गंगा नदी

भारत आ बांग्लादेश में बहे वाली प्रमुख नदी

गंगागंगा नदीगंगा मईया एशिया के एक ठो अंतरसीमांत नदी बिया जवन भारतबांग्लादेस में बहेले। भारत के उत्तराखंड राज्य में, हिमालय पहाड़ पर स्थित गंगोत्री से निकल के बिसाल मैदानी क्षेत्र में बहे के बाद बंगाल के खाड़ी में समुंद्र में मिल जाले। समुंद्र में नदिन द्वारा कुल छोड़ल जाये वाला पानी के हिसाब से ई दुनिया के तीसरा सभ से बड़ नदी हवे।

गंगा
नदी
बनारस में गंगा
देस  भारत,  बांग्लादेश
राज्य उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पच्छिम बंगाल
सहायिका
 - बायें से रामगंगा, गोमती, सरजू, गंडकी, बाघमती, कोसी, महानंदा
 - दहिने से यमुना, तमसा, सोन, पुनपुन
शहर ऋषिकेश, हरिद्वार, फर्रूखाबाद, कानपुर, जाजमऊ, प्रयागराज (इलाहाबाद), मिर्जापुर, बनारस, ग़ाजीपुर, बक्सर, बलियाँ, पटना, हाजीपुर, मुँगेर, भगलपुर
उदगम गंगोत्री हिमानी, सतोपनाथ हिमानी, खटलिंग ग्लेशियर, आ कुछ परबत चोटी से पघिल के बहल पानी जइसे की नंदा देवी, त्रिशूल केदारनाथ, नंदा कोट, आ कामेत
 - लोकेशन उत्तराखण्ड, भारत
 - ऊँचाई 3,892 मी (12,769 फीट)
मुहाना गंगासागर, गंगा डेल्टा
 - लोकेशन बंगाल के खाड़ी, बांग्लादेस & भारत
 - ऊँचाई 0 मी (0 फीट)
लंबाई 2,525 किमी (1,569 मील) [1]
थाला 1,080,000 किमी2 (416,990 वर्ग मील)
जलनिकास for फरक्का बैराज
 - औसत 16,648 m3/s (587,919 cu ft/s) [2]
 - अधिकतम 70,000 m3/s (2,472,027 cu ft/s)
 - सबसे कम 2,000 m3/s (70,629 cu ft/s)
Discharge elsewhere (average)
 - बंगाल के खाड़ी 38,129 m3/s (1,346,513 cu ft/s) [2]
नदी थाला: गंगा (नारंगी), ब्रह्मपुत्र (बैंगनी), आ मेघना (हरा)।

गंगा आपन रस्ता में हिमालय से ले आइल बालू-माटी के बिछा के एगो बिसाल मैदान बनावे ले जेकरा के एही के नाँव पर गंगा के मैदान कहल जाला। ई मैदान बहुत उपजाऊ हवे आ एही कारण इहाँ प्राचीन काल से जनसंख्या के बसाव भइल। आजु ई दुनिया के सबसे घन बस्ती वाला क्षेत्र हवे। गंगा के तीर पर भारत आ बांग्लादेस के कई ठो प्रमुख नगर बसल बाड़ें। ऋषिकेश, हरिद्वार, कन्नौज, कानपुर, प्रयागराज (इलाहाबाद), बनारस, बलियाँ, पटना, कलकत्ताढाका नियन नगर एही नदी के तीरे बसल बाड़े।

हिंदू धर्म में गंगा के देवी आ माई के रूप में पूजल जाला। अइसन मानल जाला कि गंगा में अस्नान कइला से पुन्य मिलेला आ सगरी पाप कट जाला। गंगा के किनारे कई पबित्र तिथिन के मेलानहान लागे ला। दुनिया के सभ से बड़ मेला प्रयाग के कुंभ गंगा आ जमुना आ कथा में बर्णित नदी सरस्वती के संगम पे लागेला।

गंगा के मैदान आ एकर थाला पर्यावरण आ जीव जंतु खातिर भी महत्व वाला हवे। गंगा में कई प्रकार के मछरी आ अउरी बिबिध जलजीव पावल जालें। एह नदी में सूँस के दू गो प्रजाति गंगा डाल्फिनइरावदी डाल्फिन पावल जालीं जे एह समय बिलुप्त होखे के खतरा में बाड़ीं। गंगा के डेल्टा सुंदरबन पर्यावरण आ पारिस्थितिकी की मामिला में पूरा दुनिया खातिर महत्व वाला गिनल जाला।

साल 2007 में आइल एगो रपट की मोताबिक ओह समय गंगा दुनिया के पाँचवी सभसे प्रदूषित नदी रहे। भारत सरकार एकरा प्रदूषण के कम करे खातिर गंगा कार्ययोजना चलवलस बाकी ई बहुत सफल ना भइल। वर्तमान में नरेन्द्र मोदी के सरकार एकरा खातिर नमामि गंगे नाँव से एगो परियोजना चला रहल बाटे।

 
गंगोत्री में भागीरथी
 
देवप्रयाग, अलकनंदा (दाहिने से) आ भागीरथी (बायें से) के संगम, जौना की बाद गंगा नदी के शुरुआत हो ले।
 
हिमालयी जलधारा सभ जिनहना के सामूहिक रूप गंगा नदी हवे, गढ़वाल मंडल, उत्तराखंड

गंगा नदी दू गो धारा भागीरथीअलकनंदा की मिलले की बाद बनेली। ई संगम देवप्रयाग में होला। हिंदू संस्कृति में ई मान्यता ह की मुख्य धारा भागीरथी ह हालाँकि अलकनंदा अधिका लमहर धारा हवे।[3][4] अलकनंदा के पानी के स्रोत नंदा देवी, त्रिशूलकामेत की चोटी पर जमल बरफ के पघिलाव से हवे। भागीरथी नदी समुन्द्र तल से 3,892 मी (12,769 फीट) की ऊँचाई पर गंगोत्री हिमानी के निचला हिस्सा से निकलेली जे के गोमुख कहल जाला।[5]

अलकनंदा के धारा कई गो महत्वपूर्ण धारा सभ से मिल के बनेले। सभसे पाहिले विष्णुप्रयाग में अलकनंदा में धौली गंगा के संगम होला, एकरी बाद नंदप्रयाग में नंदाकिनी, कर्णप्रयाग में पिंडररुद्रप्रयाग में मंदाकिनी से संगम के बाद अंत में देवप्रयाग में अलकनंदा आ भागीरथी के संगम होला। ई छह नदियन के पाँच गो संगम पंचप्रयाग की नाँव से पबित्र अस्थान मानल जालें।

लगभग 250 किलोमीटर[5] के दूरी पहाड़ी घाटी में पूरा कइ के गंगा ऋषिकेश में हिमालय से नीचे उतरे ले आ हरिद्वार नाम के परसिद्ध धार्मिक अस्थान से ई मैदानी भाग में प्रवेश करे ले।[3] हरिद्वार में एकर कुछ पानी बाँध बना के गंगा नहर में मोड़ दिहल गइल बाटे जेवना से दुआबा के इलाकन में सिंचनी होला।

एकरा बाद गंगा कन्नौज, फर्रूखाबाद आ कानपुर नगर से हो के गुजरे ले आ एही बीच में एकर सहायिका रामगंगा आके मिले ले। रामगंगा औसतन 500 m3/s (18,000 cu ft/s) पानी गंगा में ले आवे ले।[1]

इलाहाबाद में गंगा में यमुना आ के मिले ले आ ई हिन्दुन के परसिद्ध तीर्थ त्रिवेणी संगम कहाला। इहाँ यमुना नदी में गंगा से ढेर पानी 2,950 m3/s (104,000 cu ft/s)[1] होला आ ई दुनों की कुल बहाव के 58.5 % होला।[6] एकरा कुछे दूर बाद टौंस नदी आ के गंगा में मिलेले जेवन कैमूर श्रेणी से निकल के 190 m3/s (6,700 cu ft/s) पानी गंगा में ले आवे ले। एकरा बाद गंगा बिंध्याचल परबत की किनारे से हो के उत्तर की ओर मुड़े शुरू हो जाले। मिर्जापुर जिला में पबित्र बिंध्यवासिनी देवी के लगे से होत ई बनारस पहुँचेले जहाँ एकर बहाव उत्तर मुँह के हवे। बनारस की आगे औड़िहार नाँव की जगह की लगे गंगा में गोमती आ के मिलेले आ ई 234 m3/s (8,300 cu ft/s) पानी गंगा में डाले ले। गाजीपुरबलियाँ नियर शहर से हो के बलियाँ आ छपरा की बीच में सरजू (घाघरा या करनाली) नदी गंगा में मिले ले। सरजू गंगा के सभसे बड़ सहायिका नदी हवे जेवन 2,990 m3/s (106,000 cu ft/s) पानी ले आवे ले।

घाघरा से संगम की बाद नदी पुरुब मुँह के बहे शुरू हो जाले आ थोड़ी दूर बाद दक्खिन ओर से आके सोन आ एकरी कुछ दूर बाद उत्तर ओर से आके नारायणी मिल जालीं आ क्रम से 1,000 m3/s (35,000 cu ft/s) आ 1,654 m3/s (58,400 cu ft/s) पानी गंगा में पहुँचावे लीं। पूरबी बिहार में कोसी नदी आ के मिल जाले जेवन 2,166 m3/s (76,500 cu ft/s) पानी ले आवेले आ ई सरजू आ यमुना की बाद तिसरकी सभसे बड़ सहायिका नदी ह।[7]

भागलपुर के बाद गंगा में बहाव दखिन मुँह के होखे शुरू हो जाला आ पाकुड़ की लगे से ई दू गो धारा में बँटे लागेले जौना में दाहिने ओर के धारा भागीरथी-हुगली हवे। दुसरकी धारा बांग्लादेश की ओर बढे ले आ एकरा कुछ दूर बाद बांग्लादेश में घुसे से ठीक पहिले फरक्का में बैराज बना के एकर पानी एगो फीडर नहर द्वारा हुगली की ओर भेजल जाला। भागीरथी की रूप में अलग भइल धारा में जब बायें से एगो छोटी मुकी नदी जलंगी आ के मिले ले तब एकर नाँव हुगली हो जाला। ई संगम नब द्वीप के लगे होला। एकरी बाद हुगली में एकर सभसे बड़ सहायिका नदी दामोदर (लंबाई:541 किमी (336 मील) आ बहाव:25,820 किमी2 (9,970 वर्ग मील).[8]) आ के दाहिने से मिले ले। आगे एक ठी अउरी छोट नदी चूर्णी कलकत्ता से पहिले हुगली में मिल जाले। हुगली आगे कलकत्ता-हावड़ा की बीच से हो के बहे ले आ आगे हल्दी नदी ए में दायें से मिले ले जहाँ हल्दिया बंदरगाह के निर्माण भइल बा। एकरा बाद ई सागर दीप के लगे बंगाल की खाड़ी में समुन्द्र में मिले ले। एह अस्थान के गंगासागर कहल जाला।[9]

ओहर मेन गंगा के जेवन धारा बांग्लादेश में परवेश करे ले ऊ आगे पद्मा की नाँव से बहे ले। ई कुछ दूर बाद जा के ब्रह्मपुत्र के सभसे बड़ शाखा जमुना से आ ओकरी बाद दुसरी सभसे बड़ शाखा मेघना से मिले ले आ एकरी बाद ई मेघना नाँव से बह के बंगाल की खाड़ी में डेल्टा बनावे ले।

गंगा डेल्टा, जेवन ब्रह्मपुत्र आ गंगा नदी के ले आइल निक्षेप से बनल बाटे, बिस्व के सभसे बड़ डेल्टा हवे जौना के क्षेत्रफल 59,000 किमी2 (23,000 वर्ग मील)[10] बाटे आ ई बंगाल के खाड़ी के उत्तर सिरहाने पर 322 किमी (200 मील) चैड़ाई में बिस्तार लिहले बाटे।[11]

बिस्व में खाली दू गो नदी अमेजनकांगो बाड़ी जिनहन के औसत बहाव के मात्रा गंगा, ब्रह्मपुत्र आ सुरमा-मेघना के एकठ्ठा मात्रा से ढेर होखे।[11] भरपूर बाढ़ वाला समय में खाली अमेजन एकरा से ढेर बहाव वाली रहि जाले।[12]

भूबिज्ञान

संपादन करीं

भूबिज्ञान की नजरिया से गंगा नदी के थाला के अधिकतर हिस्सा नया रचना हवे सिवाय ओ हिस्सा के जेवन दक्खिन भारत के प्रायदीपी पठार से बहि के आवे वाली सहायक नदिन के थाला की अंतर्गत आवेला। भारत के भूबिज्ञान के सभसे नया अध्याय हवे गंगा के मैदान के निर्माण जेवन भारतीय प्लेटयूरेशियाई प्लेट के टकराव आ ओकरी परिणाम स्वरुप हिमालय परबत के उठान की बाद के घटना हवे।

वर्तमान समय से करीब 75 मिलियन बरिस पहिले दक्खिनी सुपरमहादीप गोंडवाना लैंड के उत्तर की ओर खिसकाव सुरू भइल। एही सुपरमहादीप के टुकड़ा आजु के दक्खिनी भारत के पठार हवे जे भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट क हिस्सा हवे। ई सरक के जब यूरेशियाई प्लेट से लड़ल तब इनहन की बीच में टीथीस सागर में जमा अवसाद से हिमालय परबत के निर्माण भइल। हिमालय परबत के ठीक दक्खिन में ओह पुरान समुंद्री तली के लचक के धँस गइला से आ बाकी बचल खुचल टीथीस सागर के हिस्सा में सिंधु आ गंगा के सहायक नदिन द्वारा अवसाद जमा कईला से उत्तर भारत के मैदान बनल। एही मैदान के हिस्सा गंगा के मैदान भी हवे जेवन गंगा आ एकरी सहायक नदी सभ के द्वारा ले आइल पदार्थ से बनल बाटे।

भूबिज्ञान की दृष्टि से गंगा के मैदान एगो फोरडीप (foredeep) या फोरलैंड बेसिन मानल जाला।

भूआकृति बिज्ञान

संपादन करीं

भूआकृति बिज्ञान के नजरिया से गंगा के परबतीय हिस्सा एकरा मैदानी हिस्सा से बिसेसता में एकदम अलग बाटे। ए पूरा सिस्टम के एगो नया भूबैज्ञानिक इकाई होखला के कारण अभी भी एह में बदलाव के प्रक्रिया चालू बाटे। भूआकृति बिज्ञान की हिसाब से हिमालयी क्षेत्र में गंगा अभी अपरदन चक्र के युवा अवस्था में बाटे जबकि मैदानी भाग में ई प्रौढ़ आ अंतीम हिस्सा की ओर जीर्ण अवस्था में बा। जहाँ हिमालयी हिस्सा में गंगा के धारा पतील बाकी खूब तेज बहाव वाली बा उहें मैदान में उतरले की बाद एकर बहाव के चाल कम आ चौड़ाई आ गहिराई बढ़ जाला।

गंगा सिस्टम में सभसे महत्व वाली भूआकृतिक घटना हिमालय से उतर के मैदान में अइला पर एह नदिन की रास्ता के ढाल में अचानक परिवर्तन बाटे। एकरा वजह से भाबरतराई नियर क्षेत्र के निर्माण भइल बा। जलोढ़ पंख के रचना करे में ई नदी एही से सक्षम होलीं। उत्तरी बिहार में नेपाल की ओर से उतरे वाली नदी सभ के बनावल जलोढ़ पंखा बिस्व में सभसे बड़ अइसन रचना मानल जाला। अक्सर एह इलाका में आवे वाली बाढ़ के कारण भी अचानक ढाल परिवर्तन के ई भूआकृतिक घटना के मानल जाला।

नदी की किनारे मैदान में बाँगरखादर संरचना आ डेल्टाई भाग में चारबील के थलरूप प्रमुख भूआकृतिक बिसेसता बाटें।

जलबिज्ञान

संपादन करीं
 
एगो 1908 ई के नक्शा जेवना में गंगा आ एकर सहायिका नदिन के देखावल गइल बा। गंगा में बायें किनारे से मिले वाली गोमती (Gumti), घाघरा (Gogra), गंडकी (Gandak), आ कोसी (Kusi); दाहिने किनारे से आ के मिले वाली में मुख्य बाड़ी जमुना (Jumna), सोन, पुनपुनदामोदर

गंगा के थाला आ एकर मार्ग जलबैज्ञानिक अध्ययन के नजरिया से कई तरह से कइल जाला। मुख्य समस्या एकर परिभाषा के कारन होला। आम बिचार आ नाँव के हिसाब से गंगा नाँव अलकनंदा आ भागीरथी के संगम देवप्रयाग से ले हुगली आ पद्मा की दू गो धारा में अलग होखला ले के मार्ग के मानल जाला। परंपरागत रूप से एके गौमुख से ले के गंगासागर ले मानल जाला। एकरी डेल्टा वाला हिस्सा में भी कई धारा में कौना के मुख्य मानल जाय ई समस्या पैदा हो जाले। एही सभ से एकर लंबाई आ थाला के रकबा अउरी कुल जल निकास के मात्रा के गिनती में कई तरह के मत हो जाला।

 
पटना में गंगा पर गांघी सेतु
 
भागलपुर में बिक्रमशिला सेतु
 
कलकत्ता में गंगा, पीछे हावड़ा के पुल लउकत बाटे

आमतौर पर गंगा के लंबाई 2,500 किमी (1,600 मील) से कुछ अधिका, लगभग 2,505 किमी (1,557 मील)[13] से 2,525 किमी (1,569 मील) ले बतावल जाले[6][1] या लगभग 2,550 किमी (1,580 मील)।[14] ए सगरी नाप में गंगा के सोता भागीरथी के गंगोत्री हिमानी से गोमुख से निकले वाली धारा के मानल जाला आ एकर मुहाना मेघना नदी के मुहाना के मानल जाला।[6][13][1][14] कुछ लोग हरिद्वार के भी गंगा के स्रोत माने ला जहाँ से ई मैदान में प्रवेश करे ले।[8]

कुछ जगह एकर लंबाई हुगली शाखा के मुख्य मान के दिहल जाले जेवन की मेघना शाखा से ढेर हवे। तब एकर लंबाई भागीरथी के उद्गम से ले के हुगली के मुहाना ले लगभग 2,620 किमी (1,630 मील),[10] या हरिद्वार से हुगली के मुहाना लव 2,135 किमी (1,327 मील) बतावल जाले।[8] कुछ अन्य लोग भागीरथी से बांग्लादेस बाडर ले, पदमा नाम भइला ले, एकर लंबाई 2,240 किमी (1,390 मील)।[15]

टोंस-यमुना-गंगा के लगातार एक नदी मान लिहल जाय टी ई गंगा बेसिन के सभसे लमहर नदी होई (2,758 km.)[16] हालाँकि परम्परा में टोंस के अलग नदी मान लिहल जाला आ गंगा आ यमुना के लंबाई गंगोत्री आ यमुनोत्री से नापल जाला।

लंबाई के अलावा गंगा नदी के थाला (बेसिन) के बिस्तार पर भी अलग-अलग मत देखे के मिलेला। गंगा के थाला चार गो देसवन में बिस्तार लिहले बाटे, भारत, नेपाल, चीन, आ बांग्लादेस; भारत के इगारह गो राज्य में ई थाला के बिस्तार बा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, आ पच्छिम बंगाल आ दिल्ली।[17] गंगा के थाला, डेल्टा के शामिल क के बाकी ब्रह्मपुत्र आ मेघना के बेसिन के अलग रख के 1,080,000 किमी2 (420,000 वर्ग मील) बाटे जेवना के 861,000 किमी2 (332,000 वर्ग मील) हिस्सा (लगभग 80 %) भारत में बा, 140,000 किमी2 (54,000 वर्ग मील) हिस्सा (13 %) नेपाल में, 46,000 किमी2 (18,000 वर्ग मील) हिस्सा (4 %) बांग्लादेस में, आ 33,000 किमी2 (13,000 वर्ग मील) हिस्सा (3 %) चीन में बाटे।[18] जब कभी गंगा-ब्रह्मपुत्र- मेघना के थाला एकट्ठा एकही मान लिहल जाला तब एकर बिस्तार 1,600,000 किमी2 (620,000 वर्ग मील) पर बाटे।[12] or 1,621,000 किमी2 (626,000 वर्ग मील).[11] ई गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना थाला (GBM या GMB) के बिस्तार भारत, नेपाल, भूटान, चीन आ बांग्लादेश मे बा।[19]

गंगा थाला उत्तर ओर हिमालयपारहिमालय से ले के दक्खिन में बिंध्य परबत आ पच्छिम में अरावली के पूरबी ढाल से पूरुब में छोटा नागपुर के पठार होखत सुंदरबन डेल्टा ले फइलल बाटे। गंगा के बहाव के बहुत बड़ा हिस्सा हिमालयी क्षेत्र से हासिल होला। हिमालयी क्षेत्र में ई थाला के बिस्तार यमुना सतलज बिभाजक से ले के नेपाल सिक्किम सीमा ले, जहाँ ब्रह्मपुत्र के थाला एकरा से अलग होला, पच्छिम से पूरुब 1,200 km के चौड़ाई में बा। ई खंड में बिस्व के 14सभसे ऊँच परबत चोटी में से 9 गो चोटी बाड़ी जेवना में माउंट एवरेस्ट भी बा जेवन गंगा बेसिन आ बिस्व के सभसे ऊँच बिंदु हवे।[20] अउरी चोटी सभ में कंचनजंघा,[21] ल्होत्से,[22] मकालू,[23] चो ऑयू,[24] धौलागिरि,[25] मंसालू,[26] अन्नपूर्णा[27] and शिशापांगमा.[28] बाटें।हिमालयी हिस्सा में हिमाचल प्रदेश के दक्खिनी पूरबी भाग, पूरा उत्तराखंड, पूरा नेपाल, आ पच्छिम बंगाल के सभसे उत्तरी हिस्सा आवेला।[29]

गंगा नदी के निकास बहाव (डिस्चार्ज) भी कई प्रकार से बतावल जाला। जब मेघना नदी के मुहाना से होखे वाला निकास के नापल जाला तब यह में गंगा ब्रह्मपुत्र आ मेघना तीनो के पानी होखे ला आ ई कुल 38,000 m3/s (1,300,000 cu ft/s),[11] या 42,470 m3/s (1,500,000 cu ft/s) बतावल जाला।[10] दुसरा ओर, जब गंगा, ब्रह्मपुत्र आ मेघना जे अलगा-अलगा बहाव बतावल जाला तब गंगा के लगभग 16,650 m3/s (588,000 cu ft/s), ब्रह्मपुत्र के लगभग 19,820 m3/s (700,000 cu ft/s), मेघना के 5,100 m3/s (180,000 cu ft/s) बहाव निकास बतावल जाला।[1]

 
हार्डिंग ब्रिज, बांग्लादेश में गंगा-पद्मा के ऊपर बनल पुल बाटे जहाँ नदी के बहाव के मात्र के नाप कइल जाला

हार्डिंग ब्रिज, बांग्लादेश, पर अपनी सभसे ढेर बहाव की स्थिति में गंगा के बहाव निकास 70,000 m3/s (2,500,000 cu ft/s) नापल गइल बा,[30] आ 1997 में, सभसे कम बहाव की सीजन में, एही जा ई मात्र 180 m3/s (6,400 cu ft/s) नापल गइल।[31]

गंगा नदी के जलचक्र दक्खिनी पच्छिमी मानसून से निर्धारित होला। लगभग 84 % बरखा जून से सितंबर की बीच में होला। परिणाम ई होखे ला की गंगा के बहाव में सीजनल उतार चढ़ाव बहुत होला। बिना बरखा के सीजन आ बरसात के सीजन की बहाव के बीच के अनुपात हार्डिंग पुल पर 1:6 के नापल गइल बाटे। अइसन सीजनल उतार-चढ़ाव के कारण इलाका में जलसंसाधन आ जमीन के उचित उपयोग होखे में दिक्कत होखे ला आ समुचित बिकास ना हो पवले बा।[15] एही सीजनल बदलाव के कारण सूखा आ बाढ़ दुनों के परकोप होजाला। बांग्लादेश में बहुत इलाका अइसन बाड़ें जहाँ अक्सरहां कम बरखा वाला सीजन में सूखा पड़ जाला आ बरसात के सीजन में हर साले बाढ़ि आवे ले।[32]

गंगा डेल्टा में कई गो नदी आ के मिले ली भी आ शाखा की रूप में अलग भी होखे ली। एही कारन इहाँ एगो जाल नियर बन जाला। गंगा आ ब्रह्मपुत्र दुनों कई गो शाखा में बँटा के बहेली आ इन्हन के सभसे बड़की शाखा आपस में मिल जाली जबकि दुनों के कुछ छोटी छोटी शाखा बाद में मेन धारा से वापस मिलेली या सीधे समुन्दर में जा गिरेली। गंगा डेल्टा में धारा कुल के ई जाल हमेशा से अइसने ना रहल बाटे जइसन आज मौजूद बा बलुक ई बहुत सारा बदलाव से गुजरल बाटे जब नदिन के धारा बदलाव भइल बा।

बारहवीं सदी से पहिले भागीरथी-हुगली शाखा गंगा के मुख्य धारा रहे आ पदमा एगो छोट शाखा रहे। हालांकि,मेन बहाव के समुद्र में पहुंचे के रास्ता आज की समय के हुगली नदी वाला ना रहे बलुक ई आदि गंगा वाला मार्ग से बहे।

बारहवीं सदी से सोलहवीं सदी ले भागीरथी-हुगली आ पदमा, दूनो शाखा लगभग बरोबर बहाव वाली रहलीं। सोरहवीं सदी के बाद पदमा धीरे धीरे मेन चैनल में बदल गइल।[9] ई मानल जाला की भागीरथी-हुगली शाखा लगातार गाद से भरत गइल आ गंगा के मुख्य बहाव दक्खिन पूरुब ओर पद्मा में घुसुकत गइल। अठारहवीं सदी के अंत ले जात-जात पदमा गंगा के मुख्य शाखा हो गइल।[33] पद्मा में एह खिसकाव के परिणाम ई भइल की ई समुन्दर में गिरे से पहिलहीं ब्रह्मपुत्र आ मेघना से मिल के साथे साथ बंगाल के खाड़ी में गिरे लागल जबकि पहिले अलग गिरे। मेघना आ गंगा के वर्तमान संगम अब से लगभग 150 बरिस पहिले के घटना हवे।[34]

अठारहवीं सदी के अंत की सालन में ब्रह्मपुत्र के निचला मार्ग में बहुत नाटकीय बदलाव देखल गइल जेवन गंगा से एकर संबंध के बहुत बदल दिहलस। 1787 में आइल बाढ़ में तीस्ता नदी, जेवन पहिले पद्मा के सहायक नदी रहे, की मार्ग में बदलाव हो गइल आ अब ई ब्रह्मपुत्र से जा के मिल गइल। एकरा बाद ब्रह्मपुत्र के रास्ता में भी बदलाव भइल आ ई दक्खिन ओर घुसुक के नया चैनल काट के बना दिहलस। ब्रह्मपुत्र के इहे नवका शाखा मुख्य हो गइल आ आज जमुना कहल जाले। प्राचीन समय से ब्रह्मपुत्र के मुख्य धारा अउरी पुरुबाहुत रहे आ मैमनसिंघ के लगे से हो के बहे आ मेघना में मिले। आज ई शाखा एगो मामूली धारा बाटे जेवना के अबो ब्रह्मपुत्र या पुरनकी ब्रह्मपुत्र कहल जाला।[35] लांगलबाँध के लगे, जहाँ पुरनकी ब्रह्मपुत्र मेघना से मिले, ऊ जगह आजु भी हिंदू लोग पबित्र माने ला। एही संगम के नगीचे एगो इतिहासी खँडहर वारि बटेश्वर के बा।[9]

देर हड़प्पा काल, लगभग हड़प्पाई बस्ती सभ के पूरुब ओर फइलाव शुरू भइल। ई बिस्तार सिंधु नदी के थाला से गंगा-जमुना दुआबा की ओर भइल हालाँकि ई मानल जाला की ई फइलाव गंगा पार कइ के एकरे पूरबी किनारे ले ना भइल। ईसा पूर्व दूसरे सहस्राबदी में जब हड़प्पा के पतन होखे शुरू भइल तब भारत में सभ्यता के केंद्र सिंधु घाटी से घुसुक के गंगा घाटी की ओर आवे शुरू हो गइल।[36] इहो अनुमान बतावल जाला की बाद के हड़प्पा बस्ती सभ आ गंगा थाला के इंडो आर्य संस्कृति आ वैदिक संस्कृति में कड़ी जुड़ल होखे।

ई नदी भारत के सभसे लमहर नदी बा।[37] शुरुआत के ऋग्वेद के जमाना के वैदिक संस्कृति के समय सिंधु नदी आ सरस्वती नदी प्रमुख पवित्र नदी रहलीं न की गंगा। बाकी बाद के बेद कुल में गंगा के ढेर महत्व मिलल बा।[38] बाद में गंगा के मैदान कई बहुत प्रभावशाली साम्राज्यन के क्षेत्र बनल जइसे की मौर्य साम्राज्य से ले के मुगल राज[3][39]

मेगस्थनीज पहिला अइसन यूरोप के यात्री रहे जे गंगा के बर्णन कर के पच्छिमी लोगन के एकर जानकारी दिहलें।[40]

बंगाल में 1809 के बरसात के सीजन में[41], भागीरथी के निचला चैनल बंद हो गइल रहे बाकी अगिला साल ई पूरा खुल गइल आ फिर पहिलहीं नियर हो गइल।

1951 में भारत आ बांग्लादेस (तब ई पुरबी पाकिस्तान रहे) की बीच पानी बंटवारा खातिर बिबाद शुरू हो गइल जब भारत फरक्का में बैराज बनावे के मंशा जाहिर कइलस। 1975 में पूरा होखे वाले एह बैराज के मूल मकसद 1,100 m3/s (39,000 cu ft/s) पानी भागीरथी-हुगली में ले जाये के रहे जे से कलकत्ता बंदरगाह के काम चालू रहे आ जहाज आवे जाए में दिक्कत न होखे। ई मान लिहल गइल की सबसे सूखा सीजन में भी गंगा में कम से कम 1,400 से 1,600 m3/s (49,000 से 57,000 cu ft/s) पानी जरूर रही आ एह तरे 280 से 420 m3/s (9,900 से 14,800 cu ft/s) पानी पूरबी पाकिस्तान खातिर बच जाई।[31] पूरबी पाकिस्तान एह पर ऑब्जेक्शन क के बिबाद क दिहल। अंत में 1996 में जा के भारत आ बांग्लादेस के बीच एगो 30-साला समझौता भइल। एह समझौता के शरत बहुत कुछ बा बाकी संछेप।में कहल जाय त अगर फरक्का में 2,000 m3/s (71,000 cu ft/s) से कम पानी रही त दोनों देस 50 % पानी बाँट लिहें जेवना से कम से कम 1,000 m3/s (35,000 cu ft/s) दस-दस साल खातिर पारी-पारा दूनों के मिले। हालाँकि, अगिलीये साल फरक्का में पानी के लेबल इतिहासी रूप से नीचे चल गइल। मार्च 1997 में बांग्लादेस में गंगा के बहाव अपना सभसे निचला लेबल ले पहुँच गइल आ 180 m3/s (6,400 cu ft/s) हो गइल आ ए समझौता के पालन लगभग असम्भव हो गइल। बाद की साल में कम पानी के सीजन में बहाव के मात्रा नार्मल हो गइल बाकी समस्या के समाधान खातिर कोसिस जारी बा। एक ठे योजना ई बा की ढाका के पच्छिम में, पंग्सा में, एगो अउरी बैराज बनावल जाय। ई बैराज बांग्लादेश के आपन हिस्सा के पानी के अउरी बेहतर ढंग से इस्तेमाल करे में सहायक होखी।[31][42]

सांस्कृतिक महत्व

संपादन करीं
 
बनारस के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती

गंगा नदी के हिंदू घर्म में बहुत पबित्र मानल गइल बाटे। ई नदी आपने बहाव के पूरा लंबाई के हर हिस्सा में पबित्र मानल जाले। एकरा धारा में हर जगह हिंदू लोग अस्नान करे ला[43] जवना के गंगा नहान कहल जाला, आ गंगाजल हाथ में ले के अपने पुरखा-पुरनिया आ देवता लोग के जल चढ़ावे ला। जल चढ़ावे में अँजुरी में गंगा के पानी भर के हाथ ऊपर क के जल के फिर नीचे गिरा दिहल जाला। एकरे अलावा फूल, अच्छत वगैरह भी चढ़ावल जाला आ दिया बार के नदी के धारा में प्रवाहित कइल जाला।[43] नहान के बाद लोग गंगा जल ले के अपना घरे लवटे ला।[44] केहू के मरला पर ओकर "फूल" (हड्डी के बिना जरले बच गइल हिस्सा) बहावे खातिर गंगा में ले आवेला लोग आ ई मरल बेकति के मुक्ति खातिर कइल जाला।[44]

हिंदू कथा में बर्णन के हिसाब से गंगा सगरी पबित्र जल सभ के प्रतिनिधि स्वरूप हई।[45] स्थानीय नदी सभ के गंगा जइसन कहि के बोलावल जाला आ कबो-कबो स्थानीय गंगा के नाँव से भी बोलावल जाला।[45] कावेरी नदी जवन कर्नाटक आ तमिलनाडु में बहे ले, दक्खिन भारत के गंगा कहाले। गोदावरी के महर्षि गौतम द्वारा ले जाइल गइल गंगा मानल जाला जवन मध्य भारत में बहे ले।[45] हमेशा जहाँ कहीं धार्मिक कार्य में जल के प्रयोग होला, गंगा के आवाहन कइल जाला काहें की ई मानल जाला की सगरी जल सभ में गंगा मौजूद बाड़ी।[45] एकरा बावजूद भी गंगा में नहाये खातिर हिंदू लोग के मन में एगो खास अस्थान बाटे। गंगा में पबित्र धार्मिक अस्थानन पर, जइसे की हरिद्वार, त्रिवेणी संगम, काशी नियर तीर्थ में गंगा नाहन के बिसेस महत्व दिहल जाला।[45] गंगा के हिंदू धर्म में अइसन अस्थान बाटे की हिंदू धर्म में कम आस्था रखे वाला लोग भी गंगा के महत्व के स्वीकार करे ला।[46] भारत के पहिला प्रधानमंत्री, जवाहिरलाल नेहरू भी, बहुत आस्तिक ना होखला के बावजूद ई ईच्छा जाहिर कइलें की उनके राख के कुछ हिस्सा गंगा में दहा दिहल जाय।[46] "The Ganga, " he wrote in his will, "is the river of India, beloved of her people, round which are intertwined her racial memories, her hopes and fears, her songs of triumph, her victories and her defeats. She has been a symbol of India's age-long culture and civilization, ever-changing, ever-flowing, and yet ever the same Ganga."[46]

अवतरण मने की गंगा के स्वर्ग से धरती पर उतरल

संपादन करीं
 
राजा रवि वर्मा के बनावल पेंटिग में "गंगावतरण"

जेठ के महीना के अँजोर पाख में दसिमी तिथि के गंगा के अवतरण के परब गंगा दशहरा मनावल जाला जवन अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से मई भा जून के महीना में पड़े ला।[47] एह दिन लोग गंगा के धरती पर उतरले के तिथि के रूप में मनावेला।[47] एह दिन के गंगा नहान दस गो पाप के हरे वाला (दसहरा) मानल जाला, या दुसरा मान्यता के अनुसार दस जनम के पाप के धोवे वाला मानल जाला।[47] जे गंगा से दूर रहे वाला बा आ गंगा ले ना पहुँच पावेला ऊ लोग कौनों भी स्थानीय नदी में नाहन कर लेला, काहें की हिंदू धर्म में धरती के सगरी जल के गंगा के रूप मानल जाला।[47]

गंगा के अवतरण के भी कई ठे कहानी कथा प्रचालन में बाटे।[47] वैदिक कथा के अनुसार स्वर्ग के राजा इंद्र देव आकासी सर्प रूप वाला वृत्रासुर के बध करिके सोम नामक रस के पृथ्वी पर उतरे के रास्ता बनवलें जवना के ऊ रास्ता रोकले रहे।[47]

वैष्णव सम्प्रदाय के बहुप्रचलित मत के अनुसार एह कथा में इंद्र के जगह बिष्णु के रखल जाला।[47] अइसना में एह स्वर्गीय जल के विष्णुपदी कहला जाला आ गंगा के विष्णु के चरण से उत्पन्न मानल जाला।[47][48] ई कथा के मुताबिक, अपने वामन अवतार में पूरा ब्रह्माण्ड के तीन पग में नाप दिहले के बाद अपने पैर से बिष्णु भगवान स्वर्ग (आकाश) के खोद दिहलें जवना से पबित्र धार बहि निकलल आ बर्हमांड में व्याप्त हो गइल।[49] आकाशीय स्वर्ग से निकले के बाद गंगा इंद्र के स्वर्ग में पहुँचल जहाँ ध्रुव ओकरा के प्राप्त कइलें, जे बिष्णु के भक्त रहलें, आ अब आकाश में ध्रुव तारा के रूप में स्थित बाड़ें।[49] एकरा बाद ई आकाशगंगा के रूप में बहि के चंद्रमा ले पहुँचल।[49] एकरे बाद गंगा ब्रह्मलोक में पहुचल आ मेरु परबत पर, जवन पृथ्वी में खिलल कमल के रूप में मानल गइल बा, उतर गइल।[49] इहाँ से एगो पंखुड़ी से एगो धारा भारत वर्ष में अलकनंदा के रूप में बहि निकलल।[49]

हिंदू कथा में अवतरण के कथा में सभसे महत्वपूर्ण स्थान शिव के मिलल बा।[50] रामायण, महाभारत आ कई ठे पुराणन में बर्णित ई कथा के अंतर्गत कहानी कपिल मुनि के साथ शुरू होले जिनके तपस्या के सगर के साठ हजार लड़िका लोग भंग कई दिहल। क्रोधित होके कपिल मुनि ओह लोग के भसम कई दिहलें आ उन्हन लोग के आत्मा पाताल में भटके खातिर छूट गइल। उनहन लोग बंस में भागीरथ नाँव के राजा भइलें जे अपनी पुरखा लोग के आत्मा के मुक्ती दिवावे खातिर गंगा के स्वर्ग से उतारे खातिर प्रण लिहलें। हालाँकि उनके एकरा खातिर ब्रह्मा आ शिव के तपस्या करे के पड़ल। कहानी के मोताबिक ऊ पहिले बरम्हा के तपस्या कइलें की ऊ गंगा के अपने कमंडल से मुक्त करें जहाँ ऊ बिष्णु के चरण से निकल के स्थापित रहली। ब्रह्मा कहलें की गंगा के तेज बहाव के जमीन पर रोके खातिर पहिले शिव के तइयार करें। ओकरे बाद ऊ शिव के तपस्या कइलें जे अपने जटा में गंगा के रोक लिहलें। एकरा बाद आपन एक ठो लट (अलक) खोल के गंगा के धारा के जमीन पर उतरे दिहलें। आगे-आगे भागीरथ आ पाछे गंगा ओह अस्थान पर पहुँचल लोग जहाँ कपिल मुनि भागीरथ के पुरखा लोग के भसम कइले रहलें। उहाँ, गंगासागर, में गंगा पाताल में प्रवेश कइली आ ऊ लोग के आत्मा मुक्त भइल।[50] भागीरथ के द्वारा धरती पर अवतरण के कारन गंगा के नाँव "भागीरथी" पड़ल।[50]

मरल लोग के उद्धार

संपादन करीं
 
हर की पौड़ी, हरिद्वार, में अस्थि प्रवाह घाट पर बइठल तीर्थ यात्री लोग

गंगा के स्वर्ग से अवतरण भइल हवे एही से ऊं स्वर्ग के प्राप्त करे के यान भी हई।[51] गंगा के त्रिपथगा भी कहल जाला, जेकर माने होला तीनों लोक में गमन करे वाली आ एही से ऊ एह लोक से दुसरा लोक में पहुँचावे के मार्ग भी हई।[51] इहे कारण बाटे की श्राद्ध करम के समय गंगा के अवतरण के कथा सुनावल जाला आ अइसन कारज में गंगाजल के इस्तेमाल होला।[51]

हिंदू लोग गंगा के तीरे अपने पुरखा लोग के नाँव ले के पिंडदान भी करे ला, जवना में चाउर के आटा आ तिल के बनल पिंडा के गंगा में दहवावल जाला।[52] हर तिल के संख्या के हजारगुना साल ले पुरखा लोग के स्वर्ग मिले के मान्यता प्रचलन में हवे।[52] गंगा के मृत आत्मा खातिर महत्व के अंजाद एही से लगावल जा सकेला की महाभारत में बर्णन बा की "अगर एकहू अस्थि, मरल ब्यक्ति के, गंगा के छू ले त ओके स्वर्ग में अस्थान मिलेला।[53]

पर्यावरण संबंधी मुद्दा

संपादन करीं

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव

संपादन करीं

तिब्बत के पठार बिस्व के तिसरका सभसे बड़हन बरफ के भंडार बाटे। चीन के मौसम बिज्ञान एडमिनिस्ट्रेशन के चीफ, क्विन दाहे, बतवलें कि हाल के समय में तेजी से एह बर्फ़ के पघिलाव आ एकरे परिणाम के रूप में तापमान में बढ़ती एह इलाका में खेती आ पर्यटन खातिर शार्ट टर्म में भले बहुत नीक होखे बाकी ई एगो चेतावनी के संकेत बाटे। ऊ एगो गंभीर चेतावनी दिहलें की:

Temperatures are rising four times faster than elsewhere in China, and the Tibetan glaciers are retreating at a higher speed than in any other part of the world.... In the short term, this will cause lakes to expand and bring floods and mudflows... In the long run, the glaciers are vital lifelines for Asian rivers, including the Indus and the Ganges. Once they vanish, water supplies in those regions will be in peril.[54]

बरिस 2007 में आइपीसीसी अपने चौथी रपट में कहलस कि हिमालय के ग्लेशियर, जवन नद्दी सभ के पानी, देलें ऊ सन् 2035 ले पघिल के खतम हो जइहें।[55] बाद में ई घोषणा वापस ले लिहल गइल काहें से की ई एगो अंजाद वाली रिसर्च पर आधारित रहे।[56] हालाँकि, आइपीसीसी अपने एह आम खोज पर टिकल बाटे की हिमालय के ग्लेशियर सभ पर बैस्विक तापन के चलते खतरा बाटे (परिणाम के रूप में गंगा नदी थाला के हिमालई नद्दिन पर भी)।

 
गंगा में नहात आ कपड़ा धोवत लोग

गंगा बहुत ढेर प्रदूषण से ग्रस्त बाटे आ एह प्रदूषण से लगभग 4000 लाख लोग प्रभावित होला जे एकरे किनारे बसल बाटे।[57][58] चूँकि ई नदी बहुत घऽन बसल इलाका से हो के बहे ले, नगर के सीवर के पानी, उद्योग के गंदगी आ प्लास्टिक-पॉलिथीन वगैरह के बहुत भारी मात्र एह में पड़ेले आ नदी के प्रदूषित करे ले।[59][60][61] ई समस्या एह कारण अउरी गंभीर हो जाले काहें की बहुत सारा गरीब लोग गंगा के पानी पर नहाये धोए खातिर निर्भर बाड़ें।[60] विश्व बैंक के एगो अनुमान के अनुसार भारत में प्रदूषण के कारण स्वास्थ पर होखे वाला खर्चा एह देस के कुल जीडीपी के तीन प्रतिशत के आसपास बाटे।[62] इहो अनुमानित कइल गइल बाटे की बेमारी के अस्सी प्रतिशत हिस्सा आ बेमारी से मौत के एक तिहाई घटना, पानी के गंदगी आ एह से होखे वाली बेमारी से होले।[63]

बनारस, जहाँ लोग पबित्र नाहन खातिर जाला, ई शहर रोज 2000 लाख लीटर सीवर के पानी गंगा में छोड़े ला, जवना से कोलिफौर्म बैक्टीरिया के मात्र पानी में खतरनाक लेवल ले बढ़ि जाला।[60] सरकारी पैमाना के हिसाब से एह बैक्टेरिया के प्रति 100 मिलीलीटर पानी में 500 से ज्यादा ना होखे के चाहीं, बाकी बनारस में प्रवेश से पहिलहीं गंगा में करीब 120 गुना (60000 प्रति 100 मिलीलीटर) बैक्टीरिया रहे लें।[64][65]

गंगा में लाश दहवावे से भी काफ़ी प्रदूषण फइलेला। काहें की बहुत लोग जरावे के बजाय लाश के परवाहि कर देलें।[66][67]

गंगा के बनारस से बाहर निकलत समय एह में लगभग 150 लाख कोलिफौर्म बैक्टीरिया प्रति 100 मिलीलीटर हो जालें।[64][65] जिनहन के ऑब्जर्व्ड पीक वैलू 100 मिलियन हर 100 मिलिलीटर पर होखे ले।[60] अइसन पानी पिए लायक त नाहींये होला, नहाये पर भी इन्फेक्शन के खतरा रहे ला।[60]

गंगा नदी के पर्दूषण रोके खातिर पाहिले राजीव गांधी के ज़माना में गंगा एक्शन प्लान (GAP) चलावल गइल। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा नमामि गंगे प्रोग्राम के तहत कई सौ प्रोजेक्ट चलावल जा रहल बाड़ें जे नरेंद्र मोदी के सरकार में शुरू कइल गइल प्रोग्राम बाटे।

पानी के कमी

संपादन करीं

लगातर बढ़ि रहल प्रदूषण के साथे-साथ पानी के कम होखले का समस्या भी बिकराल होत जात बाटे। नदी के धारा कई जगह पर सूखे के करीब हो चुकल बाटे। बनारस में कब्बो एकर गहिराई 60 मीटर (200 फीट) के आसपास औसत रूप से रहल करे, बाकिर अब ई कई जगह पर 10 मीटर (33 फीट) ले रहि जाले।[68]

To cope with its chronic water shortages, India employs electric groundwater pumps, diesel-powered tankers and coal-fed power plants. If the country increasingly relies on these energy-intensive short-term fixes, the whole planet's climate will bear the consequences. India is under enormous pressure to develop its economic potential while also protecting its environment—something few, if any, countries have accomplished. What India does with its water will be a test of whether that combination is possible.[69]

खनन के काम

संपादन करीं

गंगा नदी के तली से पत्थर आ बालू के खनले के काम हरिद्वार जिला के बहुत लंबा समय से समस्या रहल बाटे। हरिद्वार में गंगा मैदान में प्रवेश करे ले आ इहाँ कुंभ मेला एरिया में लगभग 140 किमी2 के इलाका में खनाई पर रोक बाटे।[70] स्वामी निगमानंद, एगो 34 बरिस के साधू रहलें, जे 2011 के 19 फरवरी से अवैध खनन के आ स्टोन क्रशिंग के बिरोध में उपास करत रहलें, उनुकर 14 जून 2011 के देहरादून के जौलीग्रांट में हिमालय हास्पिटल में मौत हो गइल।[70][71] उनुके मौत से एह मुद्दा के तवज्जो मिलल आ केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय एह मामिला में हस्तक्षेप कइलस।[72][73]

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 जैन, अग्रवाल & सिंह 2007. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; name "FOOTNOTEजैनअग्रवालसिंह2007" defined multiple times with different content
  2. 2.0 2.1 कुमार, राकेश; सिंह, आर डी; शर्मा, के डी (१० सितंबर २००५). "Water Resources of India" [भारत के जल संसाधन] (PDF). करेंट साइंस. बंगलुरु: करेंट साइंस एसोशियेशन. 89 (5): 794–811. Retrieved 29 नवंबर 2015. {{cite journal}}: Check date values in: |date= (help)
  3. 3.0 3.1 3.2 "Ganges River" [गंगा नदी]. ब्रिटैनिका एन्साइक्लोपीडिया (एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका ऑनलाइन लाइब्रेरी ed.). 2011. Retrieved 29 नवंबर 2015.
  4. पेन, जेम्स आर. (2001). Rivers of the world: a social, geographical, and environmental sourcebook [बिस्व के नदी सभ:एगो सामाजिक, भूगोलीय आ पर्यावरणीय सोर्सपुस्तक]. ABC-CLIO. p. 88. ISBN 978-1-57607-042-0. Retrieved 29 नवंबर 2015.
  5. 5.0 5.1 सी आर कृष्णमूर्त्ति; गंगा परियोजना निदेशालय; भारत पर्यावरण रिसर्च समीति (1991). The Ganga, a scientific study [गंगा, एगो बैज्ञानिक अध्ययन]. नार्दर्न बुक सेंटर. p. 19. ISBN 978-81-7211-021-5. Retrieved 29 नवंबर 2015.
  6. 6.0 6.1 6.2 गुप्ता, अविजित (2007). Large rivers: geomorphology and management [बड़ नदी सभ:भूआकृतिबिज्ञान आ मैनेजमेंट]. जॉन वाइली एंड संस. p. 347. ISBN 978-0-470-84987-3. Retrieved 29 नवंबर 2015.
  7. जैन et al. 341.
  8. 8.0 8.1 8.2 Dhungel, Dwarika Nath; Pun, Santa B. (2009). The Nepal-India Water Relationship: Challenges [भारत-नेपाल जल संबंध:चुनौती सभ]. स्प्रिंजर. p. 215. ISBN 978-1-4020-8402-7. Retrieved 29 नवंबर 2015.
  9. 9.0 9.1 9.2 चक्रबर्ती, दिलीप कुमार (2001). Archaeological geography of the Ganga Plain: the lower and the middle Ganga [गंगा मैदान के पुरातात्विक भूगोल: निचली आ बिचली गंगा]. ओरिएंट ब्लैकस्वान. pp. 126–127. ISBN 978-81-7824-016-9. Retrieved 30 नवंबर 2015.
  10. 10.0 10.1 10.2 प्रणब कुमार परुआ (3 जनवरी 2010). The Ganga: water use in the Indian subcontinent [गंगा:भारतीय उपमहादीप में पानी के इस्तेमाल]. स्प्रिंजर. pp. 267–272. ISBN 978-90-481-3102-0. Retrieved 30 नवंबर 2015.
  11. 11.0 11.1 11.2 11.3 Arnold, Guy (2000). World strategic highways. Taylor & Francis. pp. 223–227. ISBN 978-1-57958-098-8. Retrieved 26 अप्रैल 2011.
  12. 12.0 12.1 Elhance, Arun P. (1999). Hydropolitics in the Third World: conflict and cooperation in international river basins. US Institute of Peace Press. pp. 156–158. ISBN 978-1-878379-91-7. Retrieved 24 अप्रैल 2011.
  13. 13.0 13.1 मरयम वेबस्टर (1997). Merriam-Webster's geographical dictionary [मरयम वेबस्टर के भूगोलीय डिक्शनरी]. मरयम वेबस्टर. p. 412. ISBN 978-0-87779-546-9. Retrieved 30 नवंबर 2015.
  14. 14.0 14.1 एल बरगा (25 मई 2006). Dams and Reservoirs, Societies and Environment in the 21st Century: Proceedings of the International Symposium on Dams in the Societies of the 21st Century, 22nd International Congress on Large Dams (ICOLD), Barcelona, Spain, 18 जून 2006 [बाँध आ जलाशय:21वीं सदी के बाँध आ समाज, बड़हन बाँध पर 22वीं इंटरनेशनल कांग्रेस (आइ सी ओ एल डी), बार्सीलोना, स्पेन]. टेलर एंड फ्रांसिस. p. 1304. ISBN 978-0-415-40423-5. Retrieved 30 नवंबर 2015.
  15. 15.0 15.1 ऍम. मुनीरुल कादर मिर्ज़ा; Ema. मनीरुला कादर मिर्जा (2004). The Ganges water diversion: environmental effects and implications [गंगा के पानी के डायवर्जन: पर्यावरणीय प्रभाव आ परिणाम]. स्प्रिंजर. pp. 1–6. ISBN 978-1-4020-2479-5. Retrieved 30 नवंबर 2015.
  16. So what? Ganga is Ganga- Research by Delhi geologists points to longer river that has been overlooked
  17. Roger Revelle and V. Lakshminarayan (9 मई 1975). "The Ganges Water Machine". Science. 188 (4188): 611–616. doi:10.1126/science.188.4188.611.
  18. Suvedī, Sūryaprasāda (2005). International watercourses law for the 21st century: the case of the river Ganges basin. Ashgate Publishing, Ltd. p. 61. ISBN 978-0-7546-4527-6. Retrieved 24 अप्रैल 2011.
  19. Eric Servat; IAHS International Commission on Water Resources Systems (2002). FRIEND 2002: Regional Hydrology: Bridging the gap between research and practice. IAHS. p. 308. ISBN 978-1-901502-81-7. Retrieved 18 अप्रैल 2011.
  20. "Mount Everest, China/Nepal". Retrieved 30 नवंबर 2015.
  21. "Kāngchenjunga, India/Nepal". Retrieved 30 नवंबर 2015.
  22. "Lhotse, China/Nepal". Retrieved 30 नवंबर 2015.
  23. "Makalu, China/Nepal". Retrieved 30 नवंबर 2015.
  24. "Cho Oyu, China/Nepal". Retrieved 30 नवंबर 2015.
  25. "Dhaulāgiri, Nepal". Retrieved 30 नवंबर 2015.
  26. "Manaslu, Nepal". Retrieved 30 नवंबर 2015.
  27. "Annapūrna, Nepal". Retrieved 30 नवंबर 2015.
  28. "Shishapangma, China". Retrieved 30 नवंबर 2015.
  29. Jeremy Schmidt. Himalayan Passage: Seven Months in the High Country of Tibet, Nepal, China, India, and Pakistan. The Mountaineers Books. p. 217.
  30. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named MurtiNideśālaya1991
  31. 31.0 31.1 31.2 Salman, Salman M. A.; Uprety, Kishor (2002). Conflict and cooperation on South Asia's international rivers: a legal perspective. World Bank Publications. pp. 136–137. ISBN 978-0-8213-5352-3. Retrieved 2 दिसंबर 2015.
  32. सलमान, ऍम ए; उप्रेती, किशोर (2002). Conflict and cooperation on South Asia's international rivers: a legal perspective [दक्खिनी एशिया के अंतरराष्ट्रीय नदिन पर बिबाद आ सहजोग:कानूनी दृष्टिकोण]. बिस्व बैंक प्रकाशन. p. 133. ISBN 978-0-8213-5352-3. Retrieved 30 नवंबर 2015.
  33. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named subcontinent
  34. कैटलिंग, डेविड (1992). Rice in deep water [गहिरा पानी में चावल]. इंटरनेशनल चावल रिसर्च इंस्टीट्यूट. p. 175. ISBN 978-971-22-0005-2. Retrieved 30 नवंबर 2015.
  35. "Brahmaputra River" [ब्रह्मपुत्र नदी]. ब्रिटैनिका एन्साइक्लोपीडिया (एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका ऑनलाइन लाइब्रेरी ed.). 2011. Retrieved 30 नवंबर 2015.
  36. मैकिंटोश, जेन (2008). The ancient Indus Valley: new perspectives. ABC-CLIO. pp. 99–101. ISBN 978-1-57607-907-2. Retrieved 2 दिसंबर 2015.
  37. "Largest, Longest, Highest and Smallest In India". http://www.onlinegkguide.com. Retrieved 2 दिसंबर 2015. {{cite web}}: External link in |publisher= (help)
  38. Romila Thapar (अक्टूबर 1971). "The Image of the Barbarian in Early India". Comparative Studies in Society and History. Cambridge University Press. 13 (4): 408–436. doi:10.1017/s0010417500006393. JSTOR 178208. The stabilizing of what were to be the Arya-lands and the mleccha-lands took some time. In the Rg Veda the geographical focus was the sapta-sindhu (the Indus valley and the Punjab) with Sarasvati as the sacred river, but within a few centuries drya-varta is located in the Gariga-Yamfna Doab with the Ganges becoming the sacred river. (page 415)
  39. आंद्रेई विंक (जुलाई 2002). "From the Mediterraneanto the Indian Ocean: Medieval History in Geographic Perspective". Comparative Studies in Society and History. 44 (3): 423. doi:10.1017/s001041750200021x.
  40. W. W. Tarn (1923). "Alexander and the Ganges". The Journal of Hellenic Studies. 43 (2): 93–101. JSTOR 625798.
  41. "lower channel of the Bhagirathi". Archived from the original on 2012-03-23. Retrieved 2015-12-02.
  42. Salman, Salman M. A.; Uprety, Kishor (2002). Conflict and cooperation on South Asia's international rivers: a legal perspective. World Bank Publications. pp. 387–391. ISBN 978-0-8213-5352-3. Retrieved 27 अप्रैल 2011. Treaty Between the Government of the Republic of India and the Government of the People's Republic of Bangladesh on Sharing of the Ganga/Ganges Waters at Farakka.
  43. 43.0 43.1 Eck 1982, p. 212
  44. 44.0 44.1 Eck 1982, pp. 212–213
  45. 45.0 45.1 45.2 45.3 45.4 Eck 1982, p. 214
  46. 46.0 46.1 46.2 Eck 1982, pp. 214–215
  47. 47.0 47.1 47.2 47.3 47.4 47.5 47.6 47.7 Eck 1998, p. 144
  48. "निकसी हरी के पद पंकज से, अरु संभु जटा में समाय रही है" — तुलसीदास।
  49. 49.0 49.1 49.2 49.3 49.4 Eck 1998, pp. 144–145
  50. 50.0 50.1 50.2 Eck 1998, p. 145
  51. 51.0 51.1 51.2 Eck 1998, pp. 145–146
  52. 52.0 52.1 Eck 1982, pp. 215–216
  53. Quoted in: Eck 1982, p. 216
  54. (AFP) – 17 अगस्त 2009 (17 अगस्त 2009). "Global warming benefits to Tibet: Chinese official. Reported 18/Aug/2009". Google.com. Archived from the original on 2010-01-23. Retrieved 12 जनवरी 2015.
  55. "See s. 10.6 of the WGII part of the report at" (PDF). Archived from the original (PDF) on 24 November 2010. Retrieved 28 November 2010.
  56. The IPCC report is based on a non-peer reviewed work by the World Wildlife Federation. They, in turn, drew their information from an interview conducted by New Scientist with Dr. Hasnain, an Indian glaciologist, who admitted that the view was speculative. See: [1] and [2] Archived 2010-01-28 at the Wayback Machine On the IPCC statement withdrawing the finding, see: [3][मुर्दा कड़ी]
  57. "जून 2003 Newsletter". Clean Ganga. Retrieved 16 July 2010.
  58. Salemme, Elisabeth (22 जनवरी 2007). "The World's Dirty Rivers". Time. Archived from the original on 2013-08-25. Retrieved 3 मई 2010.
  59. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named cleanperish
  60. 60.0 60.1 60.2 60.3 60.4 Abraham, Wolf-Rainer. "Review Article. Megacities as Sources for Pathogenic Bacteria in Rivers and Their Fate Downstream". International Journal of Microbiology. 2011: 1–13. doi:10.1155/2011/798292. Archived from the original on 2013-10-16. Retrieved 2016-01-12.
  61. Akanksha Jain (23 अप्रैल 2014). "'Draw plan to check Ganga pollution by sugar mills'". The Hindu. Retrieved 24 अप्रैल 2014.
  62. उद्धरण खराबी:Invalid <ref> tag; no text was provided for refs named bharati
  63. Puttick, Elizabeth (2008), "Mother Ganges, India's Sacred River", in Emoto, Masaru (ed.), The Healing Power of Water, Hay House Inc. Pp. 275, pp. 241–252, ISBN 1-4019-0877-2 Quote: "Sacred ritual is only one source of pollution. The main source of contamination is organic waste—sewage, trash, food, and human and animal remains. Around a billion liters of untreated raw sewage are dumped into the Ganges each day, along with massive amounts of agricultural chemicals (including DDT), industrial pollutants, and toxic chemical waste from the booming industries along the river. The level of pollution is now 10,000 percent higher than the government standard for safe river bathing (let alone drinking). One result of this situation is an increase in waterborne diseases, including cholera, hepatitis, typhoid, and amoebic dysentery. An estimated 80 percent of all health problems and one-third of deaths in India are attributable to waterborne illnesses. (page 247)"
  64. 64.0 64.1 "India and pollution: Up to their necks in it", दि इकोनॉमिस्ट, 27 जुलाई 2008.
  65. 65.0 65.1 "Ganga can bear no more abuse". दि टाइम्स ऑफ इंडिया. 18 जुलाई 2009. Archived from the original on 2011-11-03. Retrieved 2016-06-15.
  66. HINDU FUNERALS, CREMATION AND VARANASI Archived 16 अक्टूबर 2013 at the Wayback Machine
  67. "Miller-stone's Travel Blog: Varanasi: The Rich, The Poor, and The Afterlife". 14 दिसंबर 2010.
  68. "How India's Success is Killing its Holy River." Jyoti Thottam. Time Magazine. 19 July 2010, pp. 12-17.
  69. "How India's Success is Killing its Holy River." Jyoti Thottam. Time Magazine. 19 July 2010, p. 15.
  70. 70.0 70.1 "Looting the Ganga shamelessly". दि ट्रिब्यून. 16 जून 2011.
  71. Swami Nigamananda, fasting to save Ganga, dies एनडीटीवी; 14 जून 2011.
  72. "Exposing the illegal mining in Haridwar". एनडीटीवी. 16 जून 2011.
  73. "Jairam Ramesh tells Uttarakhand CM Nishank to stop illegal mining in Ganga". दि इकोनोमिक टाइम्स. 18 जून 2011.

स्रोतग्रंथ

संपादन करीं
  • जैन, शरद कु॰; अग्रवाल, पुष्पेन्द्र कु॰; सिंह, विजय प्र॰ (2007). Hydrology and water resources of India [भारत के जलबिज्ञान आ जल संसाधन]. स्प्रिंजर. ISBN 978-1402051791. {{cite book}}: Invalid |ref=harv (help)