हरित क्रांति (Green revolution, ग्रीन रिवोल्यूशन) भा तिसरकी खेती क्रांति (Third Agricultural Revolution) 1930 से 1960 के दशक के दौरान भइल बैज्ञानिक खोज आ टेक्नॉलजी ट्रांसफर के परिणाम के रूप में पूरा दुनियाँ भर में आ खासतौर पर बिकाससील देसन में खेती के उत्पादन में भारी बढ़ती भइल। एह दौरान हाई-उपज-किसिम (एचवाईवी), उदाहरण खाती गोहूँ आ धान के बौना किसिम; रासायनिक खाद; जोताई के नाया तरीका, खासतौर पर मशीनीकरण; आ सिंचनी के क्षेत्र में बढ़ती के कारण भारी पैमाना पर खेती के उपज में बढ़त भइल आ दुनिया के खेती के रूप बदल गइल।

खेत में कीटनाशक के छिड़काव

एह क्रांति के निर्धारक सभ में फोर्ड फाउंडेशनरॉकफेलर फाउंडेशन, दुनो के योगदान रहल आ नार्मन बोरलाग एह सभ के प्रमुख नेता आ अगुआ रहलें जिनके एह क्षेत्र में काम करे खाती नोबल शांति पुरस्कार भी मिलल।

1967-68 आ 1977-78 के दौरान भारत में भइल हरित क्रांति के परिणाम ई भइल कि देस अनाज के कमी वाला देसन के श्रेणी से निकल के एगो प्रमुख कृषि प्रधान देश बन गइल। भारत में हरित क्रांति के असर मुख्य रूप से खाद्य अनाज (खासकर गोहूँचावल) के उत्पादन में देखे के मिले ला। इलाका के हिसाब से पंजाब, हरियाणा आ पच्छिमी उत्तर प्रदेश में एकर सभसे बेसी परभाव पड़ल। इहाँ एह क्रांति के अगुवाई से एम. एस. स्वामीनाथनसी. सुब्रमण्यम लोग कइल।

इहो देखल जाय

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