नदिया के पार भोजपुरी-अवधी की मिलल जुलल हिंदीभाषा में बनल एगो फिलिम बा। राजश्री बैनर में बनल ए फिलिम में सचिन आ साधना मेन रोल में रहे लोग आ ए फिलिम क डाइरेक्टर गोविंद मुनीस आ प्रोड्यूसर ताराचंद बड़जात्या रहलें। फिलिम क कहानी उत्तर प्रदेश की गाँव में घटित होत देखावल गइल बा। फिलिम क कहानी केशव प्रसाद मिश्र की हिंदी उपन्यास कोहबर की शर्त की ऊपर आधारित रहे।

नदिया के पार
फिलिम के पोस्टर
डाइरेक्टरगोविंद मुनीस
प्रोड्यूसरताराचंद बड़जात्या
लेखकबीरेंद्र राणा
कलाकारसचिन, साधना सिंह
संगीतकाररविंद्र जैन
डिस्ट्रीब्यूटरराजश्री पिक्चर्स प्रा॰ लि॰
रिलीज के तारीख
  • 1982 (1982)
लंबाई (समय)
२ः२८ः५८
देसभारत
भाषा(हिंदी/भोजपुरी/अवधी)

रवीन्द्र जैन की मधुर संगीत से सजल ए फिलिम क कई गो गाना बहुत परसिद्ध भइल रहे जइसे कि - कौन दिसा में ले के चला रे बटोहिया..., अउरी साँची कहीं तोहरे आवन से भउजी... आउर सबसे प्रचलित गाना होली के ह -जोगी जी ....। फिलिम में ओ समय की गाँव क परिवेश देखावल गइल बा आ फिलिम क काफी हिस्सा क शूटिंग जौनपुर जिला की सिकरारा में भइल रहे। फिलिम कई साल लगातार इलाहाबाद में हॉउसफुल चलल। 1994 में एही फिलिम के फ़िर से बदलाव कइके हम आपके हैं कौन फिलिम बनावल गइल।

फिलिम क कहानी हिंदी उपन्यास कोहबर की शर्त पर आधारित रहे।

एगो गाँव में एक ठो किसान बाभन आ उनकर दू गो भतीजा ओंकार (इन्दर ठाकुर) आ चन्दन (सचिन) रहत बा लोग। ओंकार बेमार पड़ जालें आ दुसरा गाँव क एगो बैद जी उनकर इलाज करे लें। इलाज की बाद बैद जी की बड़की लइकी रूपा (मिताली) से ओंकार क बियाह हो जाला। रूपा क जचगी होखे वाला रहेला त उनकर छोट बहिन गुंजा (साधना सिंह) आवेली गुंजा आ चन्दन में प्रेम हो जाला आ ई जान के रूपा उन्हान लोगन क बियाह करावे में मदद करे के कहेली। ई बात खाली रूपा के मालुम रहेला आ उनकर अचानक मौत हो जाला बैद जी आ ओंकार क चचा लोग ई तय करेला कि ओंकार आ गुंजा क शादी हो जाय। लेकिन बियाह की रसम से ठीक पहिले लोगन के चन्दन आ गुंजा की प्रेम क पता चल जाला आ तब चन्दन आ गुंजा क बियाह हो जाला।

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