संगीत एक तरह का कला हवे जेवन सुने में नीक लागे वाली आवाज की उतार-चढ़ाव आ विराम की माध्यम से सुनेवाला की मन में आनंद पैदा करे ला। मनुष्य अपनी कंठ से संगीतमय आवाज निकाल सकेला, तरह तरह की बाजा के बजा के संगीत पैदा क सकेला आ एही सुर ताल की लहरी पर आपन अंग हिलाडुला के नाच भी सकेला। एही से गावल, बजावल, आ नाचल तीनों चीजु के संगीत कहल जाला।

एकर दू गो बिभाजन कइल जाला शास्त्रीय संगीतसुगम संगीतलोक संगीत, जेवन आम गँवई जनता क संगीत हवे ओके कुछ लोग सुगम संगीत क हिस्सा मानेला आ कुच्छ लोग अलगे एगो परकार की रूप में मानेला।

अलग-अलग जगह की लोकगीत आ लोकसंगीत में ओ जगह की संस्कृति क बिसेसता झलकेला।

इतिहास संपादन करीं

भारत में संगीत क उत्पत्ति साक्षात् भगवान शंकर जी से भइल मानल जाला।

भोजपुरी लोकगीत संपादन करीं