हिंद स्वराज 1909 मे महात्मा गाँधी के गहल एगो किताब बाटे, एह मे ऊ स्वराज आ आधुनिक सभ्यता प आपन बिचार देले बाड़न।[1] 1910 मे हेकरा सरकार बिरोधी बता के हेकरा प परतीबन्ह लगा दिहल गइल रहे।

पिठभुईं संपादन करीं

गांधी जी एह किताब के गुजराती भाषा मे लिखले रहन, जब ऊ लंदन से दक्खिन अफिरका जात रहन। जब एहपे परतीबन्ह लाग गइल त गांधी जी एकर अनुवाद अंग्रेजी मे कइलन। अंग्रेजी प परतीबन्ह ना लागल आ आगे चलिके हेकर अनुवाद फ्रांसीसी भाषा मे भइल।

महतपूर्न बात संपादन करीं

एह किताब के पाठक आ लेखक के बीच के बात के रूप मे लिखल गइल बा। एहमे पाठक एगो भारतीय नागरिक हऽ आ लेखक गांधी जी हवन। एहमे मुख रूप से चारि गो बातन प जोर दिहल बाटे।

  • गांधी जी कहले बाड़न जे स्वराज आपन राज हऽ। ऊ कहले बाड़न जे खाली अंगरेज सभ के भारत छोड़ देला से स्वराज ना आई, बलुक अगरेजी सभ्यता तेआगे के पड़ी। आ जदि अंगरेजन के बिना एहिजा अंग्रेजी राज करी तऽ ई हिंदुस्तान ना इंग्लिशतान कहाई।
  • गांधी जी कहले बाड़न जे आजादी हिंसा से ना अहिंसा से आवे के चाहीं।
  • गांधी जी स्वदेशी अपनावे के बात कइले बाड़न।
  • गांधी कहले बाड़न जे भारत जबले पक्खिमी सभ्यता के ना छोड़ि तबले गुलाम रही।

संदर्भ संपादन करीं

  1. "Hind Swaraj or Indian Home Rule (Complete Book Online)". Archived from the original on 2008-05-22. Retrieved 2008-05-15.