भूपाली
भूपाली चाहे भूप हिंदुस्तानी संगीत में एगो प्रमुख राग हवे। एह राग में पाँच गो सुर (स्वर) लागे लें। आरोह-अवरोह दुनों में पाँच-पाँच गो सुर लागे के कारन हेकरा के औढ़व-औढ़व जाति के राग में गिनल जाला।
ई राग कल्याण ठाठ के राग हवे आ एकरे गावे बजावे के समय रात के पहिला पहर, मने कि देर साँझ बेरा मानल जाला। एह राग में अधिकतर रचना भक्ति के मिले लीं आ एही से एकरा के भक्ति आ शांति के राग मानल जाला। कई गो भजन आ परसिद्ध फिलिमी गाना एह राग में बान्हल गइल बाड़ें।
भूपाली, यमन आ भैरव कुछ अइसन राग हवें जे सुरुआती राग मानल जालें आ सीखे सिखावे में इनहन के पहिले सिखावल जाला।
कर्नाटक संगीत में एह राग के राग मोहनम के नाँव से जानल जाला।
बिबरन
संपादन करीं- आरोही
सा, रे, ग, प, ध
- अवरोही
सां, ध, प, ग, रे, सा
फिलिमी गाना
संपादन करींराग भूपाली पार आधारित कुछ प्रमुख फिलिमी गाना बाड़ें:
- सायोनारा सायोनारा (लव इन टोकियो)
- पंख होते तो उड़ आती रे (सेहरा)
- देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए (सिलसिला)
- नील गगन की छाँव में (आम्रपाली)
इहो देखल जाय
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