वायुमंडल

पृथ्वी के चारों ओर मौजूद गैस के परत

पृथ्वी के वायुमंडल, (Atmosphere, एटमॉस्फियर) पृथ्वी के चारों ओर लपटाइल गैसन के लेयर हवे। गैस सभ के एह मैकेनिकल मिक्चर के हवा भा एयर (air) कहल जाला। पृथ्वी के ग्रेविटी हवा के पृथ्वी के चारों ओर पकड़ले रहे ले।

नासा द्वारा सुरुज के डूबत समय पृथ्वी के वायुमंडल के फोटो जे में पृथिवी छाहीं के रूप में देखात बाटे
वायुमंडल के गैसन द्वारा अउरी वेवलेंथ के तुलना में बुलू रंग के स्कैटरिंग बेसी होला जेकरा चलते पृथ्वी के आसपास नीला रंग के लेयर लउकत बा आ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जे 335 किमी (208 मील) के ऊँचाई पर बा[1]
पृथ्वी के वायुमंडल के गढ़न में जलभाप के अलावा बाकी सभ गैसन के मॉलिक्यूलर गिनती के हिसाब से; नीचे के पाई में ट्रेस गैस सभ देखावल बाड़ीं जे कुल वायुमंडल के लगभग 0.0434% हिस्सा हईं (0.0442% अगस्त 2021 के कंसंट्रेशन[2][3])। दिहल गइल गिनती मुख्य से 2000 के बाड़ीं, CO2 आ मीथेन के गिनती 2019 के बाटे आ ई सभ कौनों सिंगल सोर्स से नइखें लिहल गइल।[4]

वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन गैस पृथ्वी पर जीवन खातिर बहुत जरूरी बा। एकरे अलावा ई वायुमंडल सुरुज के अल्ट्रावायलेट किरण के सोख के उनहन से सगरी जीवधारिन के रक्षा करे ला, गर्मी सोख के ओकर बँटवारा का देला जवना से दिन आ रात के ताप में बहुत अंतर ना होखे पावे ला, सुरुज से आवे वाला रोशनी के डिफ्यूज क के फइला देला जवना से उहो चीज सभ के देखल जा सके ला जिनहन पर सीधा सुरुज के रोशनी (घाम) न पड़ रहल होखे। एकरे अलावा, वायुमंडल के महत्व एह कारण बा भी कि एह में बिबिध प्रकार के मौसम संबधी घटना घटित होखे लीं, जइसे कि हवा के बहल, बादरबरखा वगैरह मनुष्य के जीवन आ आर्थिक कामकाज (खेती वगैरह) के बहुत सीमा तक परभावित करे लें।

वायुमंडल के अध्ययन करे वाला बिसय के वायुमंडल बिज्ञान; वायुमंडली दशा, मने कि मौसम, के अध्ययन करे वाला बिज्ञान के मौसम बिज्ञान; आ लंबा समय के मौसमी पैटर्न के अध्ययन करे वाला बिज्ञान के जलवायु बिज्ञान कहल जाला।

वायुमंडल में के हवा कई गैसन का मेरवन होला। ऊँचाई के साथ इनहना के अनुपात में धटती-बढ़ती होला बाकी जमीन से 100 किलोमीटर ले हवा में गैसन के अनुपात लगभग एक्के नियर होला। वायुमंडल के एह हिस्सा के सममंडल (होमोस्फियर) कहल जाला। एही निचला, होमोस्फियर में कवन गैस केतना मात्र में मिलेले एकर बिबरन वायुमंडल के कंपोजीशन कहाला।

वायुमंडल में पानी (भाप के रूप में) के मात्रा एक जगह से दूसर जगह, आ एक दिन से दुसरे दिन के बीच भा एक सीजन से दुसरे सीजन के बीच हमेशा बदलत रहे ला। वायुमंडली पानी के बदलत रहे के कारण वायुमंडल के कंपोजीशन बतावत घरी एह में भाप के मात्रा के ना शामिल कइल जाला, खाली सूखल हवा के कंपोजीशन बतावल जाले जे नीचे दिहल जा रहल बाटे:

प्रमुख गैस जिनहन से मिल के सूखल हवा बनल बा, आयतन अनुसार[5]
गैस आयतन(A)
नाँव फार्मूला ppmv में(B) % में
नाइट्रोजन N2 780,840 78.084
आक्सीजन O2 209,460 20.946
आर्गन Ar 9,340 0.9340
कार्बन डाइआक्साइड CO2 400 0.04[6]
नियॉन Ne 18.18 0.001818
हीलियम He 5.24 0.000524
मीथेन CH4 1.79 0.000179
ऊपर दिहल सूखा हवा में शामिल ना:
जलभाप(C) H2O 10-50,000(D) 0.001 %-5 %(D)
नोट:

(A) volume fraction is equal to mole fraction for ideal gas only,
    also see volume (thermodynamics)
(B) ppmv: parts per million by volume
(C) Water vapor is about 0.25 % by mass over full atmosphere
(D) Water vapor strongly varies locally[7]

The relative concentration of gasses remains constant until about 10,000 मी (33,000 फीट).[8]

परत में बिभाजन

संपादन करीं

पृथ्वी के वायुमंडल के कई गो परत (लेयर) में बाँटल जा सके ला। ई एगो सामान्य बात मानल जाला की वायुमंडल में ऊपर की ओर गइले पर ताप में कमी आवेले, बाकी ई बात पुरा वायुमंडल खातिर सही नइखे। एही से तापमान की बदलाव आ दूसरी कई गो बिसेसता की आधार पर वायुमंडल के कई गो परत में बाँटल गइल बा। जब एकरा के ताप की आधार पर बाँटल जाला त एके तापीय संरचना या थर्मल स्ट्रक्चर कहल जाला।

ट्रोपोस्फियर

संपादन करीं

ट्रोपोस्फियर, तापमान के आधार पर बनावट में, पृथिवी के वायुमंडल के सबसे निचली परत हवे। ई पृथिवी के सतह से औसतन 12 किमी (7.5 मील; 39,000 फीट) के ऊँचाई तक ले बिस्तार लिहले बा, हालाँकि, एक ऊँचाई ध्रुवन पर 9 किमी (5.6 मील; 30,000 फीट) से ले के भूमध्य रेखा पर 17 किमी (11 मील; 56,000 फीट) तक ले होखे ले;[9] कुछ अंतर मौसमी घटना सभ के चलते लोकल लेवल पर भी हो सके ला। ट्रोपोस्फियर के ऊपरी सीमा के ट्रोपोपॉज हवे जे ज्यादातर जगह पर थर्मल इनवर्जन से बनल सीमा हवे आ बाकी जगहन पर अइसन जोन के रूप में होला जेम्मे ऊँचाई बढ़े-घटे के तापमान पर कौनों परभाव ना पड़े ला।[10][11]

लोकल वैरियेशन जरूर होखे लीं, बाकी साधारण तौर पर ट्रोपोस्फियर में ऊँचाई के संघे तापमान में कमी दर्ज कइल जाला, काहें से कि ई अइसन परत हवे जे अधिकतर गर्मी जमीन के सतह से पावे ले; एही कारन नीचे तापमान बेसी होला आ ऊपर जाये पर कम होखत जाला। इहे कारन हवे कि हवा के वर्टिकल मिक्सिंग एह परत में होखे ला (एकर नाँव एही कारण ग्रीक भाषा के ट्रोपोस से बनल हवे जेकर मतलब होला टर्न)। पृथिवी के कुल वायुमंडल के द्रब्यमान के 80 परसेंट हिस्सा एही सबसे निचली परत, ट्रोपोस्फियर में पावल जाला।[12] ट्रोपोस्फियर सभसे घन परत हवे काहें की बाकी परत एकरे ऊपर बाड़ीं जिनहन के भार के दबाव एह पर पड़े ला आ ई चँता के कंप्रेस हो जाला। खुद एहू के भीतर निचला हिस्सा में बेसी घन हवा पावल जाला आ ऊपर हवा के घनापन (डेंसिटी) कम होखत जाला; पूरा वायुमंडल के 50 परसेंट द्रब्यमान निचला 5.6 किमी (3.5 मील; 18,000 फीट) तक के हिस्सा में पावल जाला। हवा के डेंसिटी में ई बदलाव कारन हवे की वायुमंडल में ऊपर जाए पर हवा के दबाव में तेजी से कमी आवे ला।

वायुमंडल के लगभग सगरी जलभाप भा नमी एही निचला परत ट्रोपोस्फियर में पावल जाले, इहे कारन हवे कि लगभग सारा मौसमी घटना सब एही परत में घटित होखे लीं। एही परत में बादर सभ के लगभग सगरी प्रकार पावल जालें जे हवा के सर्कुलेशन से बने लें; हालाँकि, कुछ दसा में क्युमुलोनिम्बस बादर जे थंडरस्टॉर्म के समय बने लें ट्रोपोपॉज के बेध के ओकरे ऊपर के स्ट्रेटोस्फियर में ले घुस सके लें। वायुमंडल के अधिकतर कन्वेक्शन एही लेयर में होखे ला। ईहे परत अइसन हिस्सा हवे जेह में पंखा वाला (प्रोपेलर से चले वाला) हवाई जहाज उड़ सके लें।

स्ट्रेटोस्फियर

संपादन करीं

स्ट्रेटोस्फियर पृथिवी के वायुमंडल में नीचे से दुसरी लेयर हवे। ई ट्रोपोस्फियर के ऊपर मौजूद बा आ दुनों के बीचा के सीमा ट्रोपोपॉज हवे। ई परत ट्रोपोस्फियर के ऊपर पृथ्वी के सतह से लगभग 12 किमी (7.5 मील; 39,000 फीट) के ऊँचाई से ले के स्ट्रेटोपॉज तक ले करीबन 50 से 55 किमी (31 से 34 मील; 164,000 से 180,000 फीट) के ऊँचाई तक बाटे।

स्ट्रेटोस्फियर के ऊपरी हिस्सा में हवा के दाब पृथ्वी के सतह पर (समुंद्र तल पर हवादाब) के तुलना में मोटामोटी 1/1000 पावल जाला। एही स्ट्रेटोस्फियर में ओजोन लेयर मौजूद बाटे जे पृथ्वी के वायुमंडल के अइसन हिस्सा ह जहाँ ओजोन गैस के कंसंट्रेशन अपेक्षाकृत रूप से हाई मिले ला। स्ट्रेटोस्फियर एगो अइसन लेयर हवे जहाँ तापमान में ऊँचाई के साथे बढ़ती होखे ला। ई तापमान के बढ़त सुरुज के प्रकाश के अल्ट्रावायलेट रेडियेशन के ओजोन परत द्वारा सोखल जाए के कारन होला। तापमान के ई बढ़त टर्बुलेंस आ मिक्सिंग के रोके ला। भले ट्रोपोपॉज के लगे तापमान −60 °C (−76 °F; 210 K) पावल जाला, स्ट्रेटोस्फियर के ऊपरी हिस्सा में ई अपेक्षाकृत रूप से मजिगर गरम होखे ला आ लगभग 0 °C के आसपास होला।[13]

स्ट्रेटोस्फियर के तापमान प्रोफाइल बहुत थिराइल (स्टेबल) वायुमंडली दसा बना देला, एकरा चलते एह परत में टर्बुलेंस सभ के अभाव मिले ला जिनहन से ट्रोपोस्फियर में मौसम-उत्पन्न करे वाली घटना घटित होखें लीं। परिणाम ई होला कि स्ट्रेटोस्फियर पूरा तरीका से बादर आ मौसमी घटना सभ से मुक्त होला। हालाँकि, ध्रुवीय प्रदेशन के ऊपर निचला स्ट्रेटोस्फियर में जहाँ हवा सभसे ठंढा होखे ले, पोलर स्ट्रेटोस्फियरिक बादर चाहे नैक्रियस बादर कभी-कभार देखे के मिले लें। स्ट्रेटोस्फियर अइसन सभसे ऊपरी परत हवे जहाँ जेट-पावर वाला एयरक्राफ्ट (जेट बिमान) उड़ सके लें।

मेसोस्फियर

संपादन करीं

मेसोस्फियर पृथ्वी के वायुमंडल में नीचे से तिसरी सभसे ऊँच लेयर हवे जे स्ट्रेटोस्फियर के ऊपर आ थर्मोस्फियर के नीचे मौजूद बाटे। ई स्ट्रेटोस्फियर के ऊपरी सीमा स्ट्रेटोपॉज से लगभग 50 किमी (31 मील; 160,000 फीट) के ऊँचाई से ले के मेसोपॉज तक ले समुंद्र तल से 80–85 किमी (50–53 मील; 260,000–280,000 फीट) के ऊँचाई तक पावल जाले।

एह लेयर में ऊँचाई बढ़े के साथे तापमान में गिरावट होखे ला जबतक कि मेसोपॉज न आ जाय जे एह परत के ऊपरी सीमा हवे। मेसोस्फियर वायुमंडल के बिचली परत हवे (मेसो माने मध्य भा बिचला होला)। ई पृथ्वी के सभसे ठंढा जगह हवे जहाँ औसत तापमान लगभग −85 °C (−120 °F; 190 K) हवे।[14][15]

मेसोपॉज के ठीक नीचे, तापमान अतना कम होला कि बहुते कम मात्रा में होखे के बावजूद हवा में मौजूद पानी के भाप पोलर-मेसोस्फियरिक नॉक्टिल्यूसेंट बादर बनावे ले जे पूरा तरीका से बर्फ के कन से बनल होखे लें। ई वायुमंडल के सभसे ऊँचाई पर मिले वाला बादर हवें आ ई बिना कौनों यंत्र के मदद के खाली आँख तब देखलाई पड़े लें जब सूर्योदय से एक से दू घंटा पहिले आ सूर्यास्त के अतने देरी बाद जब इनहन से सुरुज के रोशनी रिफ्लेक्ट होखे ले। ई तब देखलाई पड़े लें जब सुरुज क्षितिज से 4 से 16 डिग्री नीचे होखे ला। आकासी बिजली के डिस्चार्ज के घटना जेकरा के ट्रांसियेंट ल्यूमिनस इवेंट्स (टीएलई'ज) कभी काल्ह के ट्रोपोस्फियर में बने वाला झंझावात सभ के ऊपर देखलाई पड़ सके लें। मेसोस्फियर अइसन परत हवे जहाँ सभसे बेसी उल्का पिंड (मेटर) बर के जरि जालें जब ऊ पृथ्वी के वायुमंडल में आवे लें। ई लेयर अतना ऊँच होला कि अहिजा जेट बिमान आ बैलून(गुब्बारा) से ना पहुँचल जा सके ला आ अतना नीचे होला कि कौनों स्पेसक्राफ्ट एह में पृथ्वी के चक्कर लगा सके। एही कारन से एह परत तक ले पहुँच बस साउंडिंग रॉकेट से आ राकेट-पावर वाला एयरक्राफ्ट्स से संभव हो सके ला।

थर्मोस्फियर

संपादन करीं

थर्मोस्फियर पृथ्वी के वायुमंडल के दुसरी सभसे ऊँच लेयर हवे। ई मेसोपॉज (जे एकरा के मेसोस्फियर से अलग करे ला) के 80 किमी (50 मील; 260,000 फीट) के ऊँचाई से थर्मोपॉज ले 500–1000 किमी (310–620 मील; 1,600,000–3,300,000 फीट) के ऊँचाई रेंज तक मौजूद बा। थर्मोस्फियर के ऊँचाई सुरुज के एक्टिविटी के साथे बहुत बदलत रहे ला।[16] चूँकि, थर्मोपॉज एक्सोस्फियर के निचला सीमा हवे, एकरा के एक्सोबेस भी कहल जाला। थर्मोस्फियर के निचला हिस्सा में, पृथ्वी के सतह से 80 से 550 किलोमीटर (50 से 342 मील) के ऊँचाई वाला हिस्सा में आयनोस्फियर पावल जाला।

थर्मोस्फियर में तापमान लगातार ऊँचाई के साथे बढ़त जाला आ ई 1500 °C (2700 °F) तक ले चहुँप सके ला, हालाँकि गैस के अणु सभ एतना दूर-दूर होखे लें कि आम तापमान के सेन्स में इ बहुत मायने ना रखे ला। हवा अहिजा अतना बीरर हो जाला कि कौनों एक ठो मॉलिक्यूल (उदाहरण खातिर, ऑक्सीजन के) औसतन 1 किलोमीटर (0.62 मील; 3300 फीट) के दूरी तय करे के बाद कौनों दुसरे मॉलिक्यूल से टकराये ला।[17] भले थर्मोस्फियर में बहुत हाई एनर्जी वाला मॉलिक्यूल सभ भारी मात्रा में पावल जालें, आदमी अगर एह जगह पहुँचे तबो ओकरा सीधे संपर्क में आवे पर गर्मी ना महसूस होखी काहें से कि एकर घनत्व अतना कम बा कि भरपूर मात्रा में कंडक्शन द्वारा एनर्जी न मिली।

एह परत में कौनों बादर ना पावल जालें आ ई पूरा तरीका से जलभाप से मुक्त होला। हालाँकि, गैर-हाइड्रोमेट्रोलॉजिकल (गैर-जलीयमौसमी) घटना जइसे कि ऑरोरा बोरिआलिस आ ऑरोरा ऑस्ट्रालिस कभी कभार थर्मोस्फियर में देखे के मिले लीं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन एही परत में पृथ्वी के चक्कर 350 आ 420 किमी (220 आ 260 मील) के बीच लगावे ला। इहे ऊ लेयर हवे जहाँ बहुत सारा पृथ्वी के चक्कर लगावे वाला सैटेलाइट मौजूद बाड़ें।

एक्सोस्फियर

संपादन करीं

एक्सोस्फियर पृथ्वी के वायुमंडल के सभसे बाहरी लेयर हवे (मने कि वायुमंडल के ऊपरी सीमा)। ई लेयर थर्मोपॉज, जे थर्मोस्फियर के ऊपरी सीमा हवे आ समुंद्र तल से लगभग 700 किमी के ऊँचाई पर बा से लगभग 10,000 किमी (6,200 मील; 33,000,000 फीट) के ऊँचाई तक ले पावल जाला जहाँ ई सोलर विंड सभ के साथे मर्ज (बिलीन) हो जाला।[18]

ई लेयर मुख्य रूप से बहुत कम घनत्व वाला हाइड्रोजन, हीलियम आ कुछ भारी मॉलिक्यूल सभ जेह में एक्सोबेस के लगे के ऑक्सीजन आ नाइट्रोजन आ कार्बनडाईऑक्साइड के मॉलिक्यूल शामिल बाड़ें, से बनल हवे। एह परत में परमाणु एक दुसरे से अतना दूर बाड़ें कि एक दुसरे से टक्कर होखे से पहिले कई सौ किलोमीटर के यात्रा करे लें। एही कारन एक्सोस्फियर गैस के नियर ना बेहवार करे ला आ पार्टिकल सभ लगातार बाहरी स्पेस में छटकत रहे लें। ई फिरी-चाल वाला पार्टिकल सभ बैलेस्टिक ट्रेजेक्ट्री फालो करे लें आ ई सोलर विंड के मैग्नेटोस्फियर के भीतर आ बाहर आ जा सके लें।

एक्सोस्फियर पृथ्वी के अतना अधिक ऊँचाई आ दूरी पर बाटे कि अहिजा कौनों मौसम संबंधी घटना संभव नइखे। हालाँकि, पृथ्वी के ऑरोरा — ऑरोरा बोरीआलिस आ ऑरोरा ऑस्ट्रालिस -कभी काल्ह एकरे निचला हिस्सा एक्सोबेस मेंदेखलाइ पड़े लीं जहाँ ई थर्मोस्फियर के साथे ओभरलैप करे ला। एक्सोस्फियर में पृथ्वी के चक्कर लगावे वाला बहुत सारा आर्टिफिशियल सैटेलाइट बाड़ें।

अउरी दूसर परत

संपादन करीं

ऊपर बतावल पाँच गो लेयर सभ, जे मुख्य रूप से तापमान के आधार पर बाँटल गइल बाड़ीं, के अलावा अउरी दूसर लच्छन सभ के आधार पर कुछ अउरी लेयर चिन्हित कइल जा सके लीं:

  • ओजोन परत स्ट्रेटोस्फियर में पड़े ले। एह लेयर में ओजोन गैस के कंसंट्रेशन 2 से 8 पार्ट पर मिलियन बाटे, ई निचला वायुमंडल के तुलना में बहुत बेसी बाटे बाकी तबो पर वायुमंडल के मुख्य घटक सभ के तुलना में बहुत कम बा। ई मुख्य रूप से निचला स्ट्रेटोस्फियर में ऊँचाई पर पावल जाले, हालाँकि, एकर मोटाई सीजन आ जगह के हिसाब से बदलत रहे ला। पृथ्वी के वायुमंडल के कुल ओजोन के लगभग 90 %हिस्सा स्ट्रेटोस्फियर में पावल जाला।
  • आयनोस्फियर वायुमंडल के अइसन हिस्सा हवे जे सुरुज के रेडिएशन द्वारा आयोनाइज्ड हवे। एही मंडल में ऑरोरा के घटना घटित होखे ले। दिन के समय में ई बिस्तार वाला होला आ मेसोस्फियर, थर्मोस्फियर आ एक्सोस्फियर तीनों में बिस्तार लिहले रहे ला। हालाँकि, रात के समय जब सुरुज के प्रकाश ना पड़े ला मेसोस्फियर में आयोनाइजेशन के प्रासेस अधिकतर बंद हो जाला आ यही कारण ऑरोरा के घटना थर्मोस्फियर आ एक्सोस्फियर के निचला हिस्सा में देखलाई पड़े लीं। आयनमंडल मैग्नेटोस्फियर (चुंबकीयमंडल) के अंदरूनी किनारा बनावे ला। एह मंडल के प्रैक्टिकल इस्तेमाल भी बाटे, उदाहरण खातिर रेडियो प्रसारण एही लेयर के कारण संभव हो पावे ला।
  • होमोस्फियर (सममंडल) आ हेट्रोस्फियर के बर्गीकरण एह आधार पर कइल जाला कि वायुमंडल के गैस आपस में मिक्स बाड़ी कि नाहीं। सतह के नगीचे के होमोस्फियर में ट्रोपोस्फियर, स्ट्रेटोस्फियर, मेसोस्फियर आ थर्मोस्फियर के निचला हिस्सा आवे ला जहाँ वायुमंडल के केमिकल कंपोजीशन मॉलिक्यूल सभ के वजन से परभावित ना होला काहें से कि टर्बुलेंस के चलते इहाँ गैस मिक्स होखत रहे लीं।[19] ई मिक्सिंग के घटना आ एह लेयर के बिस्तार टर्बोपॉज तक ले रहे ला जेकर ऊँचाई बाटे, इहे स्पेस के शुरुआत के सीमा भी हवे आ ई मेसोपॉज से 20 किमी (12 मील; 66,000 फीट) ऊपर बाटे।
एकरा ऊपर के हिस्सा हेट्रोस्फियर हवे जेह में थर्मोस्फियर के जादेतर हिस्सा आ पूरा एक्सोस्फियर सामिल बाड़ें। एहिजे गैस सभ के केमिकल कंपोजीशन ऊँचाई से परभावित होखे ले आ बदले ले। एकर कारण ई हवे कि कौनों पार्टिकल के दुसरे से टकराए खातिर जेतना दूरी चले के पड़े ला ऊ मिक्सिंग के कारण बने वाला गति के दूरी से बेसी होखे ला। एह तरीका से गैस सभ अपना अपना मॉलिक्यूलर वज्नके हिसाबसे लेयर बना लेवे लीं; भारी गैस जइसे कि ऑक्सीजन आ नाइट्रोजन खाली एह हेट्रोस्फियर के निचला हिसा में पावल जाली आ ऊपरी हिस्सा में हाइड्रोजन आ हीलियम के परत मिले लीं।
  • प्लेनेटरी बाउंड्री लेयर ट्रोपोस्फियर के हिस्सा हवे आ पृथ्वी के सतह से सभसे नगीचे बा आ सतह के ऊँचाई निचाई से डाइरेक्ट परभावित होखे ले, मुख्य रूप से टर्बुलेंट डिफ्यूजन द्वारा। दिन के समय में इ लेयर आमतौर पर बढियाँ से मिक्स रहे ला, जबकि रात के समय स्टेबल हो जाला आ स्ट्रेटीफिकेशन होखे ला कुछ कमजोर मिक्सिंग के साथै। एह लेयर के सीमा कम से कम 100 मीटर (330 फीट) ले हो सके ले जब साफ़ आ शांत रात होखे आ 3,000 मी (9,800 फीट) भा अधिका हो सके ले जब दुपहरिया बाद के समय होखे आ नीचे के सतह सूखा वाली होखे।

पृथ्वी के वायुमंडल के औसत तापमान 14 °C (57 °F; 287 K)[20] चाहे 15 °C (59 °F; 288 K),[21] हवे जे संदर्भ पर निर्भर बा।[22][23][24]

भौतिक लच्छन

संपादन करीं
 
Comparison of the 1962 US Standard Atmosphere graph of geometric altitude against air density, pressure, the speed of sound and temperature with approximate altitudes of various objects.[25]

दाब आ मोटाई

संपादन करीं

समुंद्र तल पर एभरेज वायुमंडली दाब के इंटरनेशनल स्टैंडर्ड एटमॉस्फियर के 101325 पास्कल (760.00 टोर; 14.6959 psi; 760.00 mmHg) के बरोबर परिभाषित कइल गइल हवे। एकरे के कबो-काल्ह स्टैंडर्ड एटमॉस्फियर (atm) के इकाई (यूनिट) के रूप में परिभाषित कइल जाला। पृथ्वी के वायुमंडल के कुल द्रब्यमान (मास) 5.1480×1018 kg (1.135×1019 lb),[26] हवे जेवन 2.5% कम हवे ओह मान से जे समुंद्र तल के ऊपर हवा के गणना करे से आवे ला; ई घटती एह कारन हवे कि पृथ्वी पर मौजूद समुंद्र तल से ऊँच जमीनी हिस्सा अतना हवा के जगह खुद घेरले बाटे आ हवा के हटा दिहले बा; गणना एभरेज हवादाब आ पृथ्वी के क्षेत्रफल 51007.2 मेगाहेक्टेयर से कइल गइल जाले। हवादाब चाहे वायुमंडली दाब कौनों जगह पर हर इकाई क्षेत्रफल के ऊपर मौजूद कुल हवा के वजन होखे ला। एही कारन अलग-अलग जगह पर हवादाब बदलत रहे ला आ ओह जगह के मौसमो में बदलाव ले आवे ला।

अगर सगरी वायुमंडल के द्रब्यमान में एकसमान घनत्व रहित जेतना कि समुंद्र तल के ठीक ऊपर होखे ला (लगभग 1.2 kg per m3) पूरा के पूरा वायुमंडल 8.50 किमी (27,900 फीट) तक ले के ऊँचाई पर जा के अचानक खतम हो जाइत।

हवा के दाब ऊपर जाये पर ऊँचाई के साथे एक्स्पोनेंशियल रूप से घटे ला; लगभग हर 5.6 किमी (18,000 फीट) पर ई आधा हो जाला; चाहे 1/e (0.368) के अनुपात में हर 7.64 किमी (25,100 फीट) पर घटे ला (एकरा के स्केल हाइट कहल जाला) -- लगभग 70 किमी (43 मील; 230,000 फीट) तक ले के ऊँचाई तक ले। हालाँकि, वायुमंडल के अउरी अधिका बढ़ियाँ मॉडल हर लेयर खातिर खास तरीका के (कस्टमाइज क के) बनावल जा सके लें जे हर लेयर में तापमान के गिरावट के दर, मॉलिक्यूलर कंपोजीशन, सोलर रेडियेशन आ गुरुत्व के धियान में रख के बनावल जालें। ऊँचाई के मामिला में 100 किमी से ऊपर वायुमंडल के गैस सभ नीक से मिक्स ना होखे लीं। एकरा चलते हर केमिकल वेरायटी के आपन अपने किसिम के स्केल हाइट होखे ला।

संछेप में, पृथ्वी के वायुमंडल के ऊँचाई के साथे बितरण नीचे दिहल जात बा:[27]

  • 50% 5.6 किमी (18,000 फीट) से नीचे बा
  • 90% 16 किमी (52,000 फीट) से नीचे बा
  • 99.99997% 100 किमी (62 मील; 330,000 फीट) से नीचे बाटे, जेकरा के कारमन लाइन (Kármán line) कहल जाला। इंटरनेशनल कन्वेंशन के मोताबिक इहे स्पेस (बाहरी अंतरिक्ष) के निचली सीमा मानल गइल हवे; एकरे ऊपर जाए वाला मनुष्य लोगन के एस्ट्रोनॉट (अंतरिक्षयात्री) कहल जाला।

माउंट एवरेस्ट के ऊँचाई 8,848 मी (29,029 फीट) से तुलना कइ के देखल जाय तब; कॉमर्शियल एयरलाइन सभ के हवाईजहाज 10 आ 13 किमी (33,000 आ 43,000 फीट) के बीचा में उड़े लें जहाँ कम घनत्व (डेंसिटी) आ कम तापमान से ईंधन के एफ़ीशियेंसी बढ़ जाला; मौसम के नापजोख करे वाला वेदर बैलून (weather balloons) 30.4 किमी (100,000 फीट) तक आ अउरी ऊँचाई ले जालें; अब तक ले सभसे ऊँच उड़ान X-15 फ़्लाइट 1963 में 108.0 किमी (354,300 फीट) के ऊँचाई ले चहुँपल रहे।

तबो पर, कारमन लाइन के उपरों, महत्व वाली कई वायुमंडली घटना होखे लीं, जइसे कि ऑरोरा के देखलाई पड़ल, उल्कापिंड (मेटर) सभ एही एरिया में भभक के जरे लागे लें आ जे बहुत बड़हन होखे लें उहे अउरी नीचे प्रवेश कइ पावे ले नाहीं त उपरें जरि के बुता जालें। आयनमंडल के बिभिन्न लेयर महत्व के बाड़ी जे हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो प्रोपेगेशन में सहायक होखे लीं आ 100 किमी से शुरू हो के 500 किमी के ऊपर ले परभावी रहे लीं। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन आ स्पेस शटल सभ, तुलना में देखल जाय तब, आयनमंडल के ऍफ़-लेयर में 350–400 किमी के ऊँचाई पर भ्रमण करे लें आ एहिजो अतना वायुमंडली ड्रैग (खिंचाव, पाछे के) होखे ला की ऑर्बिट में बनल रहे खातिर समय-समय पर रिबूस्ट के जरूरत पड़े ला। सोलर एक्टिविटी के चलते बनावटी सैटेलाइट सभ जे 700–800 किमी के ऊँचाई पर चक्कर लगावे लें, उहो वायुमंडली ड्रैग के सामना करे लें।

 
कपासी बादर

बादर, अकास में पानी की बहुत छोट बुन्नी आ बरफ की कन से बनल चीज बा जेवन हवा में उधियात रहेला आ धीरे-धीरे एक जगह से दुसरे जगह जाला। एही बादर सभ में जब पानी के बड़ बुन्नी बन जालीं तब ऊ हवा में ना रुक पावे लीं आ नीचे गिरे सुरू हो जालीं जेकरा के बरखा कहल जाला।

  1. "Gateway to Astonaut Photos of Earth". NASA. Retrieved 2018-01-29.
  2. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named CO2
  3. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named methane
  4. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named handbook
  5. चित्र खातिर स्रोत: कार्बन डाईऑक्साइड, NOAA Earth System Research Laboratory, (updated 2013-03). मीथेन, IPCC TAR table 6.1 Archived 2007-06-15 at the Wayback Machine, (updated to 1998). The NASA total was 17 ppmv over 100 %, and CO2 was increased here by 15 ppmv. To normalize, N2 should be reduced by about 25 ppmv and O2 by about 7 ppmv.
  6. Vaughan, Adam (2015-05-06). "Global carbon dioxide levels break 400ppm milestone". The Guardian (ब्रिटिश अंग्रेजी में). ISSN 0261-3077. Retrieved 2016-12-25.
  7. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named WallaceHobbs
  8. "Air Composition". The Engineering ToolBox. Retrieved 2017-07-04. The composition of air is unchanged until elevation of approximately 10.000 m
  9. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named tropopauseheight
  10. Barry, R.G.; Chorley, R.J. (1971). Atmosphere, Weather and Climate. London: Menthuen & Co Ltd. p. 65. ISBN 9780416079401.
  11. Tyson, P.D.; Preston-Whyte, R.A. (2013). The Weather and Climate of Southern Africa (2nd ed.). Oxford: Oxford University Press. p. 4.
  12. "Troposphere". Concise Encyclopedia of Science & Technology. McGraw-Hill. 1984. It contains about four-fifths of the mass of the whole atmosphere.
  13. Journal of the Atmospheric Sciences (1993). "stratopause". Archived from the original on 2013-10-19. Retrieved 2013-10-18.
  14. States, Robert J.; Gardner, Chester S. (January 2000). "Thermal Structure of the Mesopause Region (80–105 km) at 40°N Latitude. Part I: Seasonal Variations". Journal of the Atmospheric Sciences. 57 (1): 66–77. Bibcode:2000JAtS...57...66S. doi:10.1175/1520-0469(2000)057<0066:TSOTMR>2.0.CO;2.
  15. Joe Buchdahl. "Atmosphere, Climate & Environment Information Programme". Ace.mmu.ac.uk. Archived from the original on 2010-07-01. Retrieved 2012-04-18.
  16. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named thermosphere
  17. Ahrens, C. Donald. Essentials of Meteorology. Published by Thomson Brooks/Cole, 2005.
  18. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named :0
  19. "homosphere – AMS Glossary". Amsglossary.allenpress.com. Archived from the original on 14 September 2010. Retrieved 2010-10-16.
  20. "Earth's Atmosphere". Archived from the original on 2009-06-14.
  21. "NASA – Earth Fact Sheet". Nssdc.gsfc.nasa.gov. Archived from the original on 30 October 2010. Retrieved 2010-10-16.
  22. "Global Surface Temperature Anomalies". Archived from the original on 2009-03-03.
  23. "Earth's Radiation Balance and Oceanic Heat Fluxes". Archived from the original on 2005-03-03.
  24. "Coupled Model Intercomparison Project Control Run" (PDF). Archived from the original (PDF) on 2008-05-28.
  25. Geometric altitude vs. temperature, pressure, density, and the speed of sound derived from the 1962 U.S. Standard Atmosphere.
  26. Trenberth, Kevin E.; Smith, Lesley (1970-01-01). "The Mass of the Atmosphere: A Constraint on Global Analyses". Journal of Climate. 18 (6): 864. Bibcode:2005JCli...18..864T. CiteSeerX 10.1.1.727.6573. doi:10.1175/JCLI-3299.1. S2CID 16754900.
  27. Lutgens, Frederick K. and Edward J. Tarbuck (1995) The Atmosphere, Prentice Hall, 6th ed., pp. 14–17, ISBN 0-13-350612-6

बाहरी कड़ी

संपादन करीं