जञनी, जुआनी चाहे जोनी(अंग्रेजी: Vagina (वैजाइना)[1]; संस्कृत: योनि) मय मैमल जीव सभ के देह मे मांसपेशी से बनल नली के आकार के अंग होला आ ई मादा जननांग के हिस्सा होला। मनुष्य भी एगो मैमल, माने कि स्तनधारी जीव हवे आ मनुष्यन में ई अंग औरत के दुनों जाँघ के महे खुले वाला वल्वा से ले के शरीर के अंदर मौजूद कोख के मुहाना (सर्विक्स) ले के बीच के हिस्सा होला। देह के एह अंग के मुख्य काम सेक्स, जचगी आ महिनवारी के बहाव बाहर निकालल हवे।

जञनी
मनुष्य में मादा जननांग के बिबिध हिस्सा
वल्वा ऊपरी हिस्सा के कहल जाला, जेह में दूनो ओर फुल्लल मोट ओठ नियर अंग के लैबिया कहल जाला; लैबिया के बीच में बुर के छेद मौजूद होला
1: क्लाइटो रल हिस्स
2: क्लाइटोरिस
3: लैबिया माइनर
4: पेशाब मार्ग
5: बुर के छेद
6: पेरीनियम
7: गाँड़
Details
Identifiers
LatinVagina
MeSHD014621
TA98A09.1.04.001
TA23523
FMA19949
Anatomical terminology

जञनी के बनावट आ शरीर में एकर अस्थान अलग-अलग प्रजाति के जानवर सभ में अलग-अलग होला आ आकारो अंतर होखेला। आमतौर पर मादा मैमल सभ में वल्वा मे दुगो बाहरी छेद होला जेह में से एक ठो मैदान करे ला होखेला आ दुसरका सेक्स आ जचगी खातिर। ई नर मैमल सभ से अलग होला, नर मैमल में पेशाब करे आ प्रजनन दुनो काम खातिर एक्के गो छेद होखेला जेमे से पेशाब आ वीर्य (बीज) दुनों बाहर निकसेला। योनि-द्वार नजदीके के मूत्र-द्वार से बहुत बड़हन होला आ मानव जाति के दुनो छेद के लेबिया द्वारा सुरक्षा प्रदान करल रहेला। उभयचर जंतु जइसे की चिरई कुल, अंडजस्तनी (अंडा देवे वाली जीव सभ) में एक्केगो छेद होखेला, मल-नली, जठरांत्र-नली, मूत्र-नली, प्रजनन-नली सभन खातिर एकहिगो द्वार होखेला।

संभोग घड़ी, जञनी के अंदरूनी सतह प चिकनाहट वाला पदार्थ भा रस सरवत्त्ते लागे ला जवना से एह में आसानी से घुसाव संभव हो सके, अइसन मनुष्य सभ मे आ अन्य मैमल सभ में भी होला। एह रस के नमी के चलते जञनी में चिकनाहट बढ़ जाला आ रगड़ में कमी आवेला जवना से संभोग आसान हो जाला। जञनी के अंदरूनी सतह के बनावट भी लहरदार होले जवना से शीशन प पर्याप्त रगड़ पैदा होले आ बीर्य के निकले तक के प्रक्रिया पूरा होला, जेकरे बाद गरभ धारण हो सकेला। जञनी मे संभोग बजी आनंद आ प्रेम के लगाव मे बढ़त के अलावा अउरी किसिम के परभाव भी हो सकेला, जइसे हेट्रोसेक्सुअल भा लेस्बियन सेक्स के कारण सेक्स संबंधी इन्फेक्शन आ बेमारी (एसआईटी) के एक बेकत से दोसर बेकत मे संचार हो सकेला। एह तरह के इन्फेक्शन आ बेमारी सभ से बचाव खाती बिबिध तरह के सेफ तरीका के पालन कइल जा सके ला। एकरे अलावा जञनी से संबंधित कई तरह के रोग बाड़ें जिनहन से मनुष्य के जञनी परभावित हो सके ले।

जञनी शब्द, सामाजिक रूप से पूरा मानव इतिहास में बहुत संबेदनशील रहल बा आ नकारात्मक दृष्टिकोण, भाषा में आ सांस्कृतिक सोच में एकरा के गंदा रूप में प्रस्तुतीकरण, आ तरह-तरह के टैबू (नकारात्मक मान्यता) सभ, औरत के कामुकता के चीन्हा, आध्यात्मिक रहस्यवाद आ जीवनशक्ति आ प्रजनन से जुड़ल बाटे। सामाजिक सोच में जञनी, गंदा आ अश्लील चीज से ले के पूजनीय चीज (चीन्हा भा प्रतीक के रूप में) ले बिबिध रूप में देखल गइल बा।

आम भाषा में जञनी शब्द औरत के जननांग के बाहरी हिस्सा (अंग्रेजी में वल्वा भा संस्कृत में भग) खाती भी इस्तमाल होला आ भीतरी नलीनुमा हिस्सा खाती भी। हालाँकि, मेडिकल शब्दावली आ तकनीकी रूप से खाली अंदरूनी नलीदार हिस्सा के जञनी (वैजाइना) कहल जाला। एह बिभेद के जानकारी सेक्स संबंधी ज्ञान आ कई तरह के बेमारी रोके में सहायक हो सकेला। प्राचीन भारतीय ग्रंथ सभ में जञनी के आकृती के आधार प कई प्रकार भी गिनावल गइल बा।[2] कामसूत्र में एकर प्रकार आ बिभेद के बिस्तार से बर्णन बा; चरकसंहिता में कई किसिम के जञनी संबंधी रोग के बिबरन दिहल गइल बा।[3]

संरचना

सामान्य परिचय

 
पेडू के काट, आ मादा जननांग के संरचना देखावत चित्र

मनुष्य सभ में बुर मांसपेसी से बनल एगो लचकदार नली होले जे बाहरी हिस्सा #वल्वा से ले के सर्विक्स तक ले जाले।[4][5] एकर रंग गुलाबी होला आ, बाहरी माथ गुप्तांग त्रिभुज में खुले ला आ अंदरूनी माथ गर्भाशय से जुड़े ला, गर्भाशय आ जञनी के नली के जोड़ के सर्विक्स कहल जाला। सर्विक्स से जञनी के नली के जुड़ाव के अंग्रेजी में फोर्निक्स कहल जाला, फोर्निक्स बाहरी नली नियर होला जेह में सर्विक्स अंदरूनी नली के रूप में समाइल होला।[6] जञनी के बाहरी माथ, गुप्तांग त्रिभुज में खुले ला, गाँड़ आ जञनी के छेद के बीच के सतह के अंग्रेजी में पेरीनम कहल जाला, एह पेरीनम के ठीक ऊपर जञनी के नली के छेद होला आ जञनी के छेद के ठीक ऊपर पेशाब करे वाला छेद, यानी मुतरी या पेशाब मार्ग होला जेकरा अंग्रेजी में यूरेथ्रल ओपनिंग कहल जाला। बाहर से अंदर के ओर जञनी के नली ऊपर के ओर आ पाछे के ओर बढ़ल होले, ई नली पेशाब मार्ग (यूरेथ्रा) आ मलाशय (रेक्टम) के बीच से हो के गुजरे ले, एकरे अंतिम माथ पर जेकरा के फोर्निक्स कहल जाला लगभग 90 डिग्री के कोण पर एह में सर्विक्स आ के घुसल होला।[7]

वल्वा

हालाँकि, भोजपुरी में जञनी नली वाला हिस्सा के भी कहल जाला आ बाहरी हिस्सा के भी, तकनीकी रूप से आ मेडिकल साइंस में इनहन में अंतर कइल जाला। तकनीकी रूप से दुनों जाँघ के बीच के सगरी गुप्तांग सभ के गुप्तांग त्रिभुज के रूप में परिभाषित कइल जाला। औरतन में एह त्रिभुज के संरचना में सभसे ऊपर क्लाइटोरल हुड होला आ सभसे नीचे मलदुआर जेवना से मल निकास होला।

एह गुप्तांग त्रिभुज के ऊपरी हिस्सा के वल्वा कहल जाला, या आम भाषा में जेकरा के जञनी कहल जाला। एह हिस्सा में दू गो छेद होलें, ऊपरी पेशाब मार्ग, निचला जञनी के नली के बाहरें खुले वाला छेद; एह दुनों छेद के अगल-बगल सुरक्षा खाती लेबिया माइनरलेबिया मेजर रुपी संरचना होला, मने कि दोहरा ओठ नियर फुल्लल अंग। बाहरी मोट ओठ नियर संरचना के लेबिया मेजोरा कहल जाला आ एकरे अंदर छिपल बाकी सभ अंग वाला हिस्सा के आम भाषा में जञनी आ तकनीकी भाषा में वल्वा कहल जाला।[8]

समाज आ संस्कृति में

मय इतिहास में, जञनी के बारे में कई किसिम के धारणा आ सोच मिले ला, एकरा के कई तरह से बोध में लिहल गइल मिले ला, एह परसेप्शन सभ में कई चीज सामिल बा। उदाहरण खातिर ई कामुक इच्छा के केंद्र मानल जाय, जनम एही रास्ता से होखे के कारण ई जीवन के प्रतीक आ चीन्हा मानल जाय, शिशन से कमतर आँकल जाय, देखे चाहे महक में बेकार बूझल जाय या फिर अश्लीलता से जोड़ल जाय।[9][10][11] एह बिचार आ धारणा सभ खाती बहुत हद तक नर आ मादा के बीचा के अंतर सभ, जेह में काम संबंधी अंतर खास रूप से सामिल बाने, जिम्मेदार मानल जालें आ इहो सामिल कइल जाला कि ई अंतर सभ के कवना तरीका से ब्याख्या कइल जा रहल बा। एगो इवोल्यूशनरी साइकोलाजिस्ट डेविड बस्स के कहल बा कि चूँकि शिशन के आकार क्लाइटोरिस के साइज से काफी बड़हन होला आ शिशन एक तरह से ढेर लउके वाला अंग हवे जबकि जञनी देख्लाई ना पड़े ला (तुलना में), मरदाना लोग शिशन से पेसाब करे ला, लइका छोटपने से आपन शिशन छुए के सीख लेलें जबकि लइकी सभ के आपन जञनी छुए के गलत बतावल सिखावल जाला, एह कारन उनहन के दिमाग मे ई आ जाला कि ई एकरा के छुए से कौनों नोकसान होखी। इहे कारन बा कि बहुत सारी औरत सभ अपना जञनी के बारे में बहुत जानकारी ना रखेलीं। वैज्ञानिक लोग इहो मान्यता रखे ला जे एही कारन लइका सभ लइकिन के तुलना मे हाली हस्त मैथुन चाहे मास्टरबेशन के सीख जालें आ ई काम लइकी सभ के तुलना में बेसी करे लें।[12]

अन्य जावनर सभ में

जञनी अइसन संरचना हवे जे ओह जानवर सभ में पावल जाले जे सभ में मादा अंदरूनी तरीका से गरभ धारण करे ले, जबकि कुछ वर्टीब्रेट सभ में ई काम शरीर के बहरें होला जैसे कि मेंघुचा सभ में, आ इनहन में जञनी ना पावल जाला। जञनी के आकृति अलग-अलग जानवर सभ में अलग-अलग होला। खेड़ी वाला आ मार्सूपी जानवर सभ में गर्भाशय से ले के मादा के शरीर के बाहरें ले जञनी होला। मादा मार्सूपियल सभ में दू गो जञनी होले आ साइड बाई साइड दू गो गर्भाशय से जुड़े लीं बाकी ई शरीर के बहरें खुले लीं एकही ओठदार मुहाना के रूप में, तिसरही जञनी परमानेंट भा कुछ समय खाती हो सके ले जे ट्रांजीटरी कनाल कहाला आ बच्चा एह रास्ता से बहरें आवे ला (उदाहरण के रूप में कंगारू सभ में ई तीनों जञनी होलीं)।[13] चित्तीदार हाइना (लकडबग्घा) में मादा बाहरी रूप से जञनी के छेद वाली ना होखे लीं बलुक पेसाब, मैथुन आ बच्चा जनमावे के काम, तीनों क्लाइटोरिस के जरिये होखे ला।[14] The vagina of the female coyote contracts during copulation, forming a copulatory tie.[15]

संदर्भ

  1.  . "Vagina | Definition of Vagina by Merriam-Webster". Merriam-webster.com. Retrieved 3 फरवरी 2018.{{cite web}}: CS1 maint: extra punctuation (link)
  2. Mulachara. Bhāratīya Jñānapīṭha Prakāśana. 2002. pp. 285–. ISBN 978-81-263-0784-5.
  3. Shri Jaidev Vidhya Alankar Pranitya (2007). Charaksamhita Mahrishina Bhagvataniveshen Pranita Mahamunina Charken Pratisanskrita Uttro Bhag. Motilal Banarsidass Publishe. pp. 513–. ISBN 978-81-208-2305-1.
  4. Snell RS (2004). Clinical Anatomy: An Illustrated Review with Questions and Explanations. Lippincott Williams & Wilkins. p. 98. ISBN 978-0-7817-4316-7.{{cite book}}: CS1 maint: uses authors parameter (link)
  5. Dutta DC (2014). DC Dutta's Textbook of Gynecology. JP Medical Ltd. pp. 2–7. ISBN 9351520684.{{cite book}}: CS1 maint: uses authors parameter (link)
  6. Gray's anatomy : the anatomical basis of clinical practice (40th ed.). London: Churchill Livingstone. 2008. p. 1281–4. ISBN 978-0-8089-2371-8. {{cite book}}: Unknown parameter |editors= ignored (help)
  7. Ginger VA, Yang CC (2011). "Functional Anatomy of the Female Sex Organs". Cancer and Sexual Health. Springer. pp. 13, 20–21. ISBN 1-60761-915-6. {{cite book}}: Unknown parameter |editors= ignored (help)CS1 maint: uses authors parameter (link)
  8. Ransons A (मई 15, 2009). "Reproductive Choices". Health and Wellness for Life. Human Kinetics 10%. p. 221. ISBN 978-0-7360-6850-5. Retrieved जुलाई 30, 2013.{{cite book}}: CS1 maint: uses authors parameter (link)
  9. Stone L (2002). New Directions in Anthropological Kinship. रोमैन & लिटिलफील्ड. p. 164. ISBN 058538424X.
  10. Hutcherson H (2003). What Your Mother Never Told You about Sex. पेंग्विन बुक्स. p. 8. ISBN 0399528539.
  11. LaFont S (2003). Constructing Sexualities: Readings in Sexuality, Gender, and Culture. प्रेंटिस हाल. p. 145. ISBN 013009661X.
  12. Buss DM, Meston CM (2009). Why Women Have Sex: Understanding Sexual Motivations from Adventure to Revenge (and Everything in Between). मैकमिलन पब्लिशर्स. p. 33. ISBN 1429955228.
  13. Hugh Tyndale-Biscoe; Marilyn Renfree (30 January 1987). Reproductive Physiology of Marsupials. कैंब्रिज युनिवर्सिटी प्रेस. ISBN 978-0-521-33792-2.
  14. Szykman M, Van Horn RC, Engh AL, Boydston EE, Holekamp KE (2007). "Courtship and mating in free-living spotted hyenas" (PDF). Behaviour. 144 (7): 815–846. doi:10.1163/156853907781476418. Archived from the original (PDF) on 2012-11-30. Retrieved 2018-09-21.
  15. Bekoff M, Diamond J (मई 1976). "Precopulatory and Copulatory Behavior in Coyotes". जर्नल ऑफ़ मैमलॉजी. अमेरिकन सोसाइटी ऑफ़ मैमलॉजिस्ट. 57 (2): 372–375. doi:10.2307/1379696. JSTOR 1379696.

बाहरी कड़ी