नीबि (बैज्ञा. नाँव: Azadirachta indica; संस्कृत: निम्ब; हिंदी: नीम) भारतीय मूल के एगो फेड़ हवे। बैज्ञानिक बर्गीकरण में ई महोगनी परिवार ( Meliaceae) के अज़ादिराचा (Azadirachta) जाति में आवे ला जे में एकरे अलावा एगो अउरी प्रजाति के फेड़ मिले ला। ई मूल रूप से भारतीय उपमहादीप आ कुछ अफिरकी देसन में पावल जाला। ई गरम जलवायु आ कुछ-गरम जलवायु वाला इलाका के बनस्पति हवे। ईरान के कुछ दक्खिनी दीप सभ पर भी ई उगावल जाला। ई पतझड़ वाला बनस्पति हवे जे जाड़ा के बाद फरवरी-मार्च में आपन पतई गिरा देला आ मार्च-अप्रैल में एह में नया पत्ता निकले लें; कुछ समय बाद फुलाला आ ओकरे बाद अप्रैल-मई में एह में फर लागे लें।

नीबि
हैदराबाद में एगो नीबि के पत्ता आ फूल
बैज्ञानिक वर्गीकरण e
किंगडम: प्लेंटाई
(Plantae)
क्लैड (Clade): एंजियोस्पर्म
(Angiosperms)
क्लैड (Clade): यूडिकॉट्स
(Eudicots)
क्लैड (Clade): रोसाइड
(Rosids)
ऑर्डर (Order): Sapindales
परिवार: Meliaceae
जाति (Genus): Azadirachta
प्रजाति: A. indica
दूपद नाँव
Azadirachta indica
A.Juss., 1830[2]

परंपरागत भारतीय डाक्टरी आ इलाज के बिद्या सभ में, खासकर के आयुर्वेद में एहकरे पत्ता, फल, फल से निकले वाला नीबि के तेल, आ छाल के बिबिध बेमारी आ सेहत संबंधी समस्या सभ के इलाज करे में इस्तेमाल सैकड़न सालन से होखत आइल बा। खेती किसानी आ बागबानी में एकर इस्तेमाल प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में भी होला।

भोजपुरी संस्कृति में नीबी के देवी के निवास वाला फेड़ मानल जाला। खासतौर से देवी शीतला के विश्राम के अस्थान के रूप में पूजल जाला; एकरे पतई से एह देवी के पूजा होखे ला।[3][4] एकरे अलावा पुरी में जगन्नाथ मंदिर में मुख्य देवता लोग के मूर्ती खास किसिम के नीबि के लकड़ी के बनावल जाले।[5]


  1. Barstow, M.; Deepu, S. (2018). "Neem". खतरा में प्रजाति सभ के आइयूसीएन लाल सूची. 2018: e.T61793521A61793525. doi:10.2305/IUCN.UK.2018-1.RLTS.T61793521A61793525.en.
  2. "Azadirachta indica A.Juss". Plants of the World Online. Board of Trustees of the Royal Botanic Gardens, Kew. 2017. Retrieved 19 नवंबर 2020.
  3. श्रीधर मिश्र (1971). भोजपुरी लोकसाहित्य (हिंदी में). हिंदुस्तानी एकेडमी. pp. 67–.
  4. कृष्णदेव उपाध्याय (1960). भोजपुरी लोक साहित्य का अध्ययन (हिंदी में). हिंदी प्रचारक पुस्तकालय. pp. 200–202.
  5. प्रतिभा आर्य (1997). महागाथा वृक्षों की (हिंदी में). राधाकृष्ण प्रकाशन. pp. 47–. ISBN 978-81-7119-317-2.

बाहरी कड़ी

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