सिंहा, नरसिंहा एक ठो पुराना भारतीय बाजा हवे[1] जे सींह के आकार के होला आ मुँह से हवा फूँक के बजावल जाला। एकर विवरण भारत के प्राचीन ग्रंथ सभ में भी मिले ला। उत्तरी भारत में अब ई लगभग बिलुप्त हो चुकल बा। दक्खिनी भारत में एकरा के शृंगा कहल जाला।

तुरही बजावत एक ठो कलाकार

ई परंपरागत रूप से जानवर के सींह से बनावल जाय आ अंग्रेजी के ऍस (S) अक्षर के आकार के होखे।

तुरही, धूतुर या तुतुही आमतौर पर सिंहा के छोट बाकी मिलत जुलत बाजा के कहल जाला। तुरही में खाली एक ठो मोड़ होला, यानि ई S आकार के बजाय C आकार के होला।

संदर्भ संपादन करीं

  1. Manorma Sharma (1 जनवरी 2007). Musical Heritage of India. APH Publishing. pp. 162–. ISBN 978-81-313-0046-6.