हनुमान चालीसा
हनुमान चालीसा चाहे हनुमान चलीसा हिंदू देवता हनुमान के गुणगान में भक्ति गीत (स्तोत्र) ह।[2][3][4] तुलसीदास एकर रचना अवधी भाषा में कइलेन,[2] आ रामचरितमानस के अलावा ई इनके सभसे परसिद्ध रचना ह।[5][6]
हनुमान चालीसा | |
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जानकारी | |
धरम | हिंदू धर्म |
लेखक | तुलसीदास |
भाषा | अवधी भाषा[1] |
छंद | 40 |
बिधा | भक्ति साहित्य |
हनुमान जी राम के भक्त हवें आ रामायण के केंद्रीय पात्रन में से एक हवें। शैव परंपरा के अनुसार हनुमानो एगो देवता हवन जे शिव के अवतार हवें। लोककथा सभ में हनुमान जी के शक्ति के तारीफ मिले ला।[7] हनुमान देवता के गुण – उनकर ताकत, साहस, बुद्धि, ब्रह्मचर्य, राम के प्रति उनकर भक्ति आ जवना कई गो नाम से उनकर जानल जाला – के बिस्तार से हनुमान चालीसा में बर्णन कइल गइल बा।[7] हनुमान चालीसा के पाठ भा जप एगो आम धार्मिक प्रथा ह।[8] हनुमान चालीसा हनुमान के गुणगान में सबसे लोकप्रिय गीत ह, आ रोज लाखों हिंदू लोग एकर पाठ करेला।[9]
बिबरन
संपादन करींहनुमान चालीसा के अरथ होला - हनुमान पर चालीस ठे चौपाई। "चालीसा" भा "चलीसा" शब्द "चालीस" से बनल बा, जेकर मतलब होला चालीस के संख्या, काहें से कि हनुमान चालीसा में 40 गो चौपाई छंद बाड़ें (शुरुआत आ अंत में के दोहा सभ के छोड़ के)।[2]
एकर रचना के श्रेय तुलसीदास के दिहल जाला, जे 16वीं सदी ईसवी में एगो कवि-संत रहलें। स्तोत्र के अंतिम श्लोक में उ आपन नाम के जिकिर कइले बाड़ें। हनुमान चालीसा के 39वीं चौपाई में कहल गइल बा कि जे हनुमान जी के पूरा भक्ति से एकर जप करी, ओकरा प हनुमान के कृपा होई। दुनिया भर के हिंदू लोग में ई बहुत लोकप्रिय मान्यता बा कि चालीसा के जाप से गंभीर समस्या में हनुमान के दिव्य हस्तक्षेप के आह्वान होला।
लेखक
संपादन करींतुलसीदास[10] (1497/1532–1623) एगो हिंदू कवि-संत, सुधारक आ दार्शनिक रहलें जे राम के प्रति भक्ति खातिर परसिद्ध रहलें। कई गो लोकप्रिय रचना सभ के रचयिता तुलसीदास के सभसे ढेर जानल जाला महाकाव्य रामचरितमानस के लेखक के रूप में, जे लोकभाषा में अवधी भाषा में रामायण के दोबारा बर्णन हवे। तुलसीदास के उनुका जियते में उनुका के संस्कृत में मूल रामायण के रचनाकार वाल्मीकि के पुनर्जन्म के रूप में प्रशंसित कइल गइल रहे।[11] तुलसीदास अपना निधन तक वाराणसी नगर में रहत रहले।[12] बनारस के तुलसी घाट के नाम उनके नाम पर रखल गइल बा।[10] ऊ बनारस में हनुमान के समर्पित संकट मोचन हनुमान मंदिर के स्थापना कइलें, मानल जाला कि ई ओह जगह पर खड़ा हवे जहाँ इनके हनुमान के दर्शन भइल रहल।[13] तुलसीदास रामलीला नाटकन के शुरुआत कइलन जवन रामायण के लोक-रंगमय रूपांतरण ह।[14] हिंदी, भारतीय, आ विश्व साहित्य के सबसे बड़ कवि में से एक के रूप में उनुकर प्रशंसा मिलल बा।[15][16][17][18] भारत में कला, संस्कृति आ समाज पर तुलसीदास आ इनके रचना सभ के परभाव बहुत ब्यापक बा आ आजु ले लोकभाषा, रामलीला नाटक, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, लोकप्रिय संगीत, आ टेलीविजन धारावाहिक सभ में देखल जाला।[14][19][20][21]
भाषा
संपादन करींहनुमान चालीसा के 40 गो चौपाई छंद के पहिले शुरू में 2 गो दोहा आ अंत में एगो दोहा बाड़ें।[22] चालीसा में क्रम से ज्ञान, बिना कवनो इच्छा के राम आ मनुष्य के प्रति भक्ति।[23] जइसे भक्ति साहित्य के मामला में तुलसीदास जी कविता के शुरुआत अपना गुरु (गुरु) के गुणगान करत दू गो दोहा से कइले बाड़न।[24] चालीसा के भाषा अवधी भाषा हवे।[25]
देवता
संपादन करींहिंदू देवता जेकर ई प्रार्थना हवे ऊ हनुमान हवें, जे राम ( विष्णु के सातवाँ अवतार ) आ रामायण के एगो केंद्रीय पात्र, के कट्टर भक्त हवें। वानर लोग में सेनापति हनुमान राक्षस राजा रावण के खिलाफ युद्ध में राम के योद्धा रहले। हनुमान के कारनामा के कई किसिम के धार्मिक आ सांस्कृतिक परंपरा सभ में[26] खासतौर पर हिंदू धर्म में, एह हद ले मनावल जाला कि ऊ अक्सर कुछ भक्ति परंपरा सभ के अनुसार पूजा के बिसय होलें,[27] आ कई गो मंदिर सभ में ई प्रधान देवता हवें जे जानल जालें हनुमान मंदिर के रूप में। ऊ सात गो चिरंजीवी (अमर) में से एक हवें। हनुमान जी अर्जुन के रथ पर महाभारत में भी उनकर ध्वज (झंडा) के रूप में आवेला।
पाठ
संपादन करींएह रचना में तेतालीस गो छंद बाड़ें – दू गो परिचयात्मक दोहा, चालीस गो चौपाई आ अंत में एगो दोहा।[2] पहिला परिचयात्मक दोहा के शुरुआत श्री शब्द से होला जवन शिव के कहल जाला, जेकरा के हनुमान के गुरु मानल जाला।[24] हनुमान के शुभ रूप, ज्ञान, गुण, शक्ति आ बहादुरी के वर्णन पहिला दस चौपाई में कइल गइल बा।[25][26][27] चौपाई एगारह से बीस में हनुमान के राम के सेवा में कइल गइल काम के वर्णन बा आ एगारहवाँ से पन्द्रहवाँ चौपाई में लक्ष्मण के चेतना में वापस ले आवे में हनुमान के भूमिका के वर्णन कइल गइल बा।[25] एकइसवीं चौपाई से तुलसीदास हनुमान के कृपा के जरूरत के वर्णन कइले बाड़न।[28] अंत में तुलसीदास हनुमान जी के सूक्ष्म भक्ति से अभिवादन करे लें[29] आ इनके दिल में आ भक्त लोग के दिल में निवास करे के निहोरा करे लें।[30] समापन दोहा में फिर से हनुमान से राम, लक्ष्मण आ सीता के साथे दिल में निवास करे के निहोरा कइल गइल बा।[31]
दोहा
संपादन करीं- श्रीगुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुर सुधारि ।
- वर्नौ रघुवर विमल जशु जो दायक फल चारि ।।
- बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवन कुमार ।
- बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार ।।
चौपाई
संपादन करीं- जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
- जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥
- राम दूत अतुलित बल धामा ।
- अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥२॥
- महाबीर विक्रम बजरंगी ।
- कुमति निवार सुमति के संगी ॥३॥
- कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
- कानन कुंडल कुँचित केसा ॥४॥
- हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे ।
- काँधे मूँज जनेऊ साजे ॥५॥
- संकर स्वयं केसरी नंदन ।
- तेज प्रताप महा जग वंदन ॥६॥
- विद्यावान गुणी अति चातुर ।
- राम काज करिबे को आतुर ॥७॥
- प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
- राम लखन सीता मनबसिया ॥८॥
- सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा ।
- बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥९॥
- भीम रूप धरि असुर संहारे ।
- रामचंद्र के काज सवाँरे ॥१०॥
- लाऐ संजीवन लखन जियाए ।
- श्री रघुबीर हरषि उर लाए ॥११॥
- रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
- तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥१२॥
- सहस बदन तुम्हरो यस गावै ।
- अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ॥१३॥
- सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
- नारद सारद सहित अहीसा ॥१४॥
- यम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
- कवि कोविद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥
- तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा ।
- राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥१६॥
- तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
- लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥१७॥
- जुग सहस्त्र योजन पर भानू ।
- लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥१८॥
- प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही ।
- जलधि लाँघि गए अचरज नाही ॥१९॥
- दुर्गम काज जगत के जेते ।
- सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥
- राम दुआरे तुम रखवारे ।
- होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥२१॥
- सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
- तुम रक्षक काहू को डरना ॥२२॥
- आपन तेज सम्हारो आपै ।
- तीनहूं लोक हाँक ते काँपै ॥२३॥
- भूत पिशाच निकट नहि आवै ।
- महाबीर जब नाम सुनावै ॥२४॥
- नासै रोग हरे सब पीरा ।
- जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥२५॥
- संकट तें हनुमान छुडावै ।
- मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥२६॥
- सब पर राम राय सिर ताजा ।
- तिनके काज सकल तुम साजा ॥२७॥
- और मनोरथ जो कोई लावै ।
- सोइ अमित जीवन फल पावै ॥२८॥
- चारों जुग परताप तुम्हारा ।
- है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥
- साधु संत के तुम रखवारे ।
- असुर निकंदन राम दुलारे ॥३०॥
- अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
- अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥
- राम रसायन तुम्हरे पासा ।
- सादर हो रघुपति के दासा ॥३२॥
- तुम्हरे भजन राम को पावै ।
- जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥
- अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
- जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥
- और देवता चित्त ना धरई ।
- हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥३५॥
- संकट कटै मिटै सब पीरा ।
- जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥
- जै जै जै हनुमान गोसाई ।
- कृपा करहु गुरु देव की नाई ॥३७॥
- यह सत बार पाठ कर जोई ।
- छूटहि बंदि महा सुख होई ॥३८॥
- जो यह पढ़े हनुमान चालीसा ।
- होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥
- तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
- कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥४०॥
।। दोहा ।।
- पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
- राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥
टीका सभ
संपादन करीं1980 के दशक से पहिले हनुमान चालीसा पर कवनो टीका ना बनावल गइल रहे, जवना के रामभद्राचार्य एह रचना के तुलसीदास के संग्रहित रचना के मुद्रित संस्करण में शामिल ना होखे के कारण बतावेलें।[2] हनुमान चालीसा पर पहिला संक्षिप्त टीका इंदुभूषण रामायनी के रचना हवे।[2] रामभद्राचार्य के हिंदी में महावीरी टीका, जेकर रचना 1983 में भइल,[2] रामचंद्र प्रसाद द्वारा हनुमान चालीसा पर सभसे नीक टीका कहल गइल।
समीक्षा
संपादन करींस्वामी करपात्री हनुमान चालीसा के वैदिक मंत्रन के तरह एगो परम प्रमाण, सर्वशक्तिमान आ सभ इच्छा के पूरा करे में सक्षम मानत रहले।[2] रामभद्राचार्य एकरा के शुभता से भरल आ "स्तोत्रन के बीच गहना" कहलें, आ कहलें कि ऊ कई गो अइसन उदाहरण के साक्षी आ सुनले बाड़ें जहाँ आस्था के साथ चालीसा पाठ करे वाला लोग के इच्छा पूरा भइल।[2]
पॉपुलर संस्कृति में
संपादन करींहनुमान चालीसा के पाठ लाखों हिंदू लोग रोज करे ला[9] आ भारत के अधिकतर साधक हिंदू लोग के एकर पाठ जबानी इयाद बा।[28] ई रचना बिबिध शैक्षिक, सामाजिक, भाषाई, संगीत, आ भौगोलिक समूह सभ के लोग के बीच लोकप्रिय होखे बा।[28]
शास्त्रीय आ लोक संगीत
संपादन करींहनुमान चालीसा हिंदू धार्मिक किताबन में से एगो ह आ एकरा के कई गो लोकप्रिय भजन, शास्त्रीय आ लोक गायक लोग गवले बा।[28] हरि ओम शरण के हनुमान चालीसा के प्रस्तुति, मूल रूप से 1974 में भारत के ग्रामोफोन कंपनी द्वारा रिलीज कइल गइल आ 1995 में सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज द्वारा दोबारा रिलीज कइल गइल,[29] सभसे लोकप्रिय सभ में से एक बा, आ नियमित रूप से पूरा उत्तरी भारत के मंदिर आ घर सभ में बजावल जाला।[28] ई प्रस्तुति मिश्र खमाज में पारंपरिक धुन पर आधारित बा, जवन खमाज थाट के एगो राग ह,[29] जवना के आधार स्वर हारमोनियम के दूसरा करिया कुंजी (काली दो ) पर लिहल गइल बा।[29] एही पारंपरिक धुन पर आधारित रिकार्डिंग सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज के ओर से 1992 में रिलीज भइल, जवना में हरिहरन गायक आ गुलशन कुमार कलाकार के रूप में रहल लोग।[29]
अउरी उल्लेखनीय प्रस्तुति में भजन गायक अनुप जलोटा आ रविंद्र जैन, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक पंडित जसराज आ राजन आ साजन मिश्रा, आ कर्नाटक गायिका एमएस सुब्बुलक्ष्मी के प्रस्तुति शामिल बा।[29] उन्नी कृष्णन, नित्यश्री महादेवन, पंडित भीमसेन जोशी, गणपति सच्चिदानन्द स्वामीजी आ मोररी बापू के प्रस्तुति भी लोकप्रिय बा।
पाश्चात्य गायकन में कृष्ण दास हनुमान चालीसा के धीमा आ तेज दुनु प्रारूप में प्रस्तुत कइले बाड़न.[30]
पापुलर फिलिम
संपादन करींहिंदी सिनेमा 1920 (निर्देशक विक्रम भट्ट ) में हनुमान चालीसा के अक्सर अलग-अलग सीन में इस्तेमाल भइल। एगो सीन में नायक अर्जुन सिंह राठोड ( रजनीश दुग्गल के भूमिका में ), हनुमान चालीसा के पूरा पाठ करत देखावल गइल बा। एकर प्रयोग बजरंगी भाईजान में एगो महत्वपूर्ण सीक्वेंस में भइल बा, जब नायक बाल तस्करन से जवाबी लड़ाई लड़त बा आ ओह लोग से एगो छोट लड़िकी के बचा लेला।[31]
चारुवी अग्रवाल के निर्देशन आ चारुवी डिजाइन लैब्स के डिजाइन कइल श्री हनुमान चालीसा नाम के एगो एनीमेशन फिलिम हनुमान पर बनल फिलिम ह।[32][33]
पापुलर संगीत
संपादन करींहनुमान चालीसा गावल लोकप्रिय गायकन में कर्नाटक गायक एमएस सुब्बुलक्ष्मी के साथे लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर, एसपी बालासुब्रह्मण्यम, शंकर महादेवन, अनुराधा पौडवाल, कैलाश खेर, सुखविंदर सिंह, आ उदित नारायण शामिल बाड़े।[28]
हनुमान चालीसा अमिताभ बच्चन बीस गो अउरी गायकन का साथे कोरस में गवले रहले।[28] ई रिकार्डिंग श्री हनुमान चालीसा एल्बम के हिस्सा के रूप में 2011 में रिलीज भइल आ नवंबर 2011 के दौरान रिलीजिंग म्यूजिक लेबल द्वारा एकरा के अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिलल[34]
गुलशन कुमार आ हरिहरन के गावल हनुमान चालीसा के एगो प्रस्तुति नवंबर 2021 में पहिला भक्ति गीत आ यूट्यूब पर पहिला बेर बनल जवन 2 अरब व्यूज पार कइलस। वर्तमान में यूट्यूब पर भी इ सबसे ज्यादा देखल जाए वाला भारतीय म्यूजिक वीडियो बा।[35]
संदर्भ
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- ↑ Prasad 2008, p. 857, quoting Mata Prasad Gupta: Although he paid occasional visits to several places of pilgrimage associated with Rama, his permanent residence was in Kashi.
- ↑ Callewaert 2000, p. 90
- ↑ 14.0 14.1 Handoo 1964, p. 128: ... this book ... is also a drama, because Goswami Tulasidasa started his Ram Lila on the basis of this book, which even now is performed in the same manner everywhere.
- ↑ Prasad 2008, p. xii: He is not only the supreme poet, but the unofficial poet-laureate of India.
- ↑ Prasad 2008, p. xix: Of Tulsidas's place among the major Indian poets there can be no question: he is as sublime as Valmiki and as elegant as Kalidasa in his handling of the theme.
- ↑ Jones 2007, p. 456
- ↑ Sahni 2000, pp. 78–80
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It can be said without reservation that Tulsidas is the greatest poet to write in the Hindi language. Tulsidas was a Brahmin by birth and was believed to be a reincarnation of the author of the Sanskrit Ramayana, Valmiki.
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हिन्दी का सौभाग्य है कि उसके काव्यकुंज की तुलसी-मंजरी की जैसी सुगंध संसार की साहित्य वाटिका में शायद कहीं नहीं। ... आकर्षण दोनों में अत्यधिक है अपने-अपने ढंग पर दोनों ही बहुत बड़े हैं, पर फिर भी सब तरफ़ से केवल काव्य के सौंदर्य पर विचार करने पर तुलसीदास ही बड़े ठहरते हैं – भाषा साहित्य में रवीन्द्रनाथ के संबंध में कहना पड़ता है कि भ्रम त्रुटियाँ मिल सकती हैं पर तुलसीदास के संबंध में कोई शायद ही मिले। ... और यही कारण है निराला जी तुलसीदास को कालिदास, व्यास, वाल्मीकि, होमर, गेटे और शेक्सपियर के समकक्ष रखकर उनके महत्त्व का आकलन करते हैं।
- Subramanian, Vadakaymadam Krishnier (2008). Hymns of Tulsidas. New Delhi, India: Abhinav Publications. p. inside cover. ISBN 9788170174967.
Famous classical singers like Paluskar, Anoop Jalota and MS Subbulakshmi have popularised Tulsidas's hymns among the people of India.