सीजन
सीजन (हिंदी/संस्कृत: ऋतु) मौसम में होखे वाला बदलाव की आधार पर साल क बिभाजन होला। कौनों जगह की मौसम होखे वाला बदलाव जवन हर साल, साल की अलग-अलग हिस्सा में, एगो निश्चित क्रम में होला ओही की आधार पर एक बरिस के अलग-अलग सीजन में बाँट दिहल जाला। भारत में अधिकतर हिस्सा में तीन गो मुख्य सीजन होला गर्मी, जाड़ा आ बरसात।
पुरान भारतीय हिसाब से इहाँ साल के छह गो ऋतु में बाँटल जाला - बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत आ शिषिर (या शीत)। बाकी ई जगह की भूगोलीय स्थिति पर निर्भर बाटे, बहुत जगह ख़ाली दू गो सीजन होला जाड़ा आ बसंत। जबकि कुछ जगहन पर साल भर एक्के नियर मौसम रहेला आ कौनों सीजन ना पावल जाला।
मौसम में सीजन की अनुसार बदलाव क मुख्य कारण पृथ्वी क अपनी धुरी पर झुकाव आ साल भर में सुरुज क चक्कर लगावत घरी ए झुकाव की दिशा क सुरुज से संबंध बाटे। साल की जेवना हिस्सा में उत्तरी गोलार्ध सुरुज की ओर झुकल रहेला, इहाँ गर्मी या बसंत क सीजन होला। जब उत्तरी गोलार्ध क झुकाव सुरुज की सम्मुख ना होके, एकरी बिपरीत होला, तब इहाँ जाड़ा क सीजन हो जाला।
एकरी ठीक बिपरीत, जब उत्तरी गोलार्ध में गर्मीं होला तब दक्खिनी गोलार्ध में जाड़ा क सीजन होला।
छह ऋतु
संपादन करींदक्खिनी एशिया, यानी भारत के आसपास के इलाका में, साल के छह गो ऋतु में बाँटे के परंपरा हवे। एकर एगो आसान बिबरन नीचे दिहल जात बा:
ऋतु | सुरुआत | अंत | हिंदू महीना | अंग्रेजी नाँव से समानता |
---|---|---|---|---|
बसंत | बीच-मार्च | बीच-मई | चइत, बइसाख | स्प्रिंग सीजन |
ग्रीष्म | बीच-मई | बीच-जुलाई | जेठ, अषाढ़ | समर |
वर्षा | बीच-जुलाई | बीच-सितंबर | सावन, भादो | मानसून |
शरद | बीच-सितंबर | बीच-नवंबर | कुआर, कातिक | ऑटम |
हेमंत | बीच-नवंबर | बीच-जनवरी | अगहन, पूस | अर्ली विंटर |
शिषिर | बीच-जनवरी | बीच-मार्च | माघ, फागुन | लेट विंटर |
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संपादन करींसंदर्भ
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