नेशन
नेशन (आज्काल्ह के हिंदी में राष्ट्र) एगो बड़हन सामाजिक संगठन ह जहाँ कौनों आबादी के भीतर आपस में भाषा, इतिहास, एथ्निसिटी, संस्कृति, राज्यक्षेत्र (टेरिटरी) चाहे समाज नियर सझिया तत्व के आधार प सामूहिक पहिचान (आइडेंटिटी) के उदभव भइल होला। कुछ नेशन सभ के सिरिजन एथनिसिटी के इर्द-गिर्द भइल हो सके ला जबकि कुछ राजनीतिक आधार प गठित हो सके लें (जइसे कि सिविक नेशनलिज्म चाहे बहुसंस्कृतिवाद के आधार पर गठित नेशन)।
नेशन खातिर आमतौर पर हिंदी में सभसे चलनसार अनुबाद राष्ट्र स्वीकार कइल गइल बा — हालाँकि राष्ट्र शब्द के मूल शाब्दिक अरथ (संस्कृत में) कौनों राजा द्वारा शासित इलाका होला।[1] राष्ट्र के आलावा जाति आ जातीयता शब्द से भी नेशन आ नेशनलिटी के बोध होखे ला जइसे बांग्ला में नेशन के अनुबाद जाति कइल जाला।
नेशन बहुधा एगो राजनीतिक बिचार बेसी हवे बजाय कौनों एथ्निक ग्रुप के पहिचान के। एही के चलते बेनेडिक्ट एंडर्सन नेशन के परिभाषा देवत घरी एकरा के "एगो कल्पनागत (इमैजिन्ड) राजनीतिक समुदाय" माने लें काहें कि "छोटहनो नेशन के सगरी सदस्य लोग अपना अधिकतर साथी-सदस्य लोग के कब्बो ना जाने, उनसे भेंट करे, इहाँ तक ले कि उनुका बारे सुनले हो सके ला, तब्बो उनहन लोगन के मन में उनहन लोग के समुदायता (कम्युनियन) के तस्वीर जिये ला"।
एंथनी डी स्मिथ नेशन के अइसन सांस्कृतिक-राजनीतिक समुदाय के रूप में परिभाषित करे लें जे लोग अपना खुदशासन (ऑटोनॉमी), एकता आ कौनों बिसेस चाहत के ले के जागरूक भ गइल होखे।
बिद्वान लोगन में ई आम सहमती बाटे कि नेशन सामाजिक सिरिजन से बनल होखे लें, इतिहासी रूप से प्रासंगिक होखे लें, आ संस्थागत रूप में लोचदार (फ्लेक्सिबल) होखे लें। मय इतिहास में लोग अपना कुटुंब समुदाय आ रीति-रेवाज खातिर लगाव रखले रहल बा, राज्यक्षेत्र के साहसंकर्ता आ अपना होमलैंड (मातृभूमि) खातिर लगाव रखले रहल बा, बाकी नेशनलिज्म (राष्ट्रवाद) — अइसन बिस्वास कि राज्य (स्टेट) आ नेशन एकरूप हो के नेशन-स्टेट (राष्ट्र-राज्य) के रूप ले लें — ई बिचारधारा 18वीं सदी के अंत तक ले बहुत जोरदार रूप में ना रहल।
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संपादन करींसंदर्भ
संपादन करीं- ↑ मोनियर विलियम्स, प. 879
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