हिंदू पतरा
हिन्दू पतरा, हिंदू कैलेंडर या हिन्दू पंचांग अइसन सभ कैलेंडर सभ के कहल जाला जे हिंदू लोग द्वारा दिन, तिथि, आ महीना के गणना करे खातिर आ आपन पर्ब-तिहुआर के गणना करे खातिर करे ला। पत्रा चाहे पंचांग से तिथि, वार, नक्षत्र, योग आ करण क हिसाब रक्खल जाला; पाँच चीज क गणना कइले की कारन एह कैलेंडर सभ के पञ्चांग कहल जाला। क्षेत्र के अनुसार एह कैलेंडर सभ में पर्याप्त बिबिधता देखे के मिलेला। ई सगरी कैलेंडर या पतरा सभ चंद्रमा[1] आ साइडेरियल गणना के अलग-अलग तरीका से इस्तेमाल करे में भी बिबिधता वाला बाड़ें आ महीना आ साल के सुरुआत के मामिला में भी इनहन में बिबिधता मिलेला।
क्षेत्र अनुसार कई तरह के पञ्चांग मिले लें - नेपाली पंचांग, बिक्रम संवत, बंगाली पंचांग, शालिवाहन शक पञ्चांग वगैरह एह में प्रमुख बाड़ें। उत्तर भारत में बिक्रम संवत के प्रमुखता देखे के मिले ला, हालाँकि ई नेपाली बिक्रम पञ्चांग से कुछ अलग होला।
ज्यादातर हिंदू तिहवार चंद्रमा के कला के आधार पर बनल चंद्र पंचांग से निर्धारित होलें[2], जबकि कुछ तिहुआर (खिचड़ी, सतुआन, बहुरा वगैरह) सुरुज के आधार पर। महीना के नाँव एह सगरी कैलेंडर सभ में लगभग समान मिले ला, भले इनहन के सुरुआत एक साथ न होखे। महीना सभ के नाँव संस्कृत पर आधारित होखे के कारण लगभग एक रूप बाटे। ज्यादातर सौर हिंदू कैलेंडर सभ में सूर्य के एक राशि से दुसरा राशि में संक्राति के दिन महीना बदले ला आ 12 गो महीना आ साल में 365 या 366 दिन होलें।[3]
बौद्ध कैलेंडर आ परंपरागत चंद्र-सौर पञ्चांग जे कम्बोडिया, लाओस, म्यांमार, श्रीलंका आ थाईलैंड में प्रयोग होलें, उहो सभ पुरान हिंदू कैलेंडर पर आधारित हवें।[4]
अधिकतर हिंदू पंचांग सभ, पाँचवीं-छठवीं सदी में आर्यभट्ट आ वाराहमिहिर के दिहल सिद्धांत, जे खुद प्राचीन वेदांग ज्योतिष पर आधारित आ बिकसित रहल, पर आधारित हवें। सूर्यसिद्धांत आ पञ्चसिद्धंतिका ग्रंथन पर आधारित एह ब्यवस्था में बाद में भी पर्याप्त सुधार भइल, खास तौर पर बारहवीं सदी में भास्कर II द्वारा; आ क्षेत्रीय बिबिधता भी आइल।
भारतीय राष्ट्रीय पञ्चांग या "शक कैलेंडर", जे एक ठो पुरान पञ्चांग पर आधारित हवे, 1957 में लागू भइल।
दिन
संपादन करींहिंदू कैलेंडर सभ में दिन के सुरुआत सुरुज उगे के समय से मानल जाला आ एक सूर्योदय से अगिला सूर्योदय ले के समय के एक दिन कहल जाला। तकनीकी ज्योतिषीय शब्दावली में एकरा के अहोरात्र कहल जाला। अहः माने दिन, रात्रि माने रात, यानि एक दिन-रात के समय। एकरे अलावा अन्य कई प्रकार के संकल्पना समय के माप के बा जे लगभग एक दिन या दिन के बराबर होला। इनहन के पाँच गो मुख्य अंग कहल जाला जिनहन के आधार पर हिंदू कैलेंडर सभ के पञ्चांग कहल गइल बा। ई क्रम से नीचे दिहल जात बाड़ें:
- तिथि, (1/30 सूर्य-सापेक्ष चंद्रमास), लगभग 59/60 दिन।
- वासर या वार, हप्ता के सात दिन, जइसे अतवार, सोमार, मंगर... शनिच्चर वगैरह।
- नक्षत्र, (1/27 नाक्षत्र चंद्रमास), लगभग 251/27 घंटा।
- योग, (1/27 सूर्य-सापेक्ष चंद्रमास)।
- करण, 1/60 सूर्य-सापेक्ष चंद्रमास)
पञ्चांग के एह पाँचों अंग सभ के बिबरण आगे दिहल जात बा।
तिथि
संपादन करींतिथि, एक ठो सूर्य-सापेक्ष चंद्रमास (सिनोडिक महीना) के 1/30वाँ हिस्सा होला आ ई सुरुज आ चंद्रमा के बीच हर 12° देशंतारीय कोण के पूरा होखला पर बदले ले। अमौसा के सुरुज आ चंद्र एक सीध में होलें, एकरे बाद चंद्रमा अपने परिक्रमा में आगे बढे ला आ सूर्य आ चंद्रमा के बीचे के कोणीय अंतर बढ़त जाला। हर 12° पर एक तिथि पूरा हो जाले आ पूरा 360° पूरा होखले पर फिर अमौसा के स्थिति, यानि सुरुज चंद्र एक सीध में हो जालें।
हालाँकि चंद्रमा के 12° आगे बढ़े में हमेशा बराबर समय ना लागे ला आ एही से तिथि छोट-बड़ होत रहे लीं। एक तिथि के समय लगभग 19 घंटा से ले के 26 घंटा ले के हो सकेला।[5]
सूर्योदय के समय जवन तिथि होल ओही के ओह दिन के तिथि मान लिहल जाला। एकरा के "उदया तिथि" कहल जाला। अगर एक सूर्योदय के समय कौनों तिथि रहल जे अगिला सूर्योदय के भी रहि गइल तब अगिला दिन के भी उहे तिथि होखी। मतलब कि एकही तिथि दू दिन कुल के तिथि कहाई, एकरा के बढ़ती कहल जाला। एकरे उल्टा, अगर कौनों तिथि सूर्योदय के बाद सुरू भइल आ अगिला सूर्योदय के पहिलहीं खतम हो गइल तब उ कौनों दिन के तिथि ना कहा पाई काहें कि कौनों दिन ओह तिथि में सूर्योदय ना भइल। एकरा के तिथि हानि (क्षय) या घटती कहल जाई।
वार या वासर
संपादन करींवार या वासर हप्ता के सात दिन सभ के नाँव के कहल जाला। नीचे कुछ प्रमुख भारतीय भाषा सभ में दिन सभ के क्षेत्रीय नाँव लिखल गइल बा:
वार या वासर के अर्थ संस्कृत में दिन होला आ दिन के स्वामी के नाँव के अलग अलग पर्यायवाची सभ में भी वार या वासर जोड़ के दिन सभ के कई प्रकार से नाँव में बिबिधता देखे के मिले ला।
महीना
संपादन करींसौर मास
संपादन करींसूर्य की आधार पर गणना कइल जाला। पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगावेले एही से सूर्य आकाश में कौनो-न-कौनो राशि में उगत मालूम होला। बारह गो राशि आ 27 गो नक्षत्र में जवना में सूर्य जब होला ओही हिसाब से सौर मास क नाँव हो जाला। बारह गो सौर मास होला। एक महीना से दुसरा महीन में बदलाव क भी दू गो आधार बा। सायन मास अंग्रेजी कैलेण्डर की हिसाब से 21-22-23 तारीख के बदलेला आ निरयन सौर मास 13-14 तारीख़ के।
साल के दू गो अयन में बाँटल जाला। उत्तरायण आ दक्षिणायन। जब सूर्य मकर रेखा से उत्तर की ओर गति शुरू करेल (खिचड़ी की बाद) त उत्तरायण शुरू होला। सतुआन की बाद जब सूर्य कर्क रेखा से दक्षिण की ओर जाला तब दक्षिणायन शुरू होला।
सायन आ निरयन की हिसाब से दू गो कर्क संक्रांति आ दू गो मकर संक्राति हो जाले।
चन्द्रमास
संपादन करींहिन्दू महीना चंद्रमा की कला पर आधारित होला आ एक पुर्नवासी (पूरणमासी या पूर्णिमा) से आगिला पुर्नवासी ले होला। महीना के दू गो पाख में बाँटल जाला। जवना हिस्सा में चन्द्रमा बढ़त रहे ला (अमवसा से पुर्नवासी ले) ओके अँजोरिया चाहे शुक्लपक्ष कहल जाला। जेवना हिस्सा में चंद्रमा घटे लागे ला (पुर्नवासी कि बाद से अमावसा ले) ओके अन्हरिया या कृष्णपक्ष कहल जाला। एगो पाख 13-15 दिन क होला।
पाख में एक्कम, दुइज, तीज, चउथ, पंचिमी, छठ, सत्तिमी, अष्टिमि, नवमी, दसमी, एकादशी, दुआदसी (द्वादशी), तेरस, चतुर्दशी, आ पुर्नवासी/अमौसा (अमावस्या) तिथि होले। एगो तिथि क समय ओतना होला जेतना देर में चंद्रमा की गति की कारन, चंद्रमा आ सूर्य की बिचा में बारह अंश बीत जाय। चंद्रमा पृथ्वी क चक्कर दीर्घवृत्तीय रास्ता पर लगावेला एही से कबो ई 12 अंश क दूरी जल्दी तय हो जाले आ कबो ढेर समय लागेला आ तिथि छोट-बड़ होत रहेलिन। अमावसा कि अंत आ अँजोरिया की एक्कम क शुरुआत होले जब सूर्य आ चंद्रमा की बिचा में शून्य अंश क कोण बनेला। पुर्नवासी के ई कोण 180 अंश हो जाला मने पृथ्वी सूर्य आ चंद्रमा की बिचा में होले।
महीना सभ के नाँव
संपादन करींहिन्दू महीना कुल के नाँव क्रम से चइत, बइसाख, जेठ, असाढ़, सावन, भादो, कुआर, कातिक, अगहन, पूस, माघ, आ फागुन होला।
महीनन के नाम | संस्कृत में नाँव | पूर्णिमा की दिन चन्द्रमा ए नक्षत्र में होला |
---|---|---|
चइत | चैत्र | चित्रा |
बइसाख | वैशाख | विशाखा |
जेठ | ज्येष्ठ | ज्येष्ठा |
असाढ़ | आषाढ़ | पूर्वाषाढ़ |
सावन | श्रावण | श्रवण |
भादो | भाद्रपद | पूर्वभाद्र |
कुआर | आश्विन | रेवती(अश्विन) |
कातिक | कार्तिक | कृतिका |
अगहन | मार्गशीर्ष | मृगशिरा (अग्रहायण) |
पूस | पौष | पुष्य |
माघ | माघ | मघा |
फागुन | फाल्गुन | उत्तर फाल्गुन |
सृष्टयाब्द
संपादन करींसृष्टयाब्द भारतीय परंपरा के काल गणना में एक किसिम के समय माप हवे आ एक तरह के कैलेंडर हवे। जइसे समय के नाप ईसवी सन, शक संवत, विक्रम संवत भा हिजरी सन में बतावल जाला ओही तरे ई साल के गणना के एगो तरीका हवे जेकर सुरुआत सृष्टि के सुरुआत के दिन से मानल जाला। उदाहरण खातिर सृष्ट्याब्द में तारीख 07/08/1 972 949 119 के मतलब भइल ठीक 1 972 949 119 बरिस, 8 महीना आ 7 दिन पहिले पृथ्वी प पहिला जीवधारी के अवतरण, जनम भइल रहे। सृष्टी के सुरुआत के ई तिथी हिंदू मान्यता के अनुसार होले।
सृष्ट्याब्द में बरिस सुरु होला फगुआ के दिन से रंगा-रन्ग उत्सव मना के, नाच-गान क के, चैत परिवा से; आ बरिस खतम होला फागुन पूरनमासी के होलिकादहन के। ई साल करीब 354 दिनन के होला। एह से मऔसम के साथ चले खातिर करीब हर तीसर बरीस 1 महीना जोड़ दियाला, ज्योतिष के अनुसार। सृष्टयाब्द में तिथि कृष्ण पक्ष आ शुक्ल पक्ष रहित होला, जे पुर्नवासी केे अगिला दिन परिवा से सुरु हो के अगिला पुरनमासी ले रहे ला। एह से महीना 28, 29 दिनन के चाहे 30 दिनन केे होला। तिथि अमावस्या के बदले 'पन्चदशी', 'षोडसी', 'सप्तदशी'... 'नवबिन्शती', 'पूर्णिमा' आदि होला सृृस्ट्याब्द में।
संदर्भ आ टिपण्णी
संपादन करीं- ↑ Richmond B. 1956, p. 77.
- ↑ L.D.S. Pillai (1 December 1996). Anime Wik Wik Terbaik. Asian Educational Services. pp. 15–19. ISBN 978-81-206-0258-8.
- ↑ Richmond B. 1956, p. 81.
- ↑ Richmond B. 1956, pp. 52–57.
- ↑ Defouw, Hart; Robert Svoboda (2003). Light on Life: An Introduction to the Astrology of India. Lotus Press. p. 186. ISBN 0-940985-69-1.
स्रोत ग्रंथ
संपादन करीं- Richmond B. (1956). Time Measurement and Calendar Construction. Brill Archive. GGKEY:AJ6Y8YX0JJB.
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बाहरी कड़ी
संपादन करीं- हिन्दू पंचांग १००० वर्षों के लिए (सन १५८३ से २५८२ तक) Archived 2016-10-12 at the Wayback Machine
- आनलाइन पंचाग
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