भूगोल के इतिहास

इतिहास के एगो पहलू, भूगोल बिसय के इतिहासी अध्ययन

भूगोल के इतिहास में ओह सगरी इतिहास सभ के सामिल कइल जाला जे भूगोल के चिंतन आ बिचारधारा, भूगोल के बिसयवस्तु के तै कइल आ भूगोल में अलग अलग बिधिन के इस्तेमाल से संबंधित बाड़ें। अलग-अलग काल खंड में भूगोल के क्षेत्र में अलग किसिम के बिचार आ मत रहल बाड़ें; प्राचीन काल के दौरान अलग-अलग इलाका सभ में भी अपना आसपास के दुनियाँ के ज्ञान के बारे में बिबिध राय आ अलग-अलग मात्रा में जानकारी रहल।

भूगोल के इतिहास के भी तीन चाहे चार हिस्सा में, अलग-अलग काल खंड में बाँट के देखल जाला। एह में प्राचीन काल के भूगोल संबंधी ज्ञान के पुरानी सभ्यता अनुसार भी बाँट के पढ़ल जाला।

प्राचीन भारत में

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प्राचीन भारत में लगभग हर किसिम के ज्ञान उन्नत स्तर ले चहुँपल रहे आ एह में भूगोल संबंधी ज्ञान भी सामिल बा। सभसे प्राचीन ग्रंथ वेद, ब्राह्मण ग्रंथ, रामायणमहाभारत में; बौद्ध जातक कथा सभ में आ जैन आगम ग्रंथ सभ में; आ पुराण[1] सभ में बहुत सारा जानकारी आ बिबरन अइसन बा जेकरा के पृथ्वी के बिबरन संबंधी जानकारी के रूप में देखल जा सके ला आ ओह जमाना के भूगोलीय ज्ञान के रूप में देखल जा सके ला।

वैदिक सूक्त सभ में से प्रमुख, ऋग्वेद के पुरुषसूक्त में पहिला बेर ब्रह्मांड के उत्पत्ती के ऊपर बिचार मिले ला। अथर्ववेद में एगो पूरा सूक्त पृथिवीसूक्त के नाँव से बा जेह में पृथ्वी के बंदना के साथे-साथ एकरे स्वरुप पर भी चिंतन के जानकारी मिले ला।

बाद के प्राचीन काल में, भारत में खगोलशास्त्र आ ज्योतिष के रूप में मौजूद जानकारी के ओही श्रेणी में रखल जा सके ला जवना में गणितीय भूगोल (पृथ्वी आ नक्षत्र मंडल के माप वगैरह) से संबंधित मानल जा सके ला।

यूनानी भूगोल

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रोमन योगदान

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भूगोलीय खोज के जुग

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क्लासिकल भूगोल

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आधुनिक काल

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समकालीन भूगोलीय चिंतन

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  1. Syed Muzafer Ali (1966). The Geography of the Puranas. People's Publishing House.