संज्ञा (संस्कृत व्याकरण)

सस्कृत व्याकरण के पारिभाषिक शब्दावली

संस्कृत व्याकरण में संज्ञा व्याकरण में इस्तेमाल होखे वाला कुछ टेक्निकल भा पारिभाषिक चीजन के नाँव ह। लघुसिद्धांतकौमुदी में अइसन एगो पूरा खंड बाटे जेकरा के संज्ञा प्रकरण कहल जाला, ई सभसे शुरुआती खंड हवे जहाँ बिबिध किसिम के व्याकरणिक परिभाषा सभ के बिबरन दिहल गइल बाटे।

संज्ञायतेऽनया इति संज्ञा - के रूप में खुद "संज्ञा" शब्द के नाँवउत्पत्ती बतावल गइल बा - "जेकरा द्वारा संज्ञा (मने की नाँव) के बोध करावल जाय ऊ (शब्द) संज्ञा हा"। पाणिनीय व्याकरण में अइसन सूत्र सभ जे संज्ञा के बिधान करे लें "संज्ञा सूत्र" कहालें। उदाहरन खातिर वृद्धिरादैच् एगो संज्ञा सूत्र ह जे बतावे ला कि 'आत्' आ 'ऐच्' के वृद्धि संज्ञा होला। मतलब कि जब वृद्धि कहल जाय तब एकरा से आशय आ, ऐ अउरी औ बूझल जाए के चाहीं।

एही तरीका से इत् संज्ञा, लोप संज्ञा, प्रत्याहार संज्ञा, ह्रस्व, दीर्घ, प्लुत, उदात्त, अनुदात्त, स्वरित, अनुनासिक, सवर्ण, संहिता, संयोग, आ पद संज्ञा बतावल गइल बाड़ी जे संस्कृत व्याकरण के बेसिक पारिभाषिक शब्दावली हईं स।

इहो देखल जाय संपादन करीं