यतो धर्मस्ततो जयः

संस्कृत वाक्यांश जे महाभारत में आइल बा आ कई जगह इस्तेमाल भइल बा

यतो धर्मस्ततो जयः (अरथ: जहाँ धर्म बा, ओहिजे बिजय बा) एगो संस्कृत श्लोक के खंड ह जवन हिंदू महाकाव्य महाभारत में कुल इगारह बेर आइल बाटे। एकर मतलब होला "जहाँ धर्म होई, ओहिजे विजय होई"।[1][2]

भारत के सुप्रीम कोर्ट के मोटो जवना पर ई वाक्यांश लिखल बा, जेकरा के ऊ आपन आधिकारिक मोटो (आदर्श वाक्य) के रूप में अपनवले बा।

मतलब संपादन करीं

ई वाक्यांश महाभारत के श्लोक 13.153.39 में आइल बा।[3] कुरुक्षेत्र के जुद्ध के मैदान में, कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान, जब अर्जुन युधिष्ठिर के निराशा के हिलावे के कोशिश क रहल बाड़ें;[4] इनके कहनाम बा कि "धर्म के साथ खड़ा पक्ष क जीत सुनिश्चित होला, जहाँ कृष्ण बाड़ें, जीत ओहिजे बा"।[5] ई फेरु तब आवेला जब कौरव लोगन के महतारी गांधारी, युद्ध में आपन सभ बेटा के गँवा के, एकरा के एह इरादा से उच्चारण करेली कि "जहाँ कृष्ण बा उहाँ धर्म बा, आ जहाँ धर्म बा उहाँ विजय बा"।

हिंदू ग्रंथन में संदर्भ संपादन करीं

एह वाक्यांश के पूरक अक्सर महाभारत में एगो अउरी श्लोक होला जवना के संप्रेषण होला कि "जहाँ धर्म बा, उहाँ कृष्ण बाड़ें"।[6] धृतराष्ट्र के चेतावे खातिर एह वाक्यांश के प्रयोग व्यास द्वारा उनुका पुत्र लोगन के अधर्म के हतोत्साहित करे खातिर कइल गइल बाटे।[7] हिन्दू इतिहास महाभारत के स्त्री पर्व में ई वाक्य फेरु से आवेला।[8] एकरा के भीष्म द्वारा भगवद गीता पर्व में दुर्योधन के भी बतावल गइल बा। यतो धर्मस्ततो जयः महाभारत में कुल एगारह बेर आइल बा।[4]

विदुर नीति में जब धृतराष्ट्र विदुर से बातचीत कर रहल बाड़े त उ एह वाक्यांश के प्रयोग करे लें। ऊ कहे लें कि "हालाँकि, हम जानत बानी कि जीत धर्म के राह पर बा, तबहियों हम अपना बेटा दुर्योधन के छोड़ नइखीं सकत"।[9]

हलयुध्वी के रचल संस्कृत कविता धर्म विवेक के अंत एही वाक्यांश से होला।[10]

पढ़ाई में संपादन करीं

लइकन खातिर एगो शैक्षिक गतिविधि बाल विहार में चिन्मय मिशन एह संदेश के इस्तेमाल एकरा के कर्म के अवधारणा के पूरक बनावे खातिर कइले बा। [11] विद्वान अल्फ हिल्टेबेइटल एह बात के अपना धर्मभगवत गीता के अध्ययन में बिस्तार से उठवले बाड़ें।[4] अल्फ से पहिले विद्वान सिल्वेन लेवी एह वाक्यांश के बिस्तार से अध्ययन करे खातिर जानल जालें जे एकर अलग-अलग व्याख्या कइले रहलें।[4][12] इंडियन डिफेंस रिव्यू जर्नल के एगो लेख में एकरा के "भारतीय विचार के सबसे बढ़िया सारांश" के रूप में विशेषता दिहल गइल बा, इहाँ एकर मतलब बा कि "अगर हमनी के धर्मी बानी जा त जीत हमनी के [भारत के] होई"।[13] नैतिकता के अध्ययन में, ई जाहिर करे खातिर लिहल जाला कि "अंतिम जीत धर्म के होला"।[14]

जयपुर राजघराना के निशान में संपादन करीं

इ मुहावरा राजपूताना एजेंसी के तहत पुराना समय के जयपुर राजघरान के निशान में मोटो के रूप में लिखल गइल रहल। एह आदर्श वाक्य के इस्तेमाल पूर्व जयपुर राजघराना से जुड़ल कई गो अउरी छोट जागीर भी करत रहलीं स।[15]

इहो देखल जाय संपादन करीं

संदर्भ संपादन करीं

  1. "Why Justices Broke the Code of Silence - Mumbai Mirror -". Mumbai Mirror. Retrieved 24 May 2018.
  2. Joseph, Kurian (2017). "यतो धर्मस्ततो जयः". Nyayapravah. XVI (63): 7.
  3. www.wisdomlib.org (2021-09-17). "Mahabharata Verse 13.153.39 [Sanskrit text]". www.wisdomlib.org (अंग्रेजी में). Retrieved 2023-04-27.
  4. 4.0 4.1 4.2 4.3 Hiltebeitel, Alf (2011). Dharma: Its Early History in Law, Religion, and Narrative (अंग्रेजी में). Oxford University Press, USA. p. 545547. ISBN 9780195394238.
  5. Sharma, Rambilas (1999). Bhāratīya saṃskr̥ti aura Hindī-pradeśa (हिंदी में). Kitabghar Prakashan. p. 352. ISBN 9788170164388.
  6. Sharma, Arvind (2007). Essays on the Mahābhārata (अंग्रेजी में). Motilal Banarsidass. p. 409. ISBN 9788120827387.
  7. Pandey, Kali Charan (2011). Ethics and Epics: Reflections on Indian Ethos (अंग्रेजी में). Readworthy. p. 20. ISBN 9789350180334.
  8. The Mahábhárata: an epic poem (हिंदी में). Education Committee's Press. 1837. p. 349.
  9. Satyaketu (19 January 2021). Vidur Neeti (हिंदी में). Prabhat Prakashan. p. 108. ISBN 9789350481615.
  10. Haeberlin, John (1847). Kavya-Sangraha: a sanscrit anthology (Sanskrit में). p. 506.
  11. Yato Dharmah Tato Jayah. Chinmaya Mission. pp. Chapter 1.
  12. Lévi, Sylvain (1996). Mémorial Sylvain Lévi (फ्रेंच में). Motilal Banarsidass. p. 295. ISBN 9788120813434.
  13. Verma, Bharat (15 January 2013). "Blueprint to tackle Maoists". Indian Defence Review : Jul-Sep 2010 (अंग्रेजी में). Lancer Publishers: 32.
  14. Pandey, Kali Charan (2011). Ethics and Epics: Reflections on Indian Ethos (अंग्रेजी में). Readworthy. p. 19. ISBN 9789350180334.
  15. "Jaipur (State) - Arms (crest) of Jaipur (State)". www.heraldry-wiki.com (अंग्रेजी में). Archived from the original on 2022-01-20. Retrieved 2022-01-20.