लियोनार्डो डा विंची
लियोनार्दो दा विंची इटली के एगो पॉलीमैथ, मने की बहुत सारा कला जाने वाला, व्यक्ति रहलें। उनकर जनम विंसी नाँव की गाँव में भइल जेवन उनकी नाँव में जुडल बाटे।
लियोनार्डो डा विंची | |
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![]() Portrait of Leonardo by Francesco Melzi | |
जनम | लियोनार्डो दी सेर पेरो दा विंची 15 अप्रैल 1452 Vinci, Republic of Florence (present-day Italy) |
निधन | 2 मई 1519 Amboise, Kingdom of France | (उमिर 67)
परसिद्धि के कारन | Diverse fields of the arts and sciences |
उल्लेखनीय काम | Mona Lisa The Last Supper The Vitruvian Man Lady with an Ermine |
शैली | High Renaissance |
दसखत | |
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लियोनार्डो के अपनी जमाना के लगभग सारा ज्ञान आवे आ ऊ लगभग हर कला में निपुण रहलें। उनके सभसे ढेर प्रसिद्धी मिलल पेंटर की रूप में आ उकार सभसे परसिद्ध कलाकृति मोनालिसा हवे।
जीवनी संपादन करीं
लिओनार्दो दा विंची के जन्म इटली के फ्लोरेंस प्रदेश के विंचि नाम के गांव मे भइल रहे। ई गांव के नाम पे इनकर कुल के नाम पडल। ई अवैध पुत्र रहन। शारीरिक सुंदरता अऊरी स्फूर्ति के संगे इनकर स्वभाव के मोहकता, व्यवहारकुशलता औरी बौद्धिक विषयों में प्रवीणता के गुण रहे।
लेओनार्डो छोट उम्र से ही विविध विषयों के अनुशीलन प्रारंभ करले रहन, लेकिन ऐकरा में से संगीत, चित्रकारी ओरी मूर्तिरचना प्रधान रहे। इनकर पिता इनकरा के प्रसिद्ध चित्रकार, मूर्तिकार ओरी स्वर्णकार, आँद्रेआ देल वेरॉक्यो (Andrea del Verrochio), के पास काम सिखाए ले गइलन ओरी उनकर छत्रच्छाया में रह के काम करत रहन ओरी ऐकरो तत्पश्चात् मिलान के अमीर लुडोविको स्फॉत्र्सा (Ludovico Sforza) की सेवा में चल गइलन, जहाँ इंकरा के विविध काम में सैनिक इंजीनियरी ओरी दरबार के भव्य समारोहों के संगठन भी सम्मिलित रहन। यहजा रहते हुए उह दो महान कलाकृतियाँ, लुडोविको के पिता की घुड़सवार मूर्ति ओरी "अंतिम व्यालू" (Last Supper) शीर्षक चित्र, पूरी कइलन। लुडोविको के हार के बाद, सन् 1499 में, लेआनार्डो मिलान छोड़कर फ्लोरेंस वापस आ गइलन, जहाँ ई अन्य कृतियों के सिवाय मॉना लिसा (Mona Lisa) शीर्षक चित्र तैयार कइलन। ये चित्र ओरी "अंतिम व्यालू" नामक चित्र, इंकर महत्तम कृतियाँ मनाल जाला। सन् 1508 में फिर मिलान वापस आके, ओहिजा के फरासीसी शासक के अधीन ये चित्रकारी, इंजीनियरी ओरी दरबारी समारोहों की सजावट और आयोजनों की देखभाल का अपना पुराना काम करत रहन। सन् 1513 से 1516 तक रोम में रहे के बाद इंकरा फ्रांस के राजा, फ्रैंसिस प्रथम, आपन देश ले गइलन और अंब्वाज़ (Amboise) के कोट में इंकर रहे के पइंतजाम कर देलन। येहजे ये अंतिम सांस लेलन।
काम संपादन करीं
लेओनार्डो औरी यूरोप के नवजागरणकाल के बहूते कलाकारों में ये अंतर बा कि विंचि ने प्राचीन काल में कलाकृतियों की मुख्यत: नकल करे में समय नईखन बिताइले। उह स्वभावत: प्रकृति के अनन्य अध्येता रहन। जीवन के इंकर चित्रों में अभिव्यंजक निरूपण की सूक्ष्म यथार्थता के सहित सजीव गति ओरी रेखाओं के प्रवाह का ऐसा सम्मिलन पाया जाला की जयसे ऐकर पहिले के कोई चित्रकार में न मिलेला। ये पहले चित्रकार रहन, जे ये बात का अनुभव कइलस कि संसार के दृश्य में प्रकाश ओरी छाया का विलास ही सबसे अधिक प्रभावशाली ओरी सुंदर होला। इहेखातिर ये रंग ओरी रेखाओं के साथ साथ एकरा के उचित महत्व देलन। असाधारण दृश्य ओरी रूपों ने इंकरा के हमेशा आकर्षित ककइलश ओरी इंकर स्मृति में जगह पहले। ये वस्तुओं के गूढ़ नियम ओरी करण के अन्वेषण में लागल रहत रहन। प्रकाश, छाया ओरी संदर्श, प्रकाशिकी, नेत्र-क्रिया-विज्ञान, शरीररचना, पेशियों की गति, वनस्पतियों की संरचना ओरी वृद्धि, पानी की शक्ति तथा व्यवहार, ये सब नियमों ओरी बहुते येहे प्रकार के बातों के खोज में इंकर अतृप्त मन लागत रहे।
संदर्भ संपादन करीं
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