi (Telugu में). 19 अप्रैल 2022.